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जेल से खत लिखकर भगत सिंह मंगवाते थे ये किताबें, पढ़ने के थे शौकिन

भगत सिंह पढ़ने के काफी शौकिन थे. जब उन्हें फांसी होने वाली थी उससे पहले भी किताब पढ़ रहे थे. जेल में रहने के दौरान वह खत लिखकर अपने दोस्तों से किताबें मंगवाया करते थे.

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भगत सिंह
भगत सिंह

जिस वक्त भगत सिंह जेल में थे उन्होंने कई किताबें पढ़ीं थी. 23 मार्च 1931 को शाम करीब 7 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह और उनके दोनों साथी सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गई थी. फांसी पर जाने से पहले वे लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे. वह जब भी कुछ पढ़ते उससे संबंधित कुछ न कुछ नोट्स जरूर बनाते थे. आज उनके बनाए हुए नोट्स ने ऐतिहासिक दस्तावेज का रूप ले लिया है.

वह पढ़ने के इतने शौकिन थे कि जेल में रहने के दौरान भी वह खत लिखकर जेल में नई-नई किताबें मंगवाया करते थे. ये खत वह अपने दोस्तों को लिखा करते थे.

ऐसा ही खत उन्होंने लाहौर जेल से अपने बचपन के साथी जयदेव के नाम लिखा था. ये खत भगत सिंह की किताबों की भूख का प्रमाण था. इस पत्र से यह भी मालूम चलता है कि भगत सिंह अपने साथियों के अध्ययन के प्रति भी सचेत थे और जेल से ही यथासंभव उनकी मदद करने की कोशिश करते रहते थे. (नीचे वो चिट्ठी हूबहू दी गई है)

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सेंट्रल जेल, लाहौर

24.7. 1930

प्रिय जयदेव,

कृपया निम्नलिखित किताबें द्वारकानाथ पुस्तकालय से मेरे नाम पर जारी करवाकर शनिचरवार को कुलबीर के हाथ भेज देना:

- Materialism( karl liebknecht)

- Why men fight (B russell)

- The Soviets At Work

- Collapse of the Second International

- Left-Wing Communism

- Field, Factories and Workshops

- Land Revolution in Russia

- Mutual Aid (Prince Kropotkin)

- Civil War in France(Marx)

- Spy (Upton Sinclair)

उन्होंने लिखा कृपया यदि हो सके तो मुझे एक और किताब भेजने की कोशिश करें. इस किताब का नाम Historical Materialism (Bukharin) है. (यह पंजाब पब्लिक लाइब्रेरी से मिल जाएगी) और पुस्तकालय अध्यक्ष से मालूम करना कि कुछ किताबें क्या बोस्ट्रल जेल गई हैं?

उन्हें किताबों की बहुत जरूरत है. उन्होंने सुखदेव के भाई जयदेव के हाथों एक लिस्ट भेजी थी, लेकिन उन्हें अभी तक किताबें नहीं मिली हैं. अगर उनके (पुस्तकालय) के पास कोई सूची न हो तो कृपया लाला फिरोजचंद से जानकारी ले लेना और उनकी पसंद के अनुसार कुछ रोचक किताबें भेज देना. इस रविवार जब मैं वहां जाऊं तो उनके पास किताबें पहुंची हुई होनी चाहिए. कृपया यह काम किसी भी हालत में कर देना. इसके साथ ही Punjab Peasants in Prosperity and Debt by Darling और इसी तरह की एक दो अन्य किताबें किसान समस्या पर डॉ. आलम के लिए भेज देना.

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आशा है तुम इन कष्टों को ज्यादा महसूस न करोगे. भविष्य के लिए तुम्हें यकीन दिलाता हूं कि तुम्हें कभी कोई कष्ट नहीं दूंगा. सभी मित्रों को मेरी याद कहना और लज्जावती जी को मेरी ओर से अभिवादन. उम्मीद है कि अगर दत्त की बहन आईं तो वो मुझसे मुलाकात करने का कष्ट करेंगी.

आदर के साथ

भगत सिंह

आपको बता दें, भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गांव (पाकिस्तान) में हुआ था. उन्हें 23 साल की उम्र में 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में उनके साथियों के साथ फांसी दे दी गई थी.

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