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कहां है ये 'मुर्दो का टीला'? अब 4500 साल पुरानी सिटी को सहेजेगा भारत, Photos

National Maritime Heritage Complex India
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लोथल सिंधु घाटी सभ्यता का 5000 साल पुराना शहर था. इसे भारत का सबसे पुराना बंदरगाह माना जाता है. अब भारत सरकार इसे सहेजने के लिए लिए बिलकुल नए तरीके से इसका विकास कर रहा है. यहां एक विशाल मेरी टाइम म्यूजियम और हेरिटेज जोन बनने वाला है, जहां हड़प्पा सभ्यता के इस शहर का एक रिप्लिका भी बनाया जाएगा, जहां हम इतिहास को न सिर्फ देख और समझ सकेंगे, बल्कि महसूस भी कर पाएंगे. (Photo - NMHC official website)

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भारत का समुद्री इतिहास 4500 साल से भी पुराना है. बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने गुजरात के लोथल में भारत का राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर  यानी नेशननल मेरी टाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स (NMHC) स्थापित करने का महत्वपूर्ण काम शुरू किया है. (Photo - NMHC official website)

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लोथल को मतलब होता है - 'मुर्दों का टीला' . इंडियन नेवी आउटरीच प्रोग्राम कोस्ट टू कोस्ट टीम 16 मार्च 2017 को लोथल, गुजरात पहुंची थी. टीम ने आर्कियोलॉजिकल साइट का गाइडेड टूर किया, जो सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख अवशेषों में से एक है. (Photo - NMHC official website)
 

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लोथल अहमदाबाद जिले के धोल्का तालुका में सारगवाला गांव के पास स्थित है. लोथल में दुनिया का सबसे पुराना डॉक (बंदरगाह) माना जाता है और यह शहर को साबरमती नदी के एक पुराने रास्ते से जोड़ता था. यह रास्ता सिंध में हड़प्पा शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच व्यापार मार्ग पर था, जब आज का कच्छ रेगिस्तान अरब सागर का हिस्सा था. लोथल की खुदाई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने साल 1954 में की थी.(Photo - NMHC official website)
 

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NMSC (नेशनल मेरिटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स ) की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, यहां बनने वाला हेरिटेज ज़ोन सिंधु घाटी सभ्यता की विरासत और भारतीय समुद्री विरासत के बारे में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जानकारी देगा. यहां लोग इतिहास के जीवंत रूप को महसूसर कर सकेंगे. इसलिए यहां ऐतिहासिक शहर का रिप्लिका भी तैयार किया जा रहा है. इसमें नीदरलैंड भी साथ देगा. (Photo - NMHC official website)
 

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रिप्लिका में डॉकयार्ड के साथ फिर से बनाया गया लोथल शहर शामिल होगा. लोथल शहर के चारों ओर तटीय राज्यों के पवेलियन होंगे.लोथल शहर को एक 1:1 स्केल रेप्लिका रिक्रिएशन के रूप में थीम देने की कल्पना की गई है, जिसमें एक्रोपोलिस, मिडिल टाउन, लोअर टाउन, डॉकयार्ड, वेयरहाउस आदि शामिल हैं.(Photo - NMHC official website)
 

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7,520 किलोमीटर लंबी तटरेखा वाला भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता, सिंधु घाटी सभ्यता का घर है. पिछले 100 सालों में हुई खुदाई से कभी फल-फूल रही सिंधु घाटी सभ्यता के और भी सबूत मिले हैं. हालांकि, IVC से जुड़ी जगहें बहुत बड़े इलाके में फैली हुई हैं, लेकिन लोथल ही वह जगह है जहां 1957 में गुजरात के लोथल में खुदाई के दौरान सबसे पुराना इंसानों द्वारा बनाया गया डॉकयार्ड (बंदरगाह) मिला था.(Photo - NMHC official website)
 

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पुरातत्व सबूतों ने यह साबित किया है कि हड़प्पा वासियों के भारतीय तटरेखा से बहुत दूर तक समुद्री व्यापार और सांस्कृतिक संबंध थे. समुद्री संबंधों की यह परंपरा तब से लेकर अब तक पश्चिमी तट और पूर्वी तट दोनों तरफ से जारी है. पश्चिम में मेसोपोटामिया और मिस्र से लेकर सुदूर पूर्व में जापान तक के संबंध पाए गए हैं. (Photo - NMHC official website)
 

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हड़प्पा के बाद के रास्ते: जलवायु परिवर्तन का प्रभाव नाम से एक गैलरी बनाई जा रहा है. यह गैलरी हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद लोगों के आवागमन और धातु टेक्नोलॉजी के भारतीय उपमहाद्वीप और उसके बाहर के अन्य हिस्सों में ट्रांसफर की कहानी बताती है. व्यापार मार्ग जैसे उत्तरापथ, दक्षिणापथ, मुद्रा अर्थव्यवस्था का उदय, लिपियों का विकास आदि इस गैलरी का हिस्सा होंगे.  (Photo - NMHC official website)
 

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ग्रीको-रोमन दुनिया के साथ भारत का संपर्क नाम की एक और गैलरी होगी. इस गैलरी में मुख्य रूप से ग्रीको-रोमन दुनिया और फारस की खाड़ी के देशों के साथ भारत के संपर्क, भारत के पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों के बंदरगाह शहरों, भीतरी इलाकों के व्यापार नेटवर्क, बाज़ार कस्बों के कामकाज, विभिन्न दर्रों, घाटों, बौद्ध गुफाओं, शुरुआती ऐतिहासिक भारत के दौरान वस्तुओं के एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट की जानकारी दी जाएगी. साथ ही, समुद्री संपर्कों के कारण भारत और ग्रीको-रोमन दुनिया पर पड़ने वाले सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव को भी दिखाया जाएगा.(Photo - NMHC official website)
 

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