वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण-4 (2019) के मुताबिक भारत में 38 प्रतिशत सिगरेट, 47 प्रतिशत बीड़ी पीने वाले और 52 प्रतिशत धुआं रहित तंबाकू का सेवन करने वाले अपने 10वें जन्मदिन से पहले इसका उपयोग शुरू कर देते हैं. गांधी जयंती पर शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार ने डिजिटल कॉन्फ्रेंस में एक नया अभियान 'प्रॉमिस टू प्रोटेक्ट' लॉन्च किया है. इसमें पूरे भारत से 1,000 से ज्यादा शिक्षकों को जोड़ा जाएगा. ये शिक्षक छात्रों एवं युवाओं को तंबाकू की लत से बचाने और अपने स्कूलों को तंबाकू मुक्त रखने की प्रतिज्ञा दिलाएंगे.
प्रॉमिस टू प्रोटेक्ट एक खास डिजिटल अभियान है, जिसमें प्रतिज्ञा भी शामिल है. इसका उद्देश्य तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना और युवाओं को तंबाकू का सेवन शुरू करने से रोकने की दिशा में प्रयास करना है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थानों पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप यह अभियान भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित बनाते हुए इसे बढ़ावा देगा. प्रसिद्ध टेलीविजन अभिनेता और प्रस्तुतकर्ता करणवीर बोहरा द्वारा संचालित डिजिटल कॉन्फ्रेंस में प्रख्यात वक्ता और पैनलिस्ट शामिल हुए.
शामिल होने वालों में संजय कुमार, सचिव (स्कूल शिक्षा), शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. जोसेफ इमैनुएल, निदेशक (शैक्षणिक), केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), डॉ. पंकज चतुर्वेदी, हेड एंड नेक कैंसर सर्जन, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल और डॉ. विशाल राव, ग्रुप डायरेक्टर, हेड एंड नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी एंड रोबोटिक सर्जरी, एचसीजी कैंसर सेंटर, बेंगलुरु प्रमुख नाम हैं. इनके अलावा, कॉन्फ्रेंस में तंबाकू सेवन के पीड़ितों को भी आमंत्रित किया गया, जिन्होंने अपनी जीवन यात्रा और तंबाकू सेवन के कारण उत्पन्न संघर्षों के बारे में बात की.
देश के युवाओं के लिए एक स्वस्थ और तंबाकू मुक्त भविष्य के निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के संकेत के रूप में 1,000 शिक्षकों और उनके स्कूलों ने एक साथ ऑनलाइन प्रतिज्ञा कार्यक्रम हुआ. इसमें अब तक लगभग 1 लाख से अधिक स्कूली शिक्षकों और छात्रों द्वारा प्रतिज्ञाएं ली जा चुकी हैं. चयनित शिक्षकों ने स्थिति को गंभीरता प्रदान करते हुए तंबाकू सेवन और इसके गहरे प्रभाव से जुड़ी हुईं मार्मिक व्यक्तिगत कहानियां साझा कीं. सहयोगियों ने अपने पाठ्यक्रम में तंबाकू नियंत्रण शिक्षा को लागू करने के लिए अपनी शैक्षिक पहल और योजनाएं प्रस्तुत की, जिसमें तंबाकू सेवन की शुरुआत को रोकने में प्रारंभिक शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया.
टीन एज में ही लगती है लत
अपने भाषण में संजय कुमार, आईएएस, सचिव (स्कूल शिक्षा) ने कहा कि भारत तंबाकू उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है और बड़ी संख्या में वयस्कों को तंबाकू की लत किशोरावस्था के दौरान ही लगती है. स्कूल जाने वाले बच्चों को आसानी से तंबाकू का सेवन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है, जिसका स्वास्थ्य और कल्याण पर लंबे समय तक हानिकारक प्रभाव पड़ता है. मेरा मानना है कि "प्रॉमिस टू प्रोटेक्ट" जैसी पहल में शिक्षकों, छात्रों और युवाओं को एकसाथ एक मंच पर लाने की क्षमता है और यह विभिन्न सरकारी संस्थाओं और संगठनों के प्रयासों को एकजुट करेगा. उन्होंने शिक्षकों से व्यक्तिगत स्तर पर छात्रों के साथ जुड़ने और उन्हें किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करने का आह्वान किया.
डॉ. जोसेफ इमैनुएल, निदेशक, सीबीएसई ने कहा कि तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान दिशा निर्देश (टीईएफआई) का लक्ष्य शैक्षणिक संस्थानों के आसपास धूम्रपान मुक्त वातावरण का निर्माण करना है. यह शैक्षणिक परिसरों में तंबाकू उत्पादों की बिक्री, विज्ञापन और उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है, जिससे एक स्वस्थ शिक्षण माहौल सुनिश्चित हो सके.
चौंकाने वाले हैं आंकड़े
डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि तंबाकू का उपयोग दुनिया में मौत का एक प्रमुख कारण है, जिसे रोका जा सकता है और भारत में, यह सालाना करीब 10 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार है. भारत में, 15 वर्ष से अधिक उम्र के 28.6 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि पूरे देश में स्कूलों द्वारा छात्रों को तंबाकू के खतरों के बारे में शिक्षित करने के लिए विभिन्न पहल और नवीन शिक्षण विधियों को अपनाया जा रहा है, छात्रों को तंबाकू के उपयोग के खतरों के बारे में शिक्षित करने के लिए स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू करना महत्वपूर्ण है. तंबाकू विरोधी शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करना आवश्यक है. मैं युवाओं को तंबाकू के सेवन की आदत छोड़ने की लिए प्रोत्साहित करता हूं और इसे स्टाइल स्टेटमेंट नहीं मानता, चाहे तंबाकू उद्योग और ओटीटी प्लेटफॉर्म इसे बढ़ावा देने की कितनी भी कोशिश कर लें.
करणबीर वोहरा ने कहा कि गांधीजी की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हुए, मुझे 'प्रॉमिस टू प्रोटेक्ट' अभियान का हिस्सा बनने पर गर्व है, जो हमारे देश के भविष्य को तंबाकू के चंगुल में फंसने से सुरक्षित रखना चाहता है. मैं इस अभियान का नेतृत्व करने के लिए शिक्षा मंत्रालय का बहुत आभारी हूं. यह केवल एक कारण नहीं है, यह एक आह्वान है. मैं सभी से आग्रह करता हूं कि वे हमारे साथ जुड़ें, हमारी वेबसाइट पर प्रतिज्ञा लें और बदलाव का प्रतीक बनें. आइए सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करें कि हमारे बच्चों का एक स्वस्थ, तंबाकू मुक्त भारत विरासत में मिले.
प्रॉमिस टू प्रोटेक्ट प्रतिज्ञा वेबसाइट पर लें ये प्रतिज्ञा
“हम, भारत के शिक्षक और छात्र, अपने दोस्तों, अपने परिवारों, खुद को और अपने ग्रह को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों से
बचाने का वादा करते हैं. हम तंबाकू मुक्त भारत का समर्थन करने के लिए शिक्षित करने, प्रेरित करने और समर्थन करने का वादा करते हैं.'' आज यही शपथ हर युवा के लिए है.
बनेगा नशामुक्त भारत
कॉन्फ्रेंस में दो अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 153वीं जयंती के अवसर पर 'नशा मुक्त भारत' (देश को नशा मुक्त बनाने के उद्देश्य के लिए सरकार की पहल) के विचार को मजबूत किया गया. साल 2008 में आज ही के दिन सरकार ने देश में धूम्रपान-मुक्त कानून भी अनिवार्य किया था. कार्यक्रम में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि जिस तरह महात्मा गांधी ने भारत को आजादी की राह पर आगे बढ़ाया, उसी तरह आज हमारे शिक्षक हमारे युवाओं को तंबाकू मुक्त भविष्य की ओर ले जा सकते हैं. यह अभियान इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरकुलोसिस एंड लंग डिजीज के साथ भागीदारी में विकसित किया गया है. 21 सामाजिक संगठन इस अभियान के साथ जुड़े हैं और शिक्षकों, स्कूलों और प्रतिज्ञाओं का एक बड़ा नेटवर्क जुटाने में मदद की. अधिक जानकारी के लिए www.dsel.education.gov.in पर जाएं.