कौन कहता है कि कानून बस खूंटी पर टंगा है, अरे बस एक बार यूपी घूम आइए. कुर्सी, चारपाई, टेबुल, फर्श यहां तक कि मच्छरदानी के अंदर तक आपको कानून लेटा, पसरा, ऊंघता, सोता मिल जाएगा. बुलंदशहर हाइवे पर गैंगरेप की वारदात के बाद लोग सोच रहे होंगे कि इतने बड़े केस के बाद बेचारे कानून को सांस लेने की भी फुर्सत नहीं होगी, लेकिन यहां तो सांसें खर्राटे मार रही हैं. आखिर वर्दी पहनने वालों का रौब अलग ही होता है.
सोते कैमरे में कैद हुए पुलिसवाले
यूपी की सोती पुलिस का पूरा सच 'आज तक' के कैमरे में कैद हो गया. कहते हैं सिस्टम में चीजें ऊपर से ही बिगड़ती और ऊपर से ही सुधरती हैं. अब जब ड्यूटी पर तैनात सीओ साहब खुद ही नींद में हों, तो भला माहतमों से जागकर काम करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? मेरठ में कुछ ऐसा ही मंजर नजर आया. सीओ साहब अपनी कार में सो रहे थे तो सिपाहियों ने हाइवे पर ही चारपाई डाल कर मच्छरदानी तान दी.
गैंगरेप से इलाके के लोग सकते में
दरअसल बुलंदशहर की चोला पुलिस चौकी की हद में मां-बेटी से हुई दोहरी गैंगरेप की वारदात ने सबको सकते में डाल दिया. लेकिन उस दहलाने वाली वारदात के फौरन बाद उस शहर की पुलिस का हाल क्या है, रात के सन्नाटे में चौकी की बेंच पर एक अकेला शख्स चुपचाप हाथ बांधे बैठा है और दूसरी ओर उसकी तरफ पीठ किए दारोगा जी मजे से खर्राटे ले रहे हैं. नींद में खलल ना पड़े इसलिए पूरे सिर पर गमछा भी बांध रखा है और एहतियात के तौर पर वायरलेस सेट का माउथपीस सिरहाने रख लिया है.
पुलिसवाले गलती मानने को तैयार नहीं
एनएच 91 पर हुई गैंगरेप की वारदात के बाद जब देश में यूपी पुलिस की किरकिरी हो रही और शासन ने तमाम जिलों में पुलिसवालों को पूरी तरह मुस्तैद रहने की हिदायत दी है. कैमरे पर सोते हुए कैद हो चुके दारोगा साहब से जब थाने में सोने की वजह पूछी गई, तो जनाब ने साफ इनकार कर दिया. और तो और कैमरे में उनकी तस्वीरें कैद होने की बात कहने पर भी उन्होंने अपनी गलती कुबूल नहीं की.
पुलिस की हरकत से उठे सवाल
वहीं पुलिस चौकी खुर्जा में भी सन्नाटा पसरा था. ना तो गेट पर कोई सुरक्षाकर्मी और ना ही अंदर कोई अफसर. बहरहाल, अंदर बैरक में एक पुलिसवाला चादर ओढ़े चैन की नींद सोता हुआ जरूर दिखा. लगे हाथ 'आज तक' के रिपोर्टर ने थान से ही 100 नंबर पर कॉल कर कंट्रोल रूम का हाल पता करने की कोशिश की. लेकिन यहां भी नतीजा वही निकला, ढाक के तीन पात, 100 नंबर लगातार बिजी आता रहा. सोचिए, जो शहर महज तीन रोज पहले गैंगरेप की वारदात से थर्रा चुका हो और जिसकी आंच से सूबे के डीजीपी से लेकर मुख्यमंत्री तक को जवाब देना भारी पड़ रहा हो, उसी शहर में पुलिस की ये हालत वाकई बेचैन करने वाली है.