Minorities Rights Day 2022: देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के संवैधानिक रूप से अधिकारों की रक्षा के लिए हर साल 18 दिसंबर को भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाया जाता है. अल्पसंख्यक शब्द अल्प और संख्यक दो शब्दों से बना है. जिसका मतलब दूसरों की तुलना में कम संख्या होना है. भारत में अल्पसंख्यकों में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी शामिल हैं.
इस दिन, देश के अल्पसंख्यक समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों और मुद्दों पर ध्यान खींचा जाता है. लोग धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषाई और जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की बात करते हैं. यह दिन अल्पसंख्यकों के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव को खत्म करने के मकसद से मनाया जाता है. हालांकि, कानूनी रूप से भारत के सविंधान में अल्पसंख्यक की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है लेकिन अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए संविधान के कई प्रावधान अनुच्छेद 29, 30 आदि हैं.
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर क्या होता है?
भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर इस विषय पर वाद-विवाद और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं. देश से किसी भी तरह के भेदभाव को दूर करने के लिए अल्पसंख्यकों की दुर्दशा और स्थिति का गहन अध्ययन किया जाता है.
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस का इतिहास
साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 18 दिसंबर को अल्पसंख्यक अधिकार दिवस घोषित किया गया था. संयुक्त राष्ट्र ने धार्मिक या भाषाई राष्ट्रीय या जातीय अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा के लिए इसे अपनाया था. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) इस दिन के आयोजनों की जिम्मेदारी निभाता है. केंद्र सरकार ने 1992 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के तहत NCM की स्थापना की.
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस 2022: महत्व
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस राष्ट्रीय या जातीय, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों पर घोषणाओं को याद करता है. सरकार इस दिन गैर-भेदभाव और समानता के उनके अधिकारों की गारंटी देने के प्रयासों को सुनिश्चित करती है.