जब पूरी दुनिया कोरोना से जंग में जान-माल से रोजगार तक बहुत कुछ हार रही है. ऐसे में भी अगर कोई अपने पैर जमाकर इस जंग में अपने लोगों की जान सुरक्षित किए है तो वो है रिपब्लिक ऑफ चाइना यानी कि ताइवान..आइए जानते हैं इस देश की पूरी कहानी और इसके भारत और चीन से क्या हैं रिश्ते...
ताइवान पूर्वी एशिया का एक द्वीप है, एक तरह से यह अपने आसपास के कई द्वीपों को मिलाकर चीनी गणराज्य का अंग है जिसका मुख्यालय ताइवान द्वीप ही है. ताइवान की राजधानी ताइपे है. अगर भारत के साथ रिश्तों की बात करें तो taiwan today डेली के मुताबिक ताइवान के साथ भारत के आर्थिक और व्यापारिक संबंधों के साथ ही दोनों देशों के लोगों के बीच सम्पर्क पिछले कुछ सालों में बढ़े हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स में इसी हफ्ते छपी एक रिपोर्ट में कोरोना से जंग में ताइवान के प्रयासों की खूब सराहना की गई है. इस रिपोर्ट ताइवान के स्वास्थ्य मंत्री व महामारी कमांड सेंटर के प्रमुख के बयान के अनुसार बताया गया है कि कैसे सरकार ने अपनी खास रणनीति के जरिये वायरस की भयावहता पर काबू पाया. जनसंख्या में फ्लोरिडा से भी विशाल इस देश में अब तक कोरोना के इक्का दुक्का मरीज ही सामने आए हैं.
इस देश में मार्च के बाद से अधिकांश सैलानियों का प्रवेश एकदम रोक दिया है. यहां तक कि बाहर से आ रहे ताइवान के नागरिकों को भी दो सप्ताह तक कड़ी निगरानी में क्वारनटीन होना सख्त नियम में शामिल है. इसके अलावा दूसरे प्रोटोकॉल जैसे मास्क-सेनेटाइजर का सख्ती से पालन हो रहा है.
भूगोल की नजर से देखें तो भले ही ड्रैगन के ठीक बगल में है. यहां तक कि इसका असली नाम भी रिपब्लिक ऑफ चाइना है लेकिन इसकी सांस्कृतिक पहचान काफी अलग और बेहद मजबूत है. ताइवान और चीन में भले ही संबंधों में उतनी पारदर्शिता और अपनापन न दिखता हो लेकिन ताइवान भारत को एशिया का ताकतवर देश मानता है जो निवेश के लिए काफी अच्छा है.
बता दें कि साल 2017 दिसंबर में ताइवान और भारत के बीच औद्योगिक सहयोग को लेकर एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ था. इस समझौते को लेकर चीन और ताइवान की मीडिया में खूब चर्चा रही. ताइवानी मी़डिया जहां समझौते की सराहना कर रहा था कि इससे दोनों पक्षों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा. वहीं चीन के सरकारी अख़बारों ने इस समझौते को लेकर भारत को चेताया था.
आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि आखिर चीन और ताइवान का रिश्ता किस तरह का है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार व्यावहारिक तौर पर ताइवान ऐसा द्वीप है जो 1950 से ही स्वतंत्र रहा है. मगर चीन इसे अपना विद्रोही राज्य मानता है. एक ओर जहां ताइवान ख़ुद को स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र मानता है, वहीं चीन का मानना है कि ताइवान को चीन में शामिल होना चाहिए और फिर इसके लिए चाहे बल प्रयोग ही क्यों न करना पड़े.
रिपब्लिक ऑफ चीन के अंतर्गत आने के बावजूद ताइवान चीन को किसी भी तरह का टैक्स नहीं देता. यह एक अलग देश की तरह ही अपनी सरकार चलाता है. इस देश की मुद्रा न्यू ताइवान डॉलर और मेंडेरिन व हक्का यहां की राष्ट्रीय भाषाएं हैं.
भूकंपों के लिए है पहचान
ताइवान रिंग्स ऑफ फायर में स्थित है, इसीलिए ये द्वीप दुनिया के सबसे अधिक भूकंप गतिविधियों वाले स्थानों में से एक है. यहां हर साल 1,000 से अधिक छोटे-बड़े भूकंप आते हैं.