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जया किशोरी के 'कॉन्फिडेंस' के पीछे क्या राज है, जानिए- कितनी की पढ़ाई, कैसे चुना ये करियर

Jaya Kishori Education Qualification: कथावाचिका और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी का जन्म कोलकाता में 13 जुलाई 1995 को एक गौर ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उन्होंने महज 6 वर्ष की उम्र से अध्यात्म की दुनिया में कदम रखा था और भजन-कीर्तन करना शुरू किया था.

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जया किशोरी (Photo Source- Instagram @iamjayakishori)
जया किशोरी (Photo Source- Instagram @iamjayakishori)

जब भी अध्यात्म और मोटिवेशनल स्पीकर्स की बात होगी तो उनमें एक नाम जया किशोरी का भी है. जया किशोरी आज भारत ही नहीं बल्कि कई देशों में जाना-माना नाम बन चुकी हैं. उनकी 'नानी बाई रो मायरो' कथा और 'श्रीमद्भगवत गीता' कथा विदेशों में भी मशहूर है. आज उनके लाखों की संख्या में फॉलोअर्स हैं, लेकिन उनमें से शायद कम ही लोग जानते हैं होंगे कि अध्यात्म के रास्ते पर जया किशोरी ने पहला कदम कब, क्यों और कैसे रखा था. वह कितनी पढ़ी-लिखी हैं?

6 साल की उम्र में रखा था अध्यात्म की दुनिया में कदम
जया किशोरी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह 6 साल की थीं, तब उन्होंने भजन-कीर्तन करना शुरू कर दिया था. जब अध्यात्म की ओर उनके झुकाव की वजह पूछी गई तो उन्होंने बताया कि पहले से ही घर का माहौल पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन की तरफ था. सभी शाम के समय हनुमान चालीसा का पाठ करते थे, सप्ताह में एक बार कीर्तन हो जाता था. इसी वजह से 6 साल की उम्र में इसकी शुरुआत हुई. पहले भजनों से, फिर कथाओं से और अब मोटिवेशनल सेशन कर रही हूं.

स्कूल के दिनों में किया संघर्ष
जया किशोरी बताती हैं कि स्कूल के दिनों से ही उनका संघर्ष शुरू हो गया था. एक तरफ भजन-कीर्तन और कथावाचन करती थीं तो दूसरी तरफ स्कूल की पढ़ाई थी. परिवार की मदद से दोनों चीजों को अच्छे से बैलेंस किया. हालांकि उन्हें इन दोनों चीजों को बैलेंस करने में काफी संघर्ष करना पड़ा. वे बताती है कि वे मध्यवर्गीय परिवार से हैं तो उस समय फ्लाईट से ट्रैवल करना मुमकिन नहीं था, ऐसे में ट्रेन से ही सफर करते थे. कई बार कथावाचन के बाद सुबह 5-5.30 बजे अपने स्टेशन पर पहुंचते थे. वे ट्रेन में ही स्कूल के लिए तैयार होती थीं, स्कूल ड्रेस पहनकर सीधा स्कूल चली जाती थीं. स्कूल के बाद ट्यूशन भी होते थे.

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10वीं क्लास में लिखी श्रीमद्भभगवत गीता
कथावाचिका और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब उन्हें पहली बार श्रीमद्भगवत गीता लिखी, तब उनकी 10वीं बोर्ड परीक्षाएं होने वाली थी. दोनों को मैनेज करने में थोड़ी परेशानी हुई लेकिन उससे मल्टीपल वर्क करने की प्रेरणा मिली जिसका आगे भी काफी फायदा हो रहा है.

ओपन से की बीकॉम की पढ़ाई- बताई वजह
जया किशोरी ने ओपन से BCom की पढ़ाई की है. उन्‍होंने बताया है कि पढ़ाई के लिए परिवार ने शुरू से ही काफी सपोर्ट किया था. कई बार उनके पिता भी साथ बैठकर पढ़ते थे. ओपन से बीकॉम करने पर उन्होंने बताया कि स्कूल के दिनों दोनों चीजों को मैनेज करने में काफी मुश्किल होती थी. इसलिए उन्होंने पिता से कहा कि वे रोजाना कॉलेज नहीं जाना चाहती. तब उनके पिता ने ओपन लर्निंग में एडमिशन करा दिया. हालांकि एक वजह उनके दोस्त भी हैं, जो उसी कॉलेज से ओपन से बीकॉम की पढ़ाई कर रहे थे.

बता दें कि जया किशोरी का जन्म कोलकाता में 13 जुलाई 1995 को गौर ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम शिव शंकर शर्मा और माता का नाम सोनिया शर्मा है. जया की बहन का नाम चेतना शर्मा है. जया की स्कूलिंग कोलकाता के श्री शिक्षायतन कॉलेज और महादेवी बिरला वर्ल्ड एकेडमी से हुई थी. 

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