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बच्चों के कंधों पर कितना हो बस्‍ते का बोझ? ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड तय करेगा गाइडलाइंस

स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों के कंधों पर भारी बस्‍ते के बोझ से माता-पिता और अभिभावक अक्सर परेशान होते हैं और इसी सवाल को आजतक ने भारतीय मानक ब्यूरो के महानिदेशक प्रमोद तिवारी से पूछा.

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School Students
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हर रोज सुबह कंधे पर बस्‍ता लटकाए स्कूल जाने वाले आपके नौनिहालों के कंधों पर बस्ते का वजन कितना हो, इसे लेकर दिशा-निर्देश कई बार आते रहे हैं लेकिन कोई तय मानक न होने की स्थिति में बच्चों को स्कूलों के दबाव में भारी बस्ता ले जाना पड़ता है. अब उपभोक्ता मंत्रालय इस मामले में कदम उठाने जा रहा है. मंत्रालय के तहत आने वाले ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड यानी भारतीय मानक ब्यूरो अब यह मानक तैयार करेगा कि स्कूल जाने वाले बच्चों के कंधों पर बस्ते का वजन कितना होना चाहिए.

स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों के कंधों पर भारी बस्‍ते के बोझ से माता-पिता और अभिभावक अक्सर परेशान होते हैं और इसी सवाल को आजतक ने भारतीय मानक ब्यूरो के महानिदेशक प्रमोद तिवारी से पूछा. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा सुझाव है और जल्दी ही हम इस पर काम करेंगे.

उन्‍होंने कहा, 'वैसे तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से इस बारे में दिशा निर्देश दिए जाते हैं. यह एक अच्छा सुझाव है और स्कूल जाने वाले बच्चों के कंधे पर बस्ते का वजन कितना हो इस पर रीसर्च करके हम जल्दी ही मानक तैयार करेंगे.'

पहली कक्षा से लेकर के दसवीं कक्षा तक स्कूल जाने वाले बच्चों के कंधों पर ज्यादा बोझ न पड़े, इसका ध्‍यान रखा जाएगा. बच्‍चे की उम्र और वजन ढोने की क्षमता का विश्लेषण करते हुए भारतीय मानक ब्यूरो कुछ नियम और मानक तय करेगा और अगर ऐसा होता है तो जल्दी ही बच्चों के कंधों पर पढ़ने वाला बस्ते का बोझ कम हो सकता है.

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यह भी बता दें कि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड यानी भारतीय मानक ब्यूरो भारत सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय के तहत आने वाली संस्था है जो हर तरह की वस्तुओं और प्रक्रियाओं की गुणवत्ता और उसके इस्तेमाल के मानक तय करती है. हाल ही में CCPA यानी उपभोक्ता मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय मानक ब्यूरो ने सोशल मीडिया पर प्रचार को लेकर के भी दिशा निर्देश और मानक तय किए थे. 

 

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