असम विधानसभा में नमाज के लिए मिलने वाले 2 घंटे के ब्रेक को खत्म कर दिया गया है. पहले कर्मचारियों को शुक्रवार के दिन 2 घंटे का वक्त नमाज पढ़ने के लिए दिया जाता था और 2 घंटे का ब्रेक था, लेकिन अब ब्रेक नहीं दिया जाएगा. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी इस फैसले के लिए विधानसभा अध्यक्ष का आभार जताया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि इस फैसले के जरिए असम विधानसभा ने उत्पादकता को प्राथमिकता दी है और औपनिवेशिक बोझ के एक और निशान को हटा दिया है.
क्या आप जानते हैं पहले ऐसा ब्रेक संसद में भी मिलता था, लेकिन अब ब्रेक को हटा दिया गया है. तो जानते हैं कि पहले संसद के सदनों में नमाज या जुम्मा ब्रेक को लेकर क्या नियम था और इसे कब हटाया गया है. इसके बाद समझ पाएंगे कि संसद में नमाज ब्रेक को लेकर अब क्या नियम है...
पहले संसद में क्या थी व्यवस्था?
पहले संसद में भी शुक्रवार को नमाज के लिए ब्रेक दिया जाता था, लेकिन यह व्यवस्था सिर्फ राज्यसभा में थी. लोकसभा में शुक्रवार को लंच ब्रेक के लिए अलग टाइमिंग नहीं थी, सिर्फ राज्यसभा में शुक्रवार का टाइमटेबल अलग था. पहले राज्यसभा में शुक्रवार को मुस्लिम सासंदों को आधे घंटे का वक्त नमाज के लिए दिया जाता था, लेकिन बाद में इसे खत्म कर दिया गया.
वैसे राज्यसभा में हर शुक्रवार को लंच ब्रेक 1:00 से 2:30 बजे तक होता था, जो सामान्य दिनों से आधे घंटे ज्यादा था. ऐसे आम तौर पर ब्रेक 1 बजे से 2 बजे तक होता है. लेकिन अब शुक्रवार को भी 1 से 2 बजे तक का लंच ब्रेक होता है.
कैसे हुआ खत्म?
राज्यसभा में लोकसभा से समरुपता बनाए रखने के लिए ये फैसला लिया गया था. पहले लोकसभा और राज्यसभा में अलग अलग टाइमिंग थी, जिसे बराबर कर दिया. पिछले साल जगदीप धनखड़ ने इस नई व्यवस्था के बारे में बताया था और उन्होंने इस ब्रेक को खत्म कर दिया था. ये पूरा मामला 8 दिसंबर 2023 का है, उस वक्त राज्यसभा में जीरो ऑवर चल रहा था. सांसद अपने सवालों के जवाब पूछ रहे थे, तभी द्रमुक सांसद तिरुची शिवा ने हस्तक्षेप किया. उस दौरान उन्होंने शुक्रवार के दिन राज्यसभा के कामकाज की समयसीमा को लेकर सवाल पूछा.
इस पर जगदीप धनखड़ ने कहा कि 'यह आज के लिए नहीं किया जा रहा है.यह मेरे द्वारा पहले ही किया जा चुका है. दोपहर के भोजन के बाद लोकसभा दोपहर 2 बजे बैठती है. इसलिए मेरे निर्देशानुसार इस सदन में भी दोपहर 2 बजे से कार्यवाही शुरू होती है.' जगदीप धनखड़ ने साल 2022 में उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी.
क्या संसद में नमाज के लिए है अलग जगह?
बता दें कि पुराने संसद भवन में नमाज के लिए अलग से कोई जगह नहीं थी. बताया जाता है कि सांसद गैलरी में किसी स्थान पर नमाज पढ़ रहे थे. इसके बाद नए संसद भवन को लेकर भी सासंदों ने मांग की थी कि इसमें नमाज के लिए एक जगह होनी चाहिए थी.