दिल्ली में आम आदमी पार्टी प्रचंड बहुमत से जीतकर सरकार बनाने की तैयारी कर रही है. आम आदमी पार्टी ने 62 सीटें जीती हैं. इसी जीत का हिस्सा बने हैं जंगपुरा से आम आदमी पार्टी के विधायक प्रवीण कुमार. कभी एमबीए करके दिल्ली आए प्रवीण कुमार अपनी लाखों की सैलरी छोड़कर केजरीवाल के आंदोलन का हिस्सा बने थे. अब दूसरी बार विधायक बनकर उन्होंने ये साबित कर दिया है कि अगर लगन हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है. पढ़ें- कैसा था प्रवीण कुमार का संघर्षों भरा ये सफर.
करीब 35 साल के प्रवीण मूल रूप से मध्य प्रदेश के बैतूल के एक छोटे से कस्बे
आठनेर के रहने वाले हैं. उनके पिता भोपाल में पंक्चर टायर रिमोल्ड करने का
काम करते हैं. बेटा भले ही दूसरी बार विधायक बन गया लेकिन पिता ने अपना काम नहीं छोड़ा.
उनकी जीत का जश्न दिल्ली के जंगपुरा के साथ-साथ बैतूल के
आठनेर में भी मनाया गया. प्रवीण कुमार का पूरा बचपन संघर्षों में बीता. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रवीण बचपन से ही प्रतिभाशाली थे.
आठनेर में पढ़ाई के बाद वह भोपाल गए और वहां के टीआईटी कालेज बीएससी के बाद
एमबीए किया.
बेटे की पढ़ाई चलती रहे, इसलिए उनके पिता पंढरीनाथ देशमुख भी
भोपाल आ गए और यहां पंक्चर बनाने और टायर रिमोल्ड का काम करके प्रवीण को
अच्छी शिक्षा दिलाई. प्रवीण ने भी पिता की मेहनत को साकार किया और अपना करियर एक एमबीए प्रोफेशनल के तौर पर बनाया.
पढ़ाई के बाद प्रवीण को दिल्ली की एक मल्टीनेशनल कंपनी में करीब 50 हजार
रुपये महीने की नौकरी मिल गई. लेकिन फिर अन्ना के आंदोलन से वह इतने
प्रभावित हुए कि नौकरी छोड़कर उसी में शामिल हो गए. वो दिन रात जंतर-मंतर पर आंदोलन के लिए जागकर बिताते थे.
आंदोलन खत्म हुआ तो वह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ जुड़े.
पिछली AAP सरकार में वह शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के ओएसडी (ऑफिसर ऑन
स्पेशल ड्यूटी) थे. इस दौरान उन्होंने स्कूल दाखिलों में डोनेशन रोकने के
लिए अहम कदम उठाए.
नर्सरी एडमिशन में डोनेशन रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर लॉन्च करने में भी
उनकी अहम भूमिका रही. 300 कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने पांच दिनों के भीतर
दिल्ली के 990 सरकारी स्कूलों का निरीक्षण किया.
AAP ने उन्हें दिल्ली प्रदेश का उपाध्यक्ष बनाया. 2015 के चुनाव से ठीक पहले
जंगपुरा से AAP के निर्वाचित विधायक एमएस धीर पाला बदलकर बीजेपी में चले
गए. पार्टी के लिए लगातार संघर्ष करने का इनाम प्रवीण को मिला. पार्टी ने
उन्हें जंगपुरा से धीर के मुकाबले टिकट दे दिया. जब चुनाव के नतीजे आए तो
'पंक्चर वाले' का बेटा 20 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीत चुका था. ठीक इसी तरह साल 2020 के चुनाव में भी प्रवीण कुमार ने फिर से जीत का परचम फहराकर परिवार का नाम रोशन कर दिया है.