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बिहार: UPSC टॉपर शुभम बचपन के स्कूल में पहुंचे, छात्रों को दिए कामयाबी के टिप्स

ज‍िस स्कूल से यूपीएससी टॉपर शुभम ने ज्ञान की पहली सीढ़ी पर कदम रखा, उसी स्कूल में जाकर उन्होंने अपने गुरुजनों के पैर छुए और छोटे बच्चों को कामयाबी के गुर स‍िखाए.

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यूपीएसी टॉपर श‍िवम अपने बचपन के स्कूल में छात्रों से बात करते हुए.
यूपीएसी टॉपर श‍िवम अपने बचपन के स्कूल में छात्रों से बात करते हुए.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बचपन के स्कूल में पहुंचे UPSC टॉपर शुभम
  • छोटे बच्चों को द‍िए कामयाबी के ट‍िप्स

बिहार के UPSC टॉपर शुभम कुमार की इस समय हर तरफ चर्चा हो रही है. आसमान जैसी सफलता पाने के बाद भी वह अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं. यही कारण है क‍ि वे वहां पहुंचे जहां से अपनी प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत की थी.

कटिहार में विवेकानंद शिक्षण संस्थान स्कूल में पहुंचकर शुभम ने गाड़ी से उतरते ही सबसे पहले स्कूल के गुरु के पांव छुए और सभी के साथ म‍िलकर दीप जलाए. शुभम का स्वागत सभी ने फूलमाला और बुके देकर किया.
 
मंच पर से उन्होंने अपनी उन यादों को शेयर क‍िया जब वह सन् 2000 में नर्सरी में थे और फिर इसी स्कूल में LKG और UKG की पढ़ाई की. साथ-साथ सभी बातों को याद कर सभी छोटे-छोटे बच्चों के बीच साझा किया.

शुभम ने पहली बार यहां आने पर स्कूल की घंटी बजने से लेकर शिक्षकों के द्वारा पिटाई खाने की बात को याद किया और बताया क‍ि उन्होंने अपना अनुशासन पालन इसी स्कूल से सीखा है.

इसके बाद शुभम मंच से सीधे बच्चों के बीच सामने आ गए और बैठे बच्चों से पूछने लगे कि तुम पढ़ लिखकर क्या बनोगे. किसी ने कहा डॉक्टर तो किसी ने इंजीनियर तो किसी ने कहा IAS बनूंगा.

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बच्चों के साथ शेयर क‍िए कामयाबी के गुर 

इस पर शुभम ने कामयाबी के राज खुलकर बच्चों के साथ शेयर क‍िये. उन्होंने बच्चों को पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की बातों को दोहराते हुए कहा कि सपने जरूर देखें और उस सपने को साकार करें. बड़े सपने देखने के बाद आप मुकाम तक पहुंच पाएंगे.

आपको जो पसंद है, डांस..गाना या मन में जो आये उसे करिए. वहीं बच्चों के अभिभावकों को कहा कि बच्चे जो बनना चाहें उसे सपोर्ट करिए. मुझे मेरे परिवार का सपोर्ट मिला इसलिए मुझे कभी डर नहीं लगा. बच्चों को जिद्दी बनने की बात सिखाई और खुद को बचपन में जिद्दी होना बताया.

शुभम ने बच्चों से कहा क‍ि माता-पिता, अध्यापक जो सिखाते हैं उसे सुनिए और करिए. शुभम बच्चों को ज्यादा अच्छा बनने और ज्यादा ऊंचाई तक जाने की प्रेरणा देते हैं. एक छात्रा ने IAS कैसे बने ये सवाल शुभम से पूछा और दूसरी छात्रा ने हिंदी पढ़कर IAS कैसे बना जा सकता है ये पूछा तो शुभम ने दोनों सवाल का जवाब देकर उन्हें संतुष्ट किया.

वहीं, एक दिन पहले अभिनंदन समारोह के मंच पर शुभम ने बिहारी होने और मातृभाषा की बात को प्रमुखता से रखा था. शुभम ने आजतक को बताया है कि खुद बिहारी होने पर इन्हें गर्व है और यहां की मिट्टी से जुड़ा होना बताया है. 

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