बुलंदशहर में हाईवे पर हैवानियत के बाद पीड़ित परिवार इंसाफ की गुहार लगा रहा है. दर्द और दुख इतना कि जान देने तक की बात कर रहा है. लेकिन इस घिनौनी और खौफनाक़ वारदात के बाद क्या यूपी की पुलिस बदली. क्या यूपी के हर शहर ने कोई सबक लिया. इस हकीकत को जानने के लिए आजतक ने किया यूपी के तमाम शहरों की पुलिस का रियलिटी चेक. इस तहकीकात में क्या सामने आया हम आपको यही बताने जा रहे हैं.
बुलंदशहर की दहला देने वाली वारदात के बाद जब आज तक की टीम ने अपना कैमरा यूपी के अलग अलग शहरों में घुमाया और पुलिस का रियलिटी चेक किया तो हैरान कर देने वाली तस्वीरें सामने आईं. एक तरफ तो यूपी पुलिस और सरकार बुलंदशहर की वारदात के बाद चौकस हो जाने की बात कह रहे थे तो दूसरी तरफ जमीनी हकीकत कुछ और ही निकली.
बुलंदशहर में पुलिसवाले सोते मिले. मेरठ में मच्छरदानी तानकर पुलिसवाले आराम फरमाते हुए मिले. जब आजतक की की टीम का कैमरा मुख्यमंत्री के गृह जनपद इटावा की तरफ घूमा तो पुलिस वाले आराम से कुर्सी पर बैठकर खर्राटे भर रहे थे. यही हाल बिजनौर और इलाहाबाद जिले का भी था. गोरखपुर हो या बरेली, या फिर इलाहाबाद सभी जगहों पर पुलिस की हकीकत सरकार के दावों को झुठलाती नजर आई.
इससे साफ पता चल रहा था कि एक खौफनाक वारदात के बाद यूपी पुलिस कितनी मुस्तैद हुई. इस पड़ताल की शुरुआत भी आजतक की टीम ने उसी बुलंदशहर से की थी, जहां से सुरक्षा को लेकर ये सवाल खड़ा हुआ था. लेकिन जब हमारी टीम ने बुलंदशहर का जायज़ा लिया तो हालात हैरान कर देने वाले थे. रिएलिटी चेक के दौरान एक चौकी में सन्नाटा पसरा हुआ था. तो दूसरी तरफ थाने में सिपाही सो रहे थे. दारोगा जी खर्राटे भर रहे थे.
कोतवाली में देहात की बियावान सी पड़ी चौकी चौला में तख्त पर 2 स्टार वाला एक पुलिस अफसर खर्राटे ले रहा था. मुंह पर कपड़ा और बगल में वायरसेल का माउथपीस रखा हुआ था. आजतक की टीम के पहुंचने की हलचल से भी जनाब की नींद नहीं टूटी. पुलिस अफसर खर्राटे ले रहा था.
वहीं चौकी में एक शख्स चुपचाप कुर्सी पर बैठा था. हमारी टीम हैरान रह गई जब हमने यह जाना कि कुर्सी पर बैठा वो शख्स एक मामले का आरोपी था. ताज्जुब की बात है कि एक आरोपी को यूं बिठाकर वो पुलिसवाला मज़े से खर्राटे ले रहा था. इस शख्स से हमारी टीम की बातचीत के वाबजूद दारोगा जी के कान पर जूं नहीं रेंगी. हमारी टीम दरोगा जी और आरोपी को यूं ही छोड़कर चौकी के ठीक सामने हाईवे पर जायजा लेने पहुंची.
वहां बेरीकेडिगं थी, मगर पुलिसवाले नहीं. ये शहर में एंट्री की अहम पुलिस चौकी थी. उसी बुलंदशहर में एंट्री करने वाली सबसे अहम सड़क की चौकी, जिस बुलंदशहर में गैंगरेप की वारदात ने सूबे की सरकार और पुलिस के मुखिया तक को हिला कर रख दिया. लेकिन इस चौकी के पुलिसवाले हरकत में नहीं आ पाए.
ऐसे ही हालात जिले की सिकंदराबाद खुर्जा चौकी के भी थे. बाहर से देखते ही खुर्जा की चौकी सन्नाटे में डूबी नज़र आई. गेट से लेकर अंदर तक कोई पुलिसवाला नहीं. कोई हलचल नहीं. चौकी के अंदर भी मरघट जैसा सन्नाटा पसरा था. यहां कोई इंसान भी है इसका इकलौता सबूत मिला एक बैरक में. लेकिन वहां मौजूद पुलिसवाला भी मुस्तैद नहीं बल्कि खर्राटे ले रहा था.
जब चौकियों में पुलिसवाले ही नहीं. तो फरियाद किससे की जाए. इसके बाद हमारी टीम ने पुलिस के एमरजेंसी नंबर 100 को डायल किया. बार बार डायल किया. लेकिन लगातार बिजी टोन आती रही. जो बुलंदशहर 3 दिन पहले गैंगरेप से थर्रा चुका है. जिसकी आंच डीजीपी से लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंच चुकी है. जिस वारदात से पूरा देश सिहर उठा. उसी बुलंदशहर में पुलिस की ये हकीकत सचमुच शर्मनाक है.