दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रसंघ (JNUSU) के छात्र इन दिनों भूख हड़ताल पर हैं. आज इस भूख हड़ताल का 12वां दिन है, और छात्रों का आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है. छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. जेएनयू के काउंसलर अजय पाल सिंह ने बताया कि छात्रों की मुख्य मांगें क्या हैं.
छात्रों की पहली मांग
छात्रों की डिमांड है कि चार साल तक कोई पीएचडी छात्र अपना कोर्स पूरा कर ले, उसके बाद रिसर्च के दौरान भी छात्रों को हॉस्टल अलॉट किया जाए, लेकिन विश्वविद्यालय का कहना है कि चार साल पूरा होते ही वे पीएचडी छात्रों ने हॉस्टल खाली करवा देंगे. जब पीएचडी छात्रों को उनके शैक्षणिक समय बढ़ाने पर हॉस्टल खाली करने का नोटिस मिला, तो उनमें डर और चिंता बढ़ गई कि कहीं उन्हें रिसर्च खत्म करने से पहले ही हॉस्टल से निकाल न दिया जाए.
छात्रों की दूसरी मांग
छात्रों की प्रशासन से दूसरी मांग ये है कि पीएचडी छात्रों का एडमिशन विश्विविद्यालय के निजि एंट्रेंस एग्जाम के जरिए ही किया जाए, यूजीसी नेट एग्जाम के जरिये नहीं. लेकिन प्रशासन ने छात्रों की इस मांग पर अभी तक कोई सहमति नहीं जताई है.
छात्रों की तीसरी मांग
छात्रों की तीसरी मांगमेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति को लेकर हैं. उनका कहना है कि अन्य कोर्स जैसे बीए-एमए आदि कोर्स के आर्थिक रूप से वंचित छात्रों के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है उसका पैसा बढ़ाकर पांच हजार रुपये किया जाए. अभी तक छात्रों को दो हजार रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है. छात्रों का इस मांग पर विश्वविद्यालय का कहना है कि उनके पास अभी कंद्र की तरफ से बजट नहीं है, इसलिए वे छात्रवृति का पैसा नहीं बढ़ा सकते.
छात्रों की चौथी मांग
छात्रों की चौथी मांग ये है कि छात्रावास के लिए उन्हें जो ज्ञापन साइन करने के लिए दिया गया है, उसे कैंसिल किया जाए. इस ज्ञापन में यह भी लिखा है कि स्टूडेंट्स किसी भी तरह का प्रोटेस्ट नहीं कर सकते हैं. अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें अच्छा-खासा फाइन देना पड़ेगा.
छात्रसंघ का कहना है कि 7 जुलाई को उन्होंने डीन ऑफ स्टूडेंट्स (DOS) से मांग की थी कि जब पढ़ाई का समय बढ़े तो हॉस्टल की सुविधा भी अपने आप बढ़ा दी जाए, लेकिन प्रशासन ने ऐसा करने की बजाय छात्रों से एक शपथपत्र भरवाने को कहा, जिसमें उन्हें विश्वविद्यालय का “मानवीय आधार पर धन्यवाद” देना होगा और पीएचडी जमा करने की आखिरी तारीख बतानी होगी. अगर वे ऐसा नहीं करते, तो उनकी हॉस्टल सुविधा बंद कर दी जाएगी.
कुलपति की छात्रों से गंभीर अपील
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलपति प्रो. शांतिश्री डी. पंडित ने पिछले 15 दिनों से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों से एक गंभीर अपील की है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के नेतृत्व में चल रही यह भूख हड़ताल तीन प्रमुख मांगों पर केंद्रित है: जेएनयू प्रवेश परीक्षा (जेएनयूईई) को बहाल करना, मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति में वृद्धि, और शैक्षणिक विस्तार वाले पीएचडी छात्रों को जारी किए गए छात्रावास निष्कासन नोटिस को रद्द करना.
हाल ही में एक ईमेल संदेश में, प्रो. पंडित ने हड़ताली छात्रों के स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त की और अपनी अपील के लिए चिकित्सा मूल्यांकन को आधार बताया. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि छात्रों की मांगें यह न तो प्रशासन के हिसाब से व्यवहारिक हैं और न ही कानून के अनुसार मान्य, जो दिखाता है कि मौजूदा व्यवस्था में इन मांगों को पूरा करना बहुत मुश्किल है.
प्रो. पंडित ने अपने संदेश में छात्रों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया और संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की मांग की. उन्होंने आशा व्यक्त की कि बातचीत के माध्यम से, छात्रों के स्वास्थ्य और कल्याण को और अधिक खतरे में डाले बिना मुद्दों को ढंग से सुलझाया जा सकता है. जैसे-जैसे भूख हड़ताल अपने तीसरे सप्ताह में प्रवेश कर रही है, स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, दोनों पक्षों पर आपसी सहमति से समाधान निकालने का दबाव है.