एशिया और यूरोप में आतंक मचाने वाला और बच्चों के खेल की तरह युद्ध जीतने वाला चंगेज खान आखिर भारत क्यों नहीं पहुंच पाया? सिंधु नदी तक पहुंचकर भी मंगोलों ने दिल्ली पर आक्रमण नहीं किया. चंगेज खान की फौज वहीं से लौट गई. इसको लेकर कई कहानियां, अफवाहें और मिथक प्रचलित हैं. जानते हैं इस बारे में इतिहास क्या कहता है. (Photo - AI Generated)
चंगेज खान मंगोलों के सरदार थे. उन्होंने चीन, ईरान, मध्य पूर्व, यहां तक कि रूस तक अपनी सीमा का विस्तार किया था. चंगेज खान को एक खूंखार और क्रूर शासक माना जाता है. लल्लन टॉप की एक रिपोर्ट के अनुसार, 'द मंगोल्स' के लेखक जेरिमाया कर्टिन ने लिखा है कि मंगोल जिस शहर पर धावा बोलते, वहां के कुत्ते बिल्लियों को तक जिंदा नहीं छोड़ते थे. (Photo - AI Generated)
ऐसा खूंखार चंगेज खान भारत के दरवाजे तक पहुंचकर भी क्यों लौट गया? सिंधु नदी तक पहुंचने से पहले चंगेज खान ने तीन साल तक भारी कत्लेआम मचाई. मध्य एशिया के एक बड़े साम्राज्य को उसने धूल में मिला दिया. इस साम्राज्य का नाम ख्वारिज्म साम्राज्य था. चंगेज खान ने तीन सालों में 60 लाख से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी. इसी ख्वारिज्म साम्राज्य के सुल्तान को खदेड़ते हुए चंगेज खान भारत के करीब पहुंच गया था. (Photo - AI Generated)
ईरान, मध्य एशिया और अफग़ानिस्तान के कुछ हिस्सों को मिलाकर ख्वारिज्म साम्राज्य बना था. तुर्की मामलूक वंश के मुहम्मद शाह इस साम्राज्य के बादशाह थे. इसी साम्राज्य के अंदर दक्षिणी कजाकिस्तान में पड़ने वाले ओतरार नाम का एक शहर आता था. यह शहर मध्य एशिया को यूरोप से जोड़ने वाले सिल्क रूट पर पड़ता था. 1218 में इस शहर में 450 मंगोल व्यापारी आए हुए थे. ओतरार के गवर्नर इनलचुक ने सभी को अपने दरबार में बुलवाया और उनसे शहर में आने की वजह पूछी. मंगोल व्यापारियों ने गवर्नर से बदतमीजी की तो इनलचुक ने सभी को मरवा दिया. (Photo - AI Generated)
इसकी सूचना जब चंगेज खान तक पहुंची तो वह आग बबूला हो गया. उसने अपने दूतों को ख्वारिज्म के सुल्तान मुहम्मद शाह के पास भेजा. दूतों ने बताया कि चंगेज खान का हुक्म है कि वह इनलचुक को सजा दें. इस पर सुल्तान मुहम्मद एक दूत का सिर काट डाला और दो दूतों की दाढ़ी मुड़वा कर उन्हें वापस चंगेज खान के पास भेज दिया. इस घटना के बाद चंगेज खान ने ख्वारिज्म पर हमला कर दिया. (Photo - AI Generated)
सबसे पहले इनलचुक को पकड़कर मंगोल फौज समरकंद ले गई. वहां चंगेज खान ने उसे सजा देने के लिए उसके कान में पिघले चांदी डलवा कर मार डाला. इसके बाद चंगेज खान सुल्तान मुहम्मद शाह पर हमला किया. मंगोलों की फौज को देखकर सुल्तान भाग गया. सुल्तान मुहम्मद के बाद सत्ता उसके बेटे जलाल अल-दीन मंगबरनी के हाथों में आ गई. (Photo - AI Generated)
गद्दी में बैठने के पहले दिन से मंगबरनी भी अपने पिता की तरह चंगेज खान की डर से भागता रहा. हालांकि, मंगबरनी के पास पास 90 हजार सैनिक थे. इनके बल पर उसने मंगोल फोज को एक लड़ाई में हरा भी दिया. उसने चंगेज खान के दामाद को भी मार डाला. फिर मंगबरनी को अफगानिस्तान के एक इलाके गजनी में शरण लेनी पड़ी. जब तक मंगोल फौज वहां पहुंचती, मंगबरनी वहां से निकलकर सिंधु नदी की तरफ भाग गया. (Photo - AI Generated)
सिंधु नदी के किनारे एक बार फिर दोनों सेनाओं का आमना-सामना हुआ. इस लड़ाई में खुद को हारता देख मंगबरनी एक घोड़े पर चढ़ गया और सिंधु नदी में छलांग लगा दी.चंगेज खान से बचने के लिए मंगबरनी ने सिंधु नदी पार की और भारत आ गया. सिंधु नदी पार कर मंगबरनी ने मुल्तान में शरण ली. यहां से उसने दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश को संदेश भेजा और दिल्ली में अपने लिए शरण मांगी. (Photo - AI Generated)
इल्तुतमिश ने चतुराई दिखाई. वह चंगेज खान को नाराज करना नहीं चाहता था. इसलिए वह मंगबरनी की मांग को टालते रहे. इल्तुतमिश ने बहुत दिनों तक बहाने बनाए. इतिहासकार फरिश्ता के अनुसार जब मंगबरनी सिंधु नदी के पार पहुंचा इल्तुतमिश ने फौज भेजकर उसे पीछे खदेड़ दिया. इस दौरान मंगोलों की दो छोटी टुकड़ियां मुल्तान तक आई. लेकिन उन्होंने दिल्ली सल्तनत पर आक्रमण की कोशिश नहीं की.चंगेज खान भी सिंधु नदी के किनारे से लौट गया. (Photo - AI Generated)
मंगोल इतिहास पर लिखी गई किताब, सीक्रेट हिस्ट्री ऑफ मंगोल्स के अनुसार सिंधु नदी के किनारे चंगेज खान को एक सींग वाला एक जानवर दिखाई दिया. इस बात को अपशकुन मानकर उसने भारत पर आक्रमण का विचार त्याग दिया था. ऐसे कई मिथक हैं, जिसे चंगेज खान का भारत पर आक्रमण नहीं करने की वजह बताई जाती है. (Photo - AI Generated)
जेरिमाया कर्टिन की किताब , 'द मंगोल्स' के अनुसार चंगेज खान के इस अभियान के दौरान उनका विशाल मंगोल साम्राज्य बिखरने लगा था. कई जगह बग़ावतें शुरू हो गई थीं. इस कारण उसने लौटना चुना. एक सम्भावना ये भी थी कि ठंड के आदि मंगोल सैनिकों को भारत का गरम मौसम रास नहीं आया.इस तर्क को इस बात से बल मिलता है कि मंगोल फ़ौज ने मुल्तान और सिंध के कुछ हिस्सों में छापेमारी की थी. लेकिन वो वहां से जल्द ही लौट गए थे. एक और कारण हो सकता है चंगेज खान की उम्र. चंगेज खान की उम्र 60 साल हो चुकी थी. ऐसे में संभव है और आगे युद्ध करने की उसकी मंशा ना रही हो. (Photo - AI Generated)
चंगेज खान के भारत पर आक्रमण न करने का सबसे मजबूत कारण दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश की सूझबूझ को माना जाता है. क्योंकि उन्होंने चंगेज खान के दुश्मन को अपने यहां शरण नहीं दी. इस तरह वो मंगोलों से सीधा टक्कर लेने से बचता रहा. मंगोलों की दिल्ली सल्तनत से कोई सीधी दुश्मनी भी नहीं थी. लिहाज़ा ये एक और कारण हो सकता है कि चंगेज खान सिंधु के किनारे से लौट गए. (Photo - AI Generated)