चिकमगलुरु के मुदिगेरे तालुक में महिला एवं बाल कल्याण विभाग के एक नए आदेश में 25% मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में आंगनवाड़ी शिक्षक पदों के लिए कन्नड़ के साथ-साथ उर्दू का ज्ञान भी अनिवार्य कर दिया गया है. इस निर्णय ने कर्नाटक रक्षण वेदिके (करवे) और भाजपा के विरोध को हवा दे दी है, जिनका तर्क है कि कर्नाटक में कन्नड़ को प्रमुख भाषा बनी रहनी चाहिए.
सरकार पर लगे ये आरोप
समूहों ने सरकार पर अल्पसंख्यक भर्ती के लिए उर्दू को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया है और आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है, साथ ही चेतावनी दी है कि अगर कन्नड़ को प्राथमिकता नहीं दी गई तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे.

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कैसे बनते हैं?
कर्नाटक में आंगनवाड़ी टीचर बनने के लिए उम्मीदवारों को सबसे पहले 10वीं या 12वीं कक्षा पास करना आवश्यक है. इसके बाद, उन्हें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद के लिए आवेदन करना होता है, जब राज्य सरकार द्वारा भर्ती अधिसूचनाएँ जारी होती हैं. चयन प्रक्रिया में एक लिखित परीक्षा और साक्षात्कार शामिल हो सकते हैं. सफल उम्मीदवारों को फिर एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेना होता है, जो बाल विकास, स्वास्थ्य और पोषण के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित होता है. प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, उन्हें स्थानीय आंगनवाड़ी केंद्रों पर नियुक्त किया जाता है, जहां वे बच्चों और माताओं के स्वास्थ्य और शिक्षा में योगदान करते हैं. इसी कड़ी में अब मुस्लिम इलाके की आंगनवाड़ी महिलाएं के लिए ऊर्दू को आवश्यक बना दिया है.