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जामिया यूनिवर्सिटी में विवादित सवाल पर प्रोफेसर सस्पेंड, जांच समिति गठित

जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बीए सोशल वर्क की परीक्षा में पूछे गए एक सवाल को विवादास्पद सवाल बताकर प्रोफेसर वीरेंद्र बालाजी शाहारे को निलंबित किया गया है, साथ ही प्रशासन ने FIR और आंतरिक जांच का फैसला लिया है. 

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जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बीए सोशल वर्क की परीक्षा में विवादास्पद सवाल पूछे गए.(Photo: jamiamilliaislamia_official)
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बीए सोशल वर्क की परीक्षा में विवादास्पद सवाल पूछे गए.(Photo: jamiamilliaislamia_official)

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में एक परीक्षा प्रश्न को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. सोशल वर्क विभाग के एक प्रोफेसर को कथित तौर पर विवादास्पद सवाल पूछने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. यह सख्त कार्रवाई सेमेस्टर परीक्षा के एक प्रश्न पत्र में 'मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' से संबंधित एक विवादास्पद सवाल पूछने के बाद की गई है.

विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले की जांच के लिए समिति भी गठित कर दी है. जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) ने सोशल वर्क विभाग के प्रोफेसर वीरेंद्र बालाजी शहारे को सस्पेंड कर दिया है. यह कार्रवाई बीए (ऑनर्स) सोशल वर्क के पहले सेमेस्टर की एंड-सेमेस्टर परीक्षा के प्रश्नपत्र को लेकर हुई है. यह परीक्षा 2025–26 शैक्षणिक सत्र के लिए आयोजित की गई थी और पेपर का विषय था 'भारत में सामाजिक समस्याएं'

मामले की जांच के लिए समिति गठित
विश्वविद्यालय को इस प्रश्नपत्र को लेकर कई शिकायतें मिली थीं. शिकायतों के बाद जामिया प्रशासन ने कहा कि प्रोफेसर की ओर से लापरवाही और असावधानी बरती गई है. इसके बाद 23 दिसंबर को जारी आदेश में उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया और मामले की जांच के लिए एक जांच समिति बनाई गई है. जामिया की चीफ पब्लिक रिलेशंस ऑफिसर सायमा सईद ने बताया कि जांच पूरी होने तक प्रोफेसर निलंबन में रहेंगे. निलंबन आदेश के अनुसार, जांच के दौरान उनका मुख्यालय नई दिल्ली ही रहेगा और बिना अनुमति वे शहर नहीं छोड़ सकेंगे. साथ ही नियमों के अनुसार पुलिस में शिकायत दर्ज करने की भी बात कही गई है.

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कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं 
सूत्रों के मुताबिक, जिस सवाल को लेकर विवाद हुआ, उसमें छात्रों से भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचारों पर उदाहरण सहित चर्चा करने को कहा गया था. इसी प्रश्न को आपत्तिजनक और भड़काऊ बताया गया. हालांकि, विश्वविद्यालय ने अब तक आधिकारिक तौर पर यह साफ नहीं किया है कि प्रश्न पत्र के किस हिस्से पर आपत्ति जताई गई है.

फिलहाल पूरे मामले की जांच जारी है और जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी ने एक परीक्षा प्रश्न को लेकर उठे विवाद को गंभीरता से लिया है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने संबंधित प्रोफेसर के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने का फैसला किया है और उन्हें नोटिस भी भेजा गया है. हालांकि, अब तक जामिया प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है.

जानें विवाद का कारण
यह विवाद बी.ए. (ऑनर्स) सोशल वर्क के पहले सेमेस्टर की परीक्षा से जुड़ा है. ‘भारत में सामाजिक समस्याएं’ विषय के प्रश्न पत्र में 15 अंकों का एक सवाल पूछा गया था, जिसमें छात्रों से भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों पर उदाहरण के साथ चर्चा करने को कहा गया था. जैसे ही इस प्रश्नपत्र की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई, विवाद शुरू हो गया. कई एक्सपर्ट ने इस सवाल को भड़काऊ और समाज को बांटने वाला बताया.

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इसी बीच, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने जामिया का कथित नोटिस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शेयर किया. 23 दिसंबर 2025 को जारी इस नोटिस में कहा गया है कि सोशल वर्क विभाग के प्रोफेसर और पेपर सेटर वीरेंद्र बालाजी शाहारे को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. साथ ही नियमों के अनुसार पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने और आंतरिक जांच शुरू करने की बात भी कही गई है.

'बिना अनुमति शहर नहीं छोड़ सकते'
नोटिस में यह भी साफ किया गया है कि निलंबन के दौरान प्रोफेसर शाहारे का मुख्यालय नई दिल्ली रहेगा और वे बिना अनुमति शहर नहीं छोड़ सकते. जामिया प्रशासन का कहना है कि प्रोफेसर की ओर से लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाया गया, जिसे गंभीरता से लिया गया है.

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कंचन गुप्ता ने कहा कि जामिया एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, जहां अलग-अलग समुदायों के छात्र पढ़ते हैं, और ऐसा सवाल गलत मंशा को दिखाता है. गौरतलब है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया नई दिल्ली में स्थित एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना 1920 में हुई थी और 1988 में इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला. 2011 में इसे आधिकारिक रूप से अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान के रूप में मान्यता दी गई थी.

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