भारत और रूस के बीच रणनीतिक रक्षा सहयोग को लेकर एक बार फिर अहम चर्चा हुई है. दोनों देशों ने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति और Su-30 MKI लड़ाकू विमानों के अपग्रेड को लेकर गंभीर बातचीत की है.
S-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी
जानकारी के मुताबिक रूस ने भारत को आश्वासन दिया है कि बचे हुए दो स्क्वॉड्रन S-400 मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति 2026-27 तक पूरी कर दी जाएगी. यूक्रेन युद्ध के कारण डिलीवरी में कुछ देरी जरूर हुई है, लेकिन रूस इस समझौते को प्राथमिकता दे रहा है.
अतिरिक्त S-400 की मांग बढ़ी
भारत ने रूस से दो और S-400 यूनिट खरीदने का प्रस्ताव रखा है. यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 की सफल तैनाती के बाद लिया गया, जिससे यह साबित हुआ कि ये प्रणाली भारत की वायु रक्षा को नई मजबूती देने वाली है, वहीं बॉर्डर पर बढ़ते तनाव के बीच यह भारत की तैयारियों को और ताकत देगा.
Su-30 MKI को आधुनिक बनाने पर जोर
भारत और रूस के बीच चर्चा में Su-30 MKI फाइटर जेट्स को आधुनिक बनाने पर भी जोर है. इन अपग्रेड्स से भारत की वायु शक्ति और सुरक्षा क्षमताओं में बड़ा इजाफा होगा. यह लड़ाकू विमान भारत की वायु सेना की रीढ़ हैं और इन्हें समय के साथ उन्नत तकनीक से लैस करना जरूरी है.
रणनीतिक रक्षा साझेदारी
S-400 समझौता भारत-रूस के बीच दशकों पुराने रक्षा संबंधों का प्रतीक है. अमेरिका की काउंटरिंग अमेरिका एडवरटाइज थ्रो सेंक्शन एक्ट (CAATSA) नीति के बावजूद भारत रूस के साथ अपने रक्षा सहयोग को जारी रखे हुए है. भारत का मानना है कि उसकी सुरक्षा प्राथमिकताएं किसी बाहरी दबाव से संचालित नहीं होनी चाहिए.
प्रोजेक्ट कुशा पर काम कर रहा भारत
भारत अपनी स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली प्रोजेक्ट कुशा पर भी काम कर रहा है, जिसकी तैनाती 2028-29 तक होने की उम्मीद है. इसके अलावा भारत हाइपरसोनिक मिसाइल, ड्रोन्स और नई पीढ़ी की युद्ध तकनीकों पर भी तेजी से काम कर रहा है.
S-400 की क्या हैं खासियत
S-400 एक अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है, जो 600 किलोमीटर तक टारगेट को ट्रैक कर सकती है और 400 किलोमीटर तक दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को मार गिरा सकती है. भारत ने 2018 में रूस से 5.43 बिलियन डॉलर में पांच S-400 यूनिट्स का सौदा किया था. इनमें से तीन यूनिट पहले ही भारत को मिल चुकी हैं, और दो की डिलीवरी अभी बाकी है.