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क्या भारत और पाकिस्तान जब चाहें परमाणु हमला कर सकते हैं? जानिए क्या है दोनों देशों के नियम

भारत और चीन दोनों ने परमाणु हथियारों को लेकर अपनी-अपनी स्पष्ट नीतियां तय कर रखी हैं. भारत ने 1999 में 'नो फर्स्ट यूज' (NFU) नीति की घोषणा की थी. भारत ने कहा था कि वह कभी भी किसी देश पर सबसे पहले परमाणु हमला नहीं करेगा.

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 क्या भारत और पाकिस्तान जब चाहें परमाणु हमला कर सकते हैं? (सांकेतिक तस्वीर-AI)
क्या भारत और पाकिस्तान जब चाहें परमाणु हमला कर सकते हैं? (सांकेतिक तस्वीर-AI)

ICAN के मुताबिक, दुनिया के नौ देशों के पास कुल मिलाकर लगभग 12,000 से ज्यादा परमाणु हथियार मौजूद हैं. ये देश हैं रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस, यूके, पाकिस्तान, भारत, इज़रायल और उत्तर कोरिया.

इनमें सबसे ज्यादा 5,889 परमाणु हथियार रूस के पास हैं. दूसरे नंबर पर अमेरिका है, जिसके पास 5,224 हथियार हैं. खास बात यह है कि अमेरिका ने अपने कई परमाणु हथियार इटली, तुर्किये, बेल्जियम, जर्मनी और नीदरलैंड्स में भी तैनात कर रखे हैं.अगर हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम के बराबर 100 बम एक साथ गिर जाएं, तो धरती का पूरा प्राकृतिक संतुलन बिगड़ सकता है. स्थिति इतनी भयावह होगी कि दुनिया इंसानों के रहने लायक नहीं बचेगी.

इसीलिए जिन देशों के पास परमाणु हथियार हैं, वे इनके इस्तेमाल को लेकर बेहद गंभीर और जिम्मेदार रवैया अपनाते हैं. हर देश ने अपने-अपने स्तर पर परमाणु हथियारों के उपयोग को लेकर नियम और नीति तय कर रखी है.हालांकि पाकिस्तान को लेकर अक्सर आशंका जताई जाती है, क्योंकि वहां के कई नेता और यहां तक कि संसद सदस्य भी परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर गैर-जिम्मेदाराना बयान दे चुके हैं.ऐसे में यह जानना जरूरी है कि भारत, पाकिस्तान और चीन ने परमाणु बम के इस्तेमाल को लेकर क्या नियम और नीति अपनाई है.

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क्या है भारत और चीन की नीति

भारत और चीन दोनों ने परमाणु हथियारों को लेकर अपनी-अपनी स्पष्ट नीतियां तय कर रखी हैं. भारत ने 1999 में 'नो फर्स्ट यूज' (NFU) नीति की घोषणा की थी. भारत ने कहा था कि वह कभी भी किसी देश पर सबसे पहले परमाणु हमला नहीं करेगा.

पोखरण-II परमाणु परीक्षणों के बाद, भारत ने अपना आधिकारिक परमाणु सिद्धांत तैयार किया. इस सिद्धांत में 'न्यूनतम प्रतिरोध', 'पहले इस्तेमाल न करने' और 'गैर-परमाणु हथियार संपन्न देशों के खिलाफ परमाणु हथियारों के प्रयोग से परहेज' जैसे अहम बिंदुओं को शामिल किया गया.

'द हिंदू' की रिपोर्ट बताती है कि भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने भी अपनी किताब में इस नीति का ज़िक्र करते हुए कहा था कि भारत की रणनीति 'न्यूनतम प्रतिरोध और नो फर्स्ट यूज' के सिद्धांत पर आधारित है.

परमाणु हथियारों का उपयोग सिर्फ आत्मरक्षा के लिए

भारत की इस नीति का मकसद यह संदेश देना है कि वह परमाणु हथियारों का उपयोग सिर्फ आत्मरक्षा के लिए करेगा, वह भी तब जब उस पर परमाणु हमला हो.

चीन की नीति भी भारत की ही तरह है. 16 अक्टूबर 1964 को अपने पहले परमाणु परीक्षण के तुरंत बाद, चीन ने ऐलान किया था की कि वह किसी भी वक्त और किसी भी हालात में परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करेगा. यह नीति 2025 तक आधिकारिक रूप से बरकरार है.

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पाकिस्तान की क्या है नीति

पाकिस्तान के पास परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर कोई स्पष्ट और आधिकारिक नीति नहीं है. कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के अनुसार, पाकिस्तान ने 'नो फर्स्ट यूज' (NFU) नीति को स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया है.इसके उलट, पाकिस्तान ने 'फर्स्ट यूज' यानी पहले हमला करने को अपनी नीति का हिस्सा बना रखा है. इसके मायने ये है कि पाकिस्तान जरूरत पड़ने पर किसी भी समय परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है.

पाकिस्तानी नेताओं के हालिया बयान भी इसका सबूत देता है.  हाल ही में पाकिस्तानी रेल मंत्री हनीफ अब्बासी ने भारत को खुलेआम परमाणु हमले की धमकी दी थी उन्होंने कहा था कि हमने शाहीन, गोरी और गजनवी जैसी 130 मिसाइलें भारत के लिए तैनात कर रखी हैं.

इसके अलावा, 2022 में पाकिस्तान की मंत्री शाजिया मर्री ने भी भारत को परमाणु बम से हमले की धमकी दी थी. शाजिया ने कहा था कि हमने एटम बम शोपीस के लिए नहीं बनाए हैं.

इन बयानों से पाकिस्तान के परमाणु नीति को लेकर गैर-जिम्मेदाराना और अपरिपक्व रवैया साफ दिखाई देता है, जो वैश्विक सुरक्षा के लिहाज से बेहद चिंताजनक माना जाता है.

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