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एजुकेशन

आधुनिक युग में कान्हा से कृष्ण तक समाज को सिखा रहे प्रभु के ये किरदार

आधुनिक युग में कान्हा से कृष्ण तक समाज को सिखा रहे प्रभु के ये किरदार
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भगवान कृष्ण हर युग में हर काल में और हर मौके पर हमें कुछ न कुछ सिखाते हैं. जब हम किसी में अपना आदर्श ढूंढते हैं तो उसमें तमाम गुण तलाशते हैं. ये वो तमाम गुण हैं जो कृष्ण को हरदिल अजीज बनाते हैं. फिर वो चाहे किसी से सारी सरहदें भुलाकर प्रेम करने की बात हो या फिर किसी की इज्जत बचाने के लिए दौड़ पड़ने का हौसला. कान्हा में एक समर्पित प्रेमी से लेकर बेहतर कूटनीतिज्ञ, एक अच्छे स्पीकर, कला प्रेमी, सूझबूझ और हास्य विनोद से भरे इंसान के वो सारे गुण मौजूद हैं जो हम अपने आदर्श में खोजते हैं. इन गुणों से बहुत सी प्रेरणाएं ली जा सकती हैं.
आधुनिक युग में कान्हा से कृष्ण तक समाज को सिखा रहे प्रभु के ये किरदार
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चपलता और चंचलता

कृष्ण ने बचपन ऐसा जिया कि आज भी लोग अपने बच्चों को कान्हा कहकर बुलाते हैं. उनके बचपन की लीलाओं में उनकी चपलता और चंचलता ने सिखाया कि कैसे नीरस होना जिंदगी को न जीने के बराबर है. हम आदर्श जीवन जीने के लिए इसमें स्वभाव की निर्मलता के साथ-साथ जीवन की गति को कभी नहीं रोक सकते. उनके सेंस ऑफ ह्यूमर ने ही उन्हें ग्वालाओं के बीच अहम पहचान दिलाई.
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सफल लीडर हैं कृष्ण

कृष्ण बचपन से ही एक सफल लीडर की तरह हर मोर्चे पर जनता की मुसीबतें अपने सिर पर लेते नजर आए. उन्होंने युवावस्था में यदुवंश का नेतृत्व किया. लेकिन इनके सबके बीच बड़ी बात जो हमें बहुत कुछ सिखाती है कि वो सिंहासन पर बैठकर राजा कभी नहीं बने. वो नेतृत्व तो सिखाते हैं लेकिन उनकी पहुंच सत्ता नहीं बल्कि जनता के बीच रही. आज भी लोग अपने लीडर में ये ही गुण खोजते हैं.

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अच्छे स्पीकर भी कृष्ण

एक अच्छा स्पीकर हमें हताशा के उस दौर से बाहर निकाल सकता है. जहां हम मुसीबत के सामने हथियार डाल देते हैं. लेकिन एक अच्छे स्पीकर में कृष्ण जैसे योग और ज्ञान का समागम होना बहुत जरूरी है. कुरुक्षेत्र के रण में हताश अर्जुन को श्रीमद्भगवत गीता का उपदेश देकर कृष्ण मानव समाज को ज्ञान और योग की शिक्षा भी देते हैं.
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जुर्म के खिलाफ बोलने वाला

कृष्ण एक ऐसा समाजसेवी और क्रांतिकारी किरदार है जो जुर्म के खिलाफ आवाज उठाकर बड़ा बना है. फिर उसके लिए संगठन की क्षमता और अपने सामर्थ्य पर पूरा विश्वास दिखाकर कृष्ण ने भयंकर हालातों से अपने गोकुल, अपने गांव को सुरक्षित रखा. सोचिए, जरा आज भी कितने लोग हैं जो अपने गांव या घर के लिए सीना चौड़ा करके लड़ने के लिए खड़े हो जाते हैं. अत्याचार करने वालों में अगर अपना मामा भी है तो कृष्ण ने उनका भी वध किया. साथ ही हमें सिखाया कि जुर्म के खिलाफ आवाज उठाने की कोई उम्र नहीं होती.
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कृष्ण सबसे बड़ा कूटनीतिज्ञ

जब कुरुक्षेत्र में एक तरफ कौरवों की सेना थी तो दूसरी तरफ अर्जुन के रथ के सारथी बने कृष्ण पूरे आत्मविश्वास से मुस्कुरा रहे थे. उन्हें पता था कि युद्ध जीतने के लिए सिर्फ संख्या बल की जरूरत नहीं होती, उसके लिए मनोबल और कूटनीति का होना जरूरी है. 

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मित्र और सखा कृष्ण

जीवन यूं तो अकेला भी बीत सकता है लेकिन अगर जीवन में कृष्ण जैसा सखा हो तो सुदामा के भाग्य भी संवर जाते हैं. सुदामा के पग पखारते कृष्ण हमें उस आदर्श में स्थापित होने की सीख देते हैं. जहां हम पद, प्रतिष्ठा और मान पाकर अपने उन दोस्तों और लोगों को न भूलें जो जिन्दगी की दौड़ में परिस्थिति वश या किसी अन्य कारण से वहां तक नहीं पहुंच पाए हैं.
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एक सफल प्रेमी, समर्पण और त्याग

आज भी लोग प्रेम की मिसाल देते हैं तो राधा और कृष्ण का नाम जरूर लाते हैं. एक ऐसा युगल जो प्रेम में तो है लेकिन पूर्ण समर्पण भाव से. कृष्ण के प्रेम में डूबी गोपियां और रास रचाते कृष्ण आध्यात्‍मिकता और श्रृंगार का अनूठा संगम हैं. जो हमें सिखाते हैं कि जीवन में रस है, श्रंगार है, प्रेम है साथ ही साथ अध्यात्मिकता और समर्पण भी.
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रक्षक हैं कृष्ण, दे रहे ये सीख

एक आवाज में अपने चाहने वाले के पास पहुंच जाने वाले सुपर मैन को कौन भुला सकता है भला. फिर जब भरे बाजार में किसी की आबरू नीलाम हो रही हो तो वो अपने मन के कृष्ण को ही बुलाएगी. लेकिन एक आवाज में उस तक पहुंचने वाला ही असल मायने में भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रिय और करीबी हो सकता है. भगवान कृष्ण द्रौपदी की एक आवाज में उन तक भरी सभा में पहुंच जाते हैं. आज भी कोई प्रेम से पुकारे तो उनके प्रेम की तरंगें शरीर में स्पंदित होने लगेंगी. कृष्ण किसी एक व्यक्ति का नाम है भी और नहीं भी है. श्री कृष्ण खुद अपने मुख से कहते रहे कि ‘मैं अव्यक्त हूं, अजन्मा हूं. इसलिए कृष्ण को समझने के लिए कृष्ण होना पड़ता है.

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