इजराइल का मानना है कि ईरान ने 7 अक्टूबर 2024 के हमले के बाद से ही बम बनाने का फैसला किया था. इजरायल की खुफिया एजेंसी (मोसाद) के अधिकारियों ने सरकार को ये जानकारी दी थी. बम के डिजाइन के लिए कई टेस्ट को अंजाम दिया गया था. ये सबकुछ अंतिम चरण में था, जिसकी जानकारी मोसाद को मिली और फिर ईरान पर इजरायल ने हमले का फैसला लिया.
हिब्रू मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान पर हमले से ठीक पहले इजरायल को पता चला था कि इस्लामी गणराज्य के वैज्ञानिकों ने परमाणु हथियार की डिजाइन प्रक्रिया में कई सफल प्रयोग किए हैं. इसके बाद यदि वह चाहे तो बस कुछ सप्ताह में ही बम बना सकते हैं.
हमले से ठीक पहले मिली थी खुफिया जानकारी
टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, आर्मी रेडियो ने अनाम सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से बताया कि यह खुफिया सूचना शुक्रवार को हमले के ठीक पहली मिली थी. इसके बाद ही ईरान पर एयर स्ट्राइक का निर्णय लिया गया. इजरायल के खुफिया अधिकारियों ने पहले राजनीतिक नेतृत्व को ये जानकारी दी थी कि ईरान ने परमाणु बम के डिजाइन के लिए कुछ महत्वपूर्ण टेस्ट किए हैं.
ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के फाइनल स्टेज में पहुंचने की थी आशंका
इसके साथ ही यह चिंता भी व्यक्त की गई थी कि इजरायल को सब कुछ पता नहीं है और ईरान परमाणु बम बनाने के मामले में उपलब्ध सूचना से भी अधिक फाइनल स्टेज में हो सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने वैज्ञानिकों को इकट्ठा किया और उन्हें कई काम अलग-अलग ग्रुप में बांट दिया. ताकि वे परमाणु मैटेरियल को एक वास्तविक विस्फोटक डिवाइस में बदलने के प्रोसेस पर खुफिया तरीके से काम कर सकें.
हमास के हमले के बाद शुरू हो गया था न्यूक्लियर बम बनाने का काम
इजरायल की खुफिया एजेंसी का मानना है कि इसकी शुरुआत 2023 के अंत या 2024 की शुरुआत में हुई थी. हमास के 7 अक्टूबर के हमले के तुरंत बाद, जिसने गाजा में चल रहे युद्ध को जन्म दिया. ईरान में परमाणु हथियार डिजाइन करने का काम और यूरेनियम को उस स्तर तक संवर्धित करने की प्रक्रिया एक साथ चल रही थी. इजरायल के मुताबिक ये समझ से परे था कि यूरेनियम संवर्धन का नागरिक हित के उद्देश्यों के लिए कोई उपयोग नहीं था. ऐसे में इसका सिर्फ परमाणु बम बनाने के लिए ही जरूरत थी.
ईरान के पास था नौ परमाणु बम बनाने जितना समृद्ध यूरेनियम
मई के अंत में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की रिपोर्ट के अनुसार , ईरान के यूरेनियम का भंडार, यदि और समृद्ध किया जाता है, तो वो नौ परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त है. आर्मी रेडियो ने कहा कि इजरायली रक्षा बल गुप्त हथियार प्रक्रिया पर नजर रखने में कामयाब रहे, जिससे इजरायल को इस बात में कोई संदेह नहीं रहा कि ईरान ने दक्षिणी इजरायल में नरसंहार के बाद परमाणु हथियार बनाने का फैसला किया था.
कई साल से परमाणु बम बनाने में लगे थे मारे गए वैज्ञानिक
एक वरिष्ठ इजरायली सैन्य अधिकारी ने शनिवार को कहा कि शुरुआती हमलों में मारे गए सभी वैज्ञानिक वर्षों से परमाणु विस्फोट उपकरण विकसित करने में लगे हुए थे.आईडीएफ ने शुरुआती हमलों में मारे गए नौ ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों के नाम बताए तथा उन्हें मारने के अपने प्रयासों का विवरण भी दिया. उनके नाम थे- फेरेयदून अब्बासी- परमाणु इंजीनियरिंग विशेषज्ञ, मोहम्मद मेहदी तेहरांची- भौतिक विज्ञान विशेषज्ञ, अकबर मोटालेबी ज़ादेह- रासायनिक इंजीनियरिंग विशेषज्ञ, सईद बरजी- सामग्री इंजीनियरिंग विशेषज्ञ, अमीर हसन फखाही - भौतिक विज्ञान विशेषज्ञ, अब्द अल-हामिद मिनौशहर- रिएक्टर भौतिकी विशेषज्ञ, मंसूर असगरी- भौतिक विज्ञान विशेषज्ञ, अहमद रजा ज़ोलफ़ागरी दरयानी- परमाणु इंजीनियरिंग विशेषज्ञ और अली बखौई कातिरीमी- यांत्रिकी विशेषज्ञ.
कुछ तो ईरान के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट के जनक थे
आईडीएफ ने कहा कि जिन सभी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को मार गिराया गया, वे ईरानी न्यूक्लियर प्रोजेक्ट में जानकारी के महत्वपूर्ण स्रोत थे और उनके पास परमाणु हथियारों के विकास में दशकों का अनुभव था. आईडीएफ की रिपोर्ट में कहा गया कि उनमें से कई “ईरानी परमाणु परियोजना के जनक” मोहसेन फखरीज़ादेह के उत्तराधिकारी थे, जिनकी 2020 में इज़राइल द्वारा कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी.
एक साथ सभी वैज्ञानिकों को इजरायल ने मार गिराया
इजरायली सेना के अनुसार, शुक्रवार को तड़के तेहरान पर एक साथ हुए हमलों में नौ लोग मारे गए, हमलों की यह वही श्रृंखला थी जिसमें छह शीर्ष अधिकारियों सहित दर्जनों सैन्य कमांडरों की हत्या कर दी गई थी.वैज्ञानिकों का सफाया गहन खुफिया अनुसंधान के बाद संभव हो सका, जो पिछले वर्ष एक क्लासीफाइड और विभाजित आईडीएफ योजना के हिस्से के रूप में तेज हो गया था.