
10 जुलाई, 1989 का वो दिन. झमाझम बारिश के बीच सेंट स्टीफेंस कॉलेज का फ्रेशर्स डे था. चेहरों पर उत्साह और उमंग का ग्राफ भी हाई था. रोमांच से भरे यंगस्टर्स रंगों से सराबोर माहौल में मस्ती में खोए थे. अचानक हरे-भरे मैदान से घिरे फुटपाथों जिनका रास्ता लाल-भूरे रंग के गलियारों की तरफ जाता था, वहां से एक बड़ा जत्था यहां आ पहुंचा. अब माहौल में शांति भर चुकी थी.
जब यह जत्था करीब आया तो करीब से देखने पर काले सफारी सूट में सशस्त्र कमांडो के बीच एक 5' 7'' इंच लंबा लड़का दिखा. आंखों में चश्मे लगाए, हाथ में कुछ किताबें, एक नोटबुक और एक हीरो फाउंटेन पेन पकड़े हुए था. अब हरेक के बीच यह चर्चा होने लगी कि आखिर ये है कौन? यह कोई और नहीं 19 बरस के राहुल गांधी थे. लोगों को पता चला कि ये प्रधानमंत्री का बेटा है जिसने इतिहास की पढ़ाई के लिए सेंट स्टीफेंस कॉलेज में दाखिला लिया है. तभी राहुल गांधी ने कॉलेज के गलियारे में मौजूद अपने सुरक्षा गार्डों को वहां से हटने का इशारा किया.
बता दें कि इस कॉलेज से उस दौर में कई प्रतिष्ठित राजनेता, लेखक, सिविल सर्वेंट और स्कॉलर्स निकले थे. अब राहुल के लिए परेशानी यह थी कि उन्होंने बारहवीं कक्षा CBSE बोर्ड से 61 पर्सेंट नंबर से पास की थी. देखा जाए तो इस क्लास में उन्होंने बहुत अच्छा नहीं किया था. हालांकि, उन्हें स्पोर्ट्स कोटे पर सेंट स्टीफंस में एक्सेप्ट कर लिया गया. दाखिले के नियमानुसार होनहार खिलाड़ियों को उनके परीक्षा अंकों में 10 प्रतिशत का लाभ मिलता था. राहुल को देखा जाए तो 'पिस्टल' चलाने का लाभ मिला और बीए (ऑनर्स) इतिहास में सीट मिली. वह दिल्ली शूटिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक विजेता थे और जुलाई 1989 तक, राहुल आठ राष्ट्रीय पुरस्कारों के विजेता थे.
दाखिले से कैसे उठा विवाद
उस दौर में राहुल के दाखिले से जुड़ी खबरें दिल्ली के कई प्रमुख अखबारों की सुर्खियां बनीं. भाजपा के तत्कालीन दिल्ली अध्यक्ष मदन लाल खुराना ने यह आरोप लगाते हुए तुरंत हमला किया कि राहुल के राइफल शूटिंग स्किल अवैध थे या 'नकली' दस्तावेजों पर आधारित थे. जाने-माने पत्रकार और राजीव गांधी के मित्र सुमन दुबे प्रधानमंत्री कार्यालय में थे. तब दुबे ने सेंट स्टीफंस में राहुल के प्रवेश का स्वागत करते हुए टिप्पणी की थी कि "19 साल से कम उम्र के कितने लड़कों ने राष्ट्रीय स्तर पर आठ पदक जीते हैं?". इसी के बाद विवादों ने जन्म लिया.

इसके बाद नेशनल राइफल एसोसिएशन सामने आया और एक कुशल राइफल शूटर के रूप में राहुल की साख को सामने रखा. इस प्रशंसापत्र से पता चलता है कि राहुल 26 दिसंबर, 1988 से 5 जनवरी, 1989 तक नई दिल्ली में आयोजित 32वीं राष्ट्रीय निशानेबाजी प्रतियोगिता में चौथे स्थान पर रहे थे. राहुल गांधी सेंटर फायर पिस्टल 25 एम (इंडियन रूल) पुरुषों की नागरिक स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहे थे. उन्होंने 400 में से 371 अंकों का प्रभावशाली स्कोर किया था. तब कई युद्ध विधाओं में, अलग-अलग कारणों से तीसरे और चौथे स्थान पर रहने वालों को कांस्य पदक प्रदान किए जाते थे.
कॉलेज ने रखा पक्ष, कहा- दो स्टूडेंट्स के राहुल से कम नंबर
दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों जैसे सेंट स्टीफंस, हिंदू, हंसराज, किरोड़ीमल, लेडी श्रीराम, मिरांडा हाउस आदि में दाखिले के लिए स्पोर्ट्स कोटा हमेशा से एक प्रीमियम और दूसरों से आसान पासपोर्ट रहा है. इस कोटे से दाखिले के लिए 1980 के दशक में 12वीं की परीक्षा में शैक्षणिक प्रतिशत 75-90 पर्सेंट के बीच कुछ भी चल जाता था. उस समय दिल्ली विश्वविद्यालय की गाइडलाइन के अनुसार, कोई भी उत्कृष्ट खिलाड़ी जिसने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्थान प्राप्त किया हो. उसे एडमिशन पाने की अनुमति दी गई थी. बशर्ते, उसने स्कूल बोर्ड परीक्षाओं में 40 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हों. 1989 में सेंट स्टीफंस ने उस वर्ष खेल कोटा श्रेणी में 40 छात्रों को प्रवेश दिया था और नौ छात्रों को हिस्टी (ऑनर्स) कोर्स में नामांकित किया गया था. कॉलेज के शारीरिक शिक्षा और खेल निदेशक क्लेमेंट राजकुमार ने कहा था कि भर्ती किए गए फुटबॉलरों में से दो ने राहुल से कम अंक हासिल किए हैं. राहुल ने सीबीएससी स्कूल सर्टिफिकेट में 61 फीसदी अंक हासिल किए थे.
इन हस्तियों ने भी लिया है स्पोर्ट्स कोटे से एडमिशन
हिस्ट्री, इकोनॉमिक्स और यहां तक कि बी कॉम कोर्सेज में खेल कोटे से दाखिले का अर्थ यह नहीं है कि खेल कोटे से एडमिशन वाले छात्रों को उत्कृष्ट खिलाड़ी के रूप में बाहर आना होगा. अब शाहरुख खान का ही उदाहरण लें, उन्होंने कथित तौर पर हंसराज कॉलेज में हॉकी खिलाड़ी के रूप में एडमिशन लिया था. हॉकी के लिए उनका यह जुनून बहुत बाद में ब्लॉकबस्टर 'चक दे!' फिल्म में नजर आया. इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी एक उत्कृष्ट तैराक के रूप में सेंट स्टीफंस के BA (Pass) पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया, जबकि सचिन पायलट को निशानेबाज के रूप में इंग्लिश (हॉनर्स) में दाखिला मिला. राहुल और ज्योतिरादित्य दोनों ने कॉलेज में शामिल होने के एक साल के भीतर स्टीफंस छोड़ दिया, जबकि पायलट ने राष्ट्रीय स्तर पर खेला और सेंट स्टीफंस की शूटिंग टीम की कप्तानी की.
डॉक्टर राजपाल सिंह, जो राहुल के कोच थे और खुद एक अंतरराष्ट्रीय पिस्टल शूटर थे. डॉ राजपाल के अनुसार 1988 के नेशनल शूटिंग में राहुल का चौथा स्थान प्रभावशाली था क्योंकि देश भर से 48 प्रतिभागियों ने भाग लिया था, जिसमें कई पुलिस कर्मी भी शामिल थे, जो राहुल के स्कोर से बहुत पीछे थे. राष्ट्रीय प्रतियोगिता से पहले राहुल ने तुगलगाबाद रेंज में आयोजित दिल्ली शूटिंग चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण, एक रजत और चार कांस्य पदक जीते थे.
खेल कोटे से एडमिशन लेने वाले राहुल अकेले निशानेबाज नहीं
सेंट स्टीफंस में शारीरिक शिक्षा और खेल विज्ञान विभाग के प्रमुख सुशांत कुमार चक्रवर्ती ने कहा कि खेल कोटे से एडमिशन लेने वाले राहुल अकेले निशानेबाज नहीं हैं. वास्तव में, सेंट स्टीफंस को कर्णी सिंह, हरिसिमरन संधू, मानेशर सिंह, रणधीर सिंह और रणदीप मान जैसे कई लोगों को अपने रोल पर रखने का गौरव प्राप्त है. चक्रवर्ती ने तब कहा था, 'सिर्फ इसलिए कि वह प्रधानमंत्री के बेटे हैं, हम उन्हें उत्कृष्ट खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाओं से वंचित नहीं कर सकते.'
उस दौर में भारतीय ओलंपिक संघ भी राहुल के समर्थन में उतर आया था. आईओए के तत्कालीन अध्यक्ष बी आदित्यन और सचिव और रणधीर सिंह ने राहुल द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का सत्यापन किया था. पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ राजपाल ने आश्चर्य जताया था कि विपक्ष ने तथ्यों की पुष्टि किए बिना विवाद को हवा क्यों दी. ये प्रतियोगिताएं जिसमें राहुल ने भाग लिया था, वे पूरे पब्लिक व्यू में आयोजित की गई थीं और प्रिंट मीडिया के खेल पेजों 'राहुल गांधी स्टील्स द शो', 'राहुल एक्सेल, राहुल की शानदार शुरुआत' जैसी हेडलाइंस में सुर्खियों में छपी थीं. डॉ राजपाल ने सितंबर 1988 में में कहा कि उन्हें राजीव गांधी का एक टेलीफोन कॉल आया था जिसमें उन्होंने अपने बेटे को प्रशिक्षित करने का अनुरोध किया था. मुझे जल्द ही एहसास हो गया कि राहुल में अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज बनने की क्षमता है. उनमें जबर्दस्त फिजिकल स्ट्रेंथ और मेंटल स्टेमिना है. डॉ राजपाल ने ये भी कहा था कि 1600 ग्राम की पिस्तौल को लगातार छह घंटे तक उठाना आसान काम नहीं है.
अजीत सिंह की बेटी ने भी किया समर्थन
राहुल के लिए डॉ. राजपाल की प्रशंसा का समर्थन जनता दल के नेता अजीत सिंह की बेटी दीप्ति सिंह ने किया, जबकि राजीव गांधी की घोर विरोधी थीं. दीप्ति खुद भी दिल्ली स्टेट शूटर थीं. उन्होंने राहुल की दिल खोलकर तारीफ करते हुए कहा कि राहुल एक बेहतरीन शूटर हैं. दरअसल, मौजूदा समय में वह दिल्ली में सबसे होनहार हैं. मुझे यकीन है कि अगर वह अच्छे से ध्यान दे दें तो वो आसानी से एक राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्टार बन सकते हैं.
राहुल के बयान पर फिर सालों बाद 'विवाद'
भले ही राहुल लंबे समय तक सेंट स्टीफंस कॉलेज में नहीं रहे. वो फ्लोरिडा मूव हो गए, वहां से हायर डिग्री के लिए कैंब्रिज चले गए. लेकिन St. Stephen हमेशा उनके जेहन में रहा. नवंबर 2012 में उन्होंने श्रीनगर, उत्तराखंड में इसका जिक्र करते हुए कि जब मैं सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढ़ रहा था, तब क्लास के बीच में सवाल पूछना सही नहीं माना जाता था. यदि आपने बहुत अधिक सवाल पूछे तो आपको नीचा दिखाया जाता था. राहुल एचएन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर में छात्रों को संबोधित कर रहे थे, जब उन्होंने भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली और संयुक्त राज्य अमेरिका और इंग्लैंड के बीच अंतर करने के लिए इस अल्मा मेटर पर कटाक्ष किया.
राहुल के इस बयान को फैकल्टी और पूर्व छात्रों ने लगभग अविश्वास के साथ "उनका व्यक्तिगत अनुभव" करार दिया और सेंट स्टीफंस में शैक्षणिक माहौल के सामान्यीकरण का आधार नहीं बताया. कॉलेज के प्रिंसिपल वाल्सन थम्पू ने एक प्रेस बयान जारी करके कहा कि राहुल गांधी ने जो कहा वह उनका व्यक्तिगत अनुभव है और अन्यथा विश्वास करने का कोई कारण नहीं है. कॉलेज में समग्र शैक्षणिक माहौल के बारे में इस तरह का सामान्यीकरण करना निश्चित रूप से सही नहीं हो सकता है.