वड़ोदरा की एक 67 वर्षीय महिला ने डॉक्टरेट की उपाधि हासिल कर यह साबित कर दिया है कि पढ़ाई की वाकई कोई उम्र नहीं होती है. मेहनत से अगर प्रयास करते रहें तो मंजिल देर से सही, पर मिलती जरूर है. वड़ोदरा की रहने वाली जैन महिला उषाबेन लोडाया ने यह काम कर दिखाया. उन्होंने 67 वर्ष की उम्र में अपनी डॉक्टरेट पूरी की.
उषाबेन शुरूआत से ही एक धार्मिक महिला थीं. पिछले 10 वर्षों से वह उनके गुरूजी जायदर्शी दास महाराज के पास से धर्म की शिक्षा प्राप्त कर रही थीं. अपने गुरू की प्रेरणा से उषाबेन ने शत्रुंजय एकेडमी से पढ़ना शुरू किया. यहां वह पिछले 10 साल से शिक्षा प्राप्त कर रही थी. पांच साल पहले उन्होंने 'भावना' विषय पर थीसिस लिखना शुरू किया और पांच वर्षों में थीसिस पूरी कर सब्मिट किया. इसी के चलते उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि हासिल हुई.
इन 5 साल में उनके सामने कई मुसीबतें आईं. थीसिस लिखने के दौरान ही उनके पति की मृत्यु हो गई. इसके बाद कोरोना महामारी आ जाने से भी उनकी थीसिस डिस्टर्ब हुई. मगर वह मगर फॉर्मफाउस पर रहने चली गईं और वहीं रहकर अपनी थीसिस लिखती रहीं. वह तब तक लगातार महेनत करती रहीं जब तक उन्होंने अपनी मंजिल पा नहीं ली.
(वड़ोदरा से दिग्विजय पाठक के इनपुट)