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टारगेट नंबर 3: जहां से भेजे जाते थे जैश के आतंकी, सीधे उस लॉन्चिंग साइट को सेना ने उड़ाया

भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और PoK स्थित 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. इनमें से तीसरे नंबर पर सबसे बड़ा टारगेट था, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित सरजल का टेहड़ा कलां फैसिलिटी. यह जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों की मुख्य लॉन्चिंग साइट थी. इसे भारतीय सेना के एयर स्ट्राइक में तबाह कर दिया गया.

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पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद की लॉन्चिंग साइट
पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद की लॉन्चिंग साइट

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने बुधवार की रात ऑपरेशन सिंदूर के नाम से पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकियों के ठिकाने पर जबरदस्त हमला किया. इसमें कई टेररिस्ट कैंप ध्वस्त हो गए. भारत ने 9 ठिकानों को टारगेट बनाया था. इसमें तीसरे नंबर पर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल जिला में जैश-ए-मोहम्मद का सबसे बड़ा गढ़ था. .

नारोवाल के शकरगढ़ स्थित टेहड़ा कलां -सरजल फैसिलिटी जैश-ए-मोहम्मद (JeM) की मुख्य लॉन्चिंग साइट थी. यहां से आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के लिए भेजा जाता था. यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले के शकरगढ़ तहसील में स्थित है. यह कैंप टेहड़ा कलां गांव के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) के परिसर के अंदर स्थित था. 

हॉस्पिटल की आड़ में चलता है आतंकी कैंप
स्वास्थ्य केंद्र के अंदर आतंकी फैसिलिटी चलाने का असली उद्देश्य इसको छुपाना था.  पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) और नियंत्रण रेखा (LoC) के पास सरकारी इमारतों में ऐसी लॉन्च सुविधाएं स्थापित करने में सहायता की है, ताकि आतंकवादी बुनियादी ढांचे को छिपाया जा सके.

वास्तव में, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में JeM और हिजबुल मुजाहिदीन (HM) की कई अन्य सुविधाएं भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों/बेसिक हेल्थ यूनिट्स से संचालित होती हैं, जिन्हें  ISI की मदद से तैयार किया गया है. 

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क्यों अहम है टेहड़ा कलां -सरजल फैसिलिटी?
जैश-ए-मोहम्मद की ये आतंकी फैसिलिटी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह जम्मू के सांबा सेक्टर में IB से केवल 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह स्थल सीमा पार सुरंगों की खुदाई का मुख्य अड्डा है. इनका उपयोग आतंकवादियों की भारत में घुसपैठ के लिए किया जाता है.

सीमा के पास बनाया था सुरंगों का नेटवर्क
पाक ISI और JeM ने शकरगढ़ क्षेत्र में सुरंगों का एक नेटवर्क विकसित किया है, जिनका उपयोग JeM के आतंकियों को भारत में भेजने के लिए किया जाता है. जम्मू के अर्निया सेक्टर में मिली सभी सुरंगें इसी सुविधा से जुड़े संचालकों द्वारा बनाई गई हैं.

यहीं से भेजे जाते हैं हथियार और ड्रग्स
सरजल फैसिलिटी ड्रोन लॉन्चिंग बेस के रूप में भी काम करता है. इसके माध्यम से भारत में हथियार, गोला-बारूद, नशीले पदार्थ और युद्ध-सामग्री गिराई जाती है. JeM आतंकवादियों को ड्रोन के जरिए भारत में घुसपैठ कराने की योजना भी बना चुका है. इस वजह से यह सुविधा एक महत्वपूर्ण आतंकवादी अड्डा बन चुकी है.

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रेडियो रिसिवर जैसे उपकरण का होता है इस्तेमाल
जैश के इस अड्डे में एक कंट्रोल रूम भी है, जिसमें HF रेडियो रिसिवर और अन्य संचार उपकरण मौजूद हैं, जिन्हें JeM और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी इस्तेमाल करते हैं. जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों को निर्देश यहीं से एन्क्रिप्टेड मोड में भेजे जाते हैं.

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सिंगल स्टोरी इमारत में बनी है फैसिलिटी  
सरजल स्थित कैंप  एक सिंगल स्टोरी इमारत है. इसमें प्रवेश द्वार के पास के 6-7 कमरे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा मरीजों की जांच के लिए उपयोग किए जाते हैं. पार्किंग के पास के दो क्वार्टर और एक हॉल JeM के कमांडरों और आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं. आमतौर पर जैश-ए-मोहम्मद के 20-25 आतंकी इस सुविधा में तैनात रहते हैं, ताकि घुसपैठ और भारत में मौजूद आतंकियों की गतिविधियों की निगरानी की जा सके.

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इन आतंकियों का था ठिकाना
मोहम्मद अदनान अली उर्फ डॉक्टर और काशिफ जान इस JeM फैसिलिटी का नियमित रूप से दौरा करते हैं. JeM का वास्तविक प्रमुख मुफ़्ती अब्दुल रऊफ असग़र इस सुविधा से JeM के संचालन की निगरानी करता है. अदनान को "डॉक्टर" इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह PHC से चल रही इस सुविधा का संचालन करता है. डॉक्टर अदनान और काशिफ जान, दोनों को UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत नामित आतंकवादी घोषित किया गया है.

खालिस्तानी आतंकवादियों को दी थी ट्रेनिंग
मई 2014 में, पाक ISI के निर्देश पर अदनान उर्फ डॉक्टर ने थाईलैंड के माए-सॉट में खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) के सदस्य रमणदीप सिंह उर्फ गोल्डी को पैरा-ग्लाइडर प्रशिक्षण दिया था. यह प्रशिक्षण जगतार सिंह तारा (बाद में भारत निर्वासित) और उनके सहयोगी जसबिंदर सिंह जस्सा व मोहम्मद उमर गोंडल की निगरानी में हुआ था.

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घुसपैठ के लिए सुरंगों, अस्पताल के बुनियादी ढांचे और पैरा-ग्लाइडरों के उपयोग की यह रणनीति मध्य पूर्व में हमास द्वारा इस्तेमाल की गई रणनीतियों से प्रेरित प्रतीत होती है. JeM आतंकियों के हमास नेताओं से नियमित संपर्क की भी खुफिया जानकारी मिली है.

2016 पठानकोट हमले से यहां के आतंकियों का संबंध 
अली जान उर्फ काशिफ जान, जो सरजल सुविधा से संचालित होता है, 2016 के पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन हमले का मुख्य साजिशकर्ता और संचालक था. वह लगातार फोन पर आतंकियों से संपर्क में था और उन्हें निर्देश दे रहा था. शाहिद लतीफ (2023 में मारा गया) भी इसी सुविधा से संचालित होता था और पठानकोट हमले के लिए आतंकियों को प्रेरित व लॉन्च करने वाला प्रमुख JeM कमांडर था.

ये हैं सरजल फैसिलिटी से संबंध रखने वाले आतंकी 
जैश-ए- मोहम्मद के कई आतंकी इस सुविधा से संचालित होते हैं. यहां से संबंध रखने वाले आतंकियों में अल्लाह बख्श मुसैब (मौलाना मसूद अजहर का भतीजा), मुहम्मद इरफान आरिफ उर्फ घुमन (BAT कार्रवाइयों में शामिल),वसीम नूर जट्ट (JeM लॉन्चिंग कमांडर), अब्दुल रहमान उर्फ भाई जिगर (डॉक्टर का डिप्टी) शामिल हैं. 

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जनवरी 2020 के नगरोटा मुठभेड़ में मारे गए JeM आतंकियों ने इसी सुविधा से घुसपैठ की थी.जैश-ए-मोहम्मद UAPA के तहत अक्टूबर 2001 में आतंकवादी संगठन घोषित किया गया था. इसे USA (अक्टूबर 2001), UK (अक्टूबर 2001), ऑस्ट्रेलिया (अगस्त 2015), कनाडा (नवंबर 2002) और UAE (नवंबर 2014) द्वारा भी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है.

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सरजल से संचालित होती थी जैश-ए-मोहम्मद की आतंकी गतिविधियां
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने अक्टूबर 2001 में JeM को आतंकवादी संगठन घोषित किया और मौलाना मसूद अजहर को UNSCR 1267 के तहत मई 2019 में वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया. अंतरराष्ट्रीय दबाव और पाकिस्तान सरकार द्वारा घोषित प्रतिबंध के बावजूद, JeM अपनी आतंकी गतिविधियों को सरजल सुविधा सहित अन्य ठिकानों से जारी रखे हुए है.

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