फिलीपींस के बाद अब इंडोनेशिया भी भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल खरीदने की तैयारी में है. दोनों देशों के बीच इस सौदे पर महत्वपूर्ण बातचीत इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री सजफ्री स्यामसूद्दीन की भारत यात्रा के दौरान होने वाली है. वे 26 से 28 नवंबर तक भारत दौरे पर रहेंगे.
सूत्रों के मुताबिक, यह यात्रा हाल के महीनों में दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की लगातार बैठकों और परस्पर दौरों के बाद तय हुई है. इंडोनेशिया की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए भारत और इंडोनेशिया के बीच इस मिसाइल सौदे पर कूटनीतिक और रक्षा स्तर पर बातचीत तेज हो गई है.
ब्रह्मोस मिसाइल में इंडोनेशिया की गहरी दिलचस्पी
हाल ही में लखनऊ में हुए एक ब्रह्मोस कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पुष्टि की थी कि इंडोनेशिया ब्रह्मोस सिस्टम खरीदने में गंभीर रुचि रखता है और सौदा आगे बढ़ सकता है. इंडोनेशिया की यह रुचि दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है.
फिलीपींस पहले ही खरीद चुका है
भारत फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की तीसरी और अंतिम खेप सौंपने की तैयारी कर रहा है, जिससे 2022 में हुए 375 मिलियन डॉलर के समझौते की आपूर्ति पूरी हो जाएगी. इससे पहले की खेपें 2024 और इसी साल की शुरुआत में भेजी जा चुकी हैं. फिलीपींस ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाला भारत का पहला विदेशी ग्राहक बना है.
पाकिस्तान में मचाई थी तबाही
मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के अंदर गहराई तक जाकर प्रहार किए थे. इस कार्रवाई में Su-30MKI लड़ाकू विमानों से ब्रह्मोस मिसाइलें दागी गई थीं, जिन्होंने नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक और सफल हमले किए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ब्रह्मोस की क्षमता की सराहना करते हुए कहा था कि यह ‘पिनपॉइंट एक्यूरेसी’ वाली मिसाइल है. दूसरी ओर, पाकिस्तान ने अपने बचाव में चीन निर्मित J-10 लड़ाकू विमान तैनात किए थे, जो 200 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली PL-15 मिसाइलों से लैस थे. इसके बावजूद ब्रह्मोस ने स्टैंड-ऑफ दूरी से हमला कर पाकिस्तानी तैयारियों को चौंका दिया.
ब्रह्मोस की ताकत को भी जान लीजिए
ब्रह्मोस भारत और रूस की ओर से संयुक्त रूप से विकसित किया गया एक एडवांस्ड मिसाइल सिस्टम है, जिसे जमीन, समुद्र और हवा- तीनों प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है. इसकी रेंज 290 किलोमीटर, गति मैक 2.8 यानी ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक है और इसकी सटीकता विश्व स्तर पर मानी जाती है. यह मिसाइल एंटी-शिप और लैंड अटैक, दोनों तरह के मिशनों के लिए अत्यंत प्रभावी है. ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की सफलता ने वैश्विक स्तर पर इसकी मांग को बढ़ाया और भारत के रक्षा निर्यात को नई तेजी दी. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपये तक पहुंचा, जिसमें ब्रह्मोस का महत्वपूर्ण योगदान रहा.