CBI अब NEET पेपर लीक मामले की जांच कर रही है. सोमवार की सुबह CBI की टीम EOU ऑफिस पहुंची और EOU से अबतक की जांच को लेकर CBI टीम जानकारी ले रही है. इस मामले में ईओयू की जांच में एक व्यापक नेटवर्क का खुलासा होने के बाद, मामले को अब आगे की कार्रवाई के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया है. ईओयू की जांच में खुलासा किया है कि परीक्षा पेपर हैंडलिंग के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल में महत्वपूर्ण खामियां थी, जिससे सख्त उपायों की मांग की जा रही है.
पटना पुलिस/बिहार ईओयू की 42-दिवसीय जांच
NEET UG-2024 पेपर लीक ने भारत की सबसे महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाओं में से एक की अखंडता पर संदेह पैदा कर दिया है. पटना पुलिस द्वारा 42 दिनों की जांच और उसके बाद बिहार के EOU द्वारा की गई जांच के बारे में सीबीआई सारे अपडेट ले रही है.
अब तक क्या हुआ
खुफिया जानकारी जुटाने और तकनीकी निगरानी के ज़रिए, EOU प्रश्नपत्र लीक के मुख्य मास्टरमाइंड से दो और प्रमुख संदिग्धों की पहचान करके उन्हें गिरफ़्तार किया. झारखंड के देवीपुर में एक फार्महाउस पर एक छापेमारी में संदिग्धों को गिरफ़्तार किया गया. गिरफ़्तार किए गए लोगों में से एक, बलदेव कुमार उर्फ चिंटू, गिरोह के कुख्यात नेता संजीव कुमार उर्फ लूटन मुखिया का अहम लिंक था.
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बलदेव कुमार को परीक्षा की सुबह हल किए गए NEET प्रश्नपत्र की पीडीएफ़ मिली थी. छपरा में लर्न बॉयज़ हॉस्टल और प्ले स्कूल में वाई-फाई प्रिंटर का उपयोग करके, उसने और उसके साथियों ने प्रतियां छापीं और उन्हें उम्मीदवारों के समूहों में वितरित किया. उम्मीदवारों को पहचान छिपाने के लिए निर्दिष्ट ड्रॉप-ऑफ पॉइंट और टैक्सियों का उपयोग करके सख्त गोपनीयता के तहत इस जगह पर लाया गया था. टैक्सी चालक मुकेश कुमार को भी गिरफ़्तार किया गया और उसका वाहन जब्त कर लिया गया.
जांच में मिले साक्ष्य
जांच में महत्वपूर्ण सफलता तब मिली जब एनटीए ने संदर्भ प्रश्नपत्र की एक प्रति उपलब्ध कराई, जिसका मिलान लर्न बॉयज हॉस्टल से जब्त किए गए आधे जले हुए प्रश्नपत्र से किया गया. जब्त किए गए प्रश्नपत्र पर सीरियल कोड झारखंड के हजारीबाग में एक परीक्षा केंद्र से मेल खाता था. प्रारंभिक जांच में प्रश्नपत्रों की पैकिंग में छेड़छाड़ का पता चला, जो वितरण स्तर पर उल्लंघन की तरफ इशारा करता है.
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ईओयू ने इन चार को किया गिरफ्तार
1. बलदेव कुमार उर्फ चिंटू: लीक में मुख्य व्यक्ति, झारखंड के देवीपुर से गिरफ्तार किया गया.
2. मुकेश कुमार: टैक्सी ड्राइवर जिसने उम्मीदवारों को लाने-ले जाने में मदद की
3. पंकू कुमार: डुप्लीकेट सिम कार्ड और आश्रय मुहैया कराया
4. राजीव कुमार उर्फ करू: लॉजिस्टिक सहायता मुहैया कराने में शामिल
5. परमजीत सिंह उर्फ बिट्टू: लॉजिस्टिक और तकनीकी सहायता नेटवर्क का हिस्सा