कोरोना वायरल (COVID-19) के बाद विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी है. पिछले साल सरकार ने संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया था कि मौजूदा समय में 12 लाख भारतीय छात्र विदेशों में पढ़ रहे हैं. 2023 में हर महीने औसतन 2,055 छात्र विदेश गए हैं. यह सिलसिला अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा. इस साल जर्मनी जाकर पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की सबसे अधिक संख्या ने पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इस मामले में भारतीय छात्रों ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है.
जर्मनी एकेडमिक एक्सचेंज सर्विस की डॉयचर एकेडेमिसचर ऑस्टौशडिएनस्ट (DAAD) के मुताबिक, इस साल पढ़ाई करने जर्मनी आए भारतीय छात्रों की संख्या 49,483 सबसे अधिक है. पिछले साल के मुकाबले इस साल 15.1 फीसदी छात्रों की संख्या बढ़ी है.
इंडिनय एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर के पहले सप्ताह में DAAD द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि पिछले पांच वर्षों में यह संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है. भारतीय छात्र अब लगातार दूसरे साल जर्मनी में सबसे बड़ा इंटरनेशल ग्रुप बन गए हैं."
पिछले वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें
2018-19 में 20,810 भारतीय छात्र जर्मनी के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे थे. 2019-20 में संख्या बढ़कर 25 हजार पार पहुंच गई. कोरोना महामारी के दौरान भी जर्मनी जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में कोई कमी नहीं आई. 2020-21 में इनकी संख्या करीब 29 हजार, 2021-22 में 35 हजार, 2022-23 में लगभग 43 हजार (42,997) तक पहुंच गई थी. इस साल विंटर सेमेस्टर 2024-25 के लिए यह संख्या 50 हजार के करीब (49,483) पहुंच गई है.
भारतीय छात्रों ने चीन को पीछे छोड़ा
अगर जर्मनी के विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों से दूसरे देशों के छात्रों की तुलना की जाए तो हमने इस मामले चीन को भी पीछे छोड़ दिया है. पिछले साल चीन के छात्रों की संख्या 39,137 थी (भारतीय-42,997) इसके बाद सीरिया (15,563), ऑस्ट्रिया (14,762) और तुर्की (14,732) क्रमश: तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर थे.
सबसे ज्यादा इंजीनियर
डीएएडी द्वारा शेयर किए गए जर्मनी के संघीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, 60 प्रतिशत छात्र इंजीनियरिंग क्षेत्र में हैं. विषयवार नामांकन के अनुसार, जर्मनी में 21 प्रतिशत भारतीय छात्र लॉ, मैनेजमेंट और सोशल स्टडीज की पढ़ाई कर रहे हैं. 13 प्रतिशत मैथ्स और नेचुरल साइंस में हैं और पांच प्रतिशत ने अन्य पाठ्यक्रमों में रजिस्ट्रेशन कराया है.
भारतीय छात्रों को क्यों भा रहा जर्मनी?
जर्मनी में कई विश्वविद्यालय विश्व के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में गिने जाते हैं. वहां शिक्षा प्रणाली व्यावहारिक ज्ञान पर अधिक जोर देती है, जिससे छात्रों को रोजगार के लिए बेहतर तैयार किया जाता है. जर्मनी में शोध के कई अवसर हैं, जिससे छात्र अपने क्षेत्र में नवीनतम विकास के बारे में जान सकते हैं. जर्मन अकादमिक एक्सचेंज सर्विस (DAAD) भारतीय छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए कई तरह की स्कॉलरशिप देता है. एक्सचेंज सर्विस जर्मनी और भारत के बीच विद्वानों दो तरफ जाने वाला आवागमन को बढ़ावा देती है, जिससे दोनों देशों के बीच एकेडमिक आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा मिलता है.