प्राचीन काल में गुरु-शिष्य का संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण और आत्मीय होता था, जहां गुरु ज्ञान और अनुभव के स्रोत होते थे और शिष्य ज्ञान प्राप्त करने के लिए समर्पित रहता था. शिष्य को यह विश्वास होता था कि गुरु कभी उसका अहित नहीं कर सकते, और इस विश्वास के कारण उसमें गुरु के प्रति अगाध श्रद्धा और समर्पण होता था. आज के आधुनिक समय में भी यदि शिक्षक चाहें तो बच्चों का प्रेम उनके प्रति प्रगाढ़ हो सकता है. ऐसा ही एक उदाहरण सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे दो वीडियो में देखने को मिल रहा है. इन वीडियो में उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के दो अलग-अलग विद्यालयों में शिक्षक के रिटायरमेंट पर विदाई समारोह के दौरान बच्चों की आंखों में आंसू आ गए, और वे बिलख-बिलख कर रोने लगे.
वास्तव में, हरदोई जिले के पिहानी विकासखंड के इटारा उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक कालीचरण और शाहाबाद विकासखंड के बिलारी जूनियर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक संतोष अग्निहोत्री का रिटायरमेंट था. इस मौके पर इन दोनों शिक्षकों के प्रति बच्चों का प्रेम इतना गहरा था कि विदाई समारोह में बच्चों ने इनसे विदाई लेने के समय रुकने की गुहार लगाई और रोने लगे.
स्कूल ने जाने की विनती करने लगे बच्चे
हरदोई के पिहानी के इटारा गांव के उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक कालीचरण और शाहाबाद के बिलारी के जूनियर हाई स्कूल के शिक्षक संतोष अग्निहोत्री का 31 मार्च को रिटायरमेंट था. इस अवसर पर इन दोनों शिक्षकों के लिए विदाई समारोह आयोजित किया गया. इस दौरान बच्चों का अपने शिक्षकों से इतना घुल-मिलाव था कि वे विदाई के समय उन्हें विद्यालय से न जाने की विनती करते हुए बिलख-बिलख कर रोने लगे. यह प्रेम और रिश्ते का एक उदाहरण है कि शिक्षक और छात्र के बीच कैसा बंधन होता है, जो आजकल के समय में बहुत कम देखने को मिलता है.
इटारा विद्यालय की कक्षा 6 की छात्रा दीपिका बताती हैं कि शिक्षक कालीचरण उन्हें सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि बहुत स्नेह भी देते थे. यही वजह थी कि बच्चे भी उन्हें बहुत प्रेम करते थे और उनके विदाई के समय काफी भावुक हो गए थे.
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बीपी सिंह ने कहा कि बहुत ही कम शिक्षक होते हैं जो बच्चों के दिलों में इस प्रकार अपना स्थान बना पाते हैं कि उनके जाने पर बच्चे इतनी भावनाओं के साथ रोने लगते हैं. यह एक प्रेरणा है कि हर शिक्षक को अपने शिक्षण कार्य के दौरान बच्चों के साथ ऐसा संबंध बनाना चाहिए, ताकि उनकी विदाई पर बच्चे उन्हें इस तरह से याद करें.
कालीचरण जी ने कहा, "मैंने जब विदाई समारोह में बच्चों और शिक्षकों से इतना प्रेम और सम्मान पाया, तो मेरी आंखों से आंसू नहीं रुक पाए. मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे गर्व है कि मैंने बच्चों के बीच ऐसा संबंध बनाया." इस तरह की भावनाओं और शिक्षक-शिष्य के इस अटूट संबंध को देखकर यह साबित होता है कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि बच्चों के दिलों में सकारात्मक प्रभाव छोड़ना भी है.