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बिहार सिपाही पेपर लीक में पूर्व DGP SK सिंघल का हाथ? EOU को मिली ये जानकारी!

Bihar Police Constable Paper Leak Case: जांच टीम का मानना है कि एसके सिंघल के दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरतने की वजह से परीक्षा की शुचिता भंग हुई है. परीक्षा की चेन ऑफ कस्टडी की गोपनियता और सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए निर्धारित मानकों की अनदेखी की गई है. इस वजह से पेपर लीक हुआ.

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बिहार पुलिस के पूर्व DGP एसके सिंघल की फाइल फोटो
बिहार पुलिस के पूर्व DGP एसके सिंघल की फाइल फोटो

Bihar Police Constable Paper Leak Case: बिहार पुलिस सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले में पूर्व डीजीपी (पुलिस निदेशक) एसके सिंघल की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है. उन पर परीक्षा के दौरान लापरवाही और नियमों की अनदेखी के आरोप लगे हैं. इस मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के एडीजी ने केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष सह पूर्व डीजीपी एसके सिंघल के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई शुरू करने दी अनुशंसा की है. एडीजी ने डीजीपी को इस संबंध में पत्र भेजा है.

परीक्षा से पहले वायरल हो गया था सिपाही भर्ती का पेपर

दरअसल, 2023 की शुरुआत में बिहार पुलिस सिपाही के कुल 21,391 खाली पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन संख्या 1/2023 नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इसकी लिखित परीक्षा 1 अक्टूबर 2023 को दो शिफ्ट में हुई. परीक्षा से पहले ही पेपर और आंसर सोशल मीडिया समेत अन्य जगहों पर वायरल हो गए. इसे लेकर विभिन्न जिलों में 74 केस दर्ज किए गए थे. बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने 31 अक्टूबर को पहली बार FIR दर्ज जांच शुरू की थी. डीआईजी मानवजीत सिंग ढिल्लों की अध्यक्षता में एक स्पेशल जांच टीम का गठन किया गया था. अब इस टीम सिपाही भर्ती पेपर लीक की जांच लगभग पूरी कर ली है.

पूर्व DGP की अनदेखी की वजह से लीक हुआ था पेपर?

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जांच टीम ने पाया कि पर्षद अध्यक्ष ने लापरवाही के अलावा नियमों एवं मानकों की अनदेखी की. उन्होंने अपने जिम्मेदारियों का सही सही ढंग से नहीं निभाया. इस वजह से सुनियोजित ढंग से एक संगठित गिरोह ने पेपर लीक किया. हालांकि एसआईटी ने जांच में पाया कि तत्कालीनी अध्यक्ष के खिलाफ आपराधिक गतिविधि से संबंधित सबूत नहीं मिले हैं. 

वर्तमान डीजीपी और राज्य सरकार लेगी फैसला

एसआईटी का मानना है कि एसके सिंघल के दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरतने की वजह से परीक्षा की शुचिता भंग हुई है. परीक्षा की चेन ऑफ कस्टडी की गोपनियता और सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए निर्धारित मानकों की अनदेखी की गई है. इस वजह से पेपर लीक हुआ. इसलिए उनके लिखाफ उचित कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है. इस अनुशंसा के मद्देनजर अब डीजीपी और राज्य सरकार को फैसला लेना है.

बता दें कि 28 मार्च 2023 को सिपाही भर्ती के पेपर छापने और अन्य गोपनीय कार्य का जिम्मा कॉलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी को सौंपा गया था, जबकि इस कंपनी का महज 2 वर्ष का अनुभव है. इस फर्जी कंपनी के निदेशक एवं अभियुक्त संजय दास पहले से ही एक दूसरी कंपनी ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता था. जब एसके सिंघल से इन दोनों कंपनियों के बारे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें इन दोनों कंपनियों के समझौते के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. ईओयू ने पेपर लीक मामले की जांच के दौरान एसके सिंघल से तीन-चार बार पूछताछ भी की थी.

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