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लखनऊः वक्फ बोर्ड की 45 करोड़ की जमीन फर्जीवाड़ा कर बेचने के आरोपी को CBI ने किया गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में CBI ने वक्फ बोर्ड की 45 करोड़ की जमीन को फर्जीवाड़ा कर बेचने के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी अशोक पाठक दो अलग-अलग मामलों में फरार चल रहा था. आरोपी ने लखनऊ के सरोजिनी नगर में बन रहे पुलिस विश्वविद्यालय की जमीन फर्जी दस्तावेजों से बेच दी थी.

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फर्जीवाड़े से बेचने के आरोपी को CBI ने किया गिरफ्तार.  (Representational image)
फर्जीवाड़े से बेचने के आरोपी को CBI ने किया गिरफ्तार. (Representational image)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सरोजिनी नगर में बन रहे पुलिस विश्वविद्यालय की जमीन को लेकर की जालसाजी
  • धोखाधड़ी के दो अलग-अलग मामलों में फरार चल रहा था आरोपी

केंद्रीय जांच एजेंसी CBI ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में धोखाधड़ी के दो अलग-अलग मामलों में नामित फरार आरोपी अशोक पाठक को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार आरोपी को लखनऊ की स्थानीय अदालत के समक्ष पेश किया गया. इसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

आरोप है कि लखनऊ के सरोजिनी नगर में बन रहे पुलिस विश्वविद्यालय की जमीन फर्जी दस्तावेजों से नोएडा के बिल्डर की कंपनी के नाम करवा दी थी. सीबीआई की ACB ब्रांच ने जांच करने के बाद आरोपी अशोक पाठक को गिरफ्तार कर लिया. यह धोखाधड़ी करीब 45 करोड़ की बताई जा रही है.

जानकारी के अनुसार, फर्जी हस्ताक्षर से वक्फ बोर्ड की जमीन हड़पने के मामले में आरोपी अशोक पाठक पर साल 2016 में केस दर्ज कराया गया था. पहला मामला आरोपी व एक अधिवक्ता सहित अन्य के विरुद्ध दर्ज हुआ था. आरोप लगाया गया था कि प्रदेश सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि अवैध थी, क्योंकि यह विचाराधीन भूमि वक्फ की थी. जांच के बाद आरोपियों व अन्य के विरुद्ध 30 दिसंबर 2020 को सीबीआई मामलों के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी लखनऊ की कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया गया, तब से विचाराधीन भूमि यूपी सरकार को वापस की जा चुकी है.

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इसके बाद दूसरा केस आरोपी अशोक पाठक, एक अधिवक्ता और अन्य अज्ञात के विरुद्ध दर्ज किया गया, जिसमें वक्फ बोर्ड के फर्जी हस्ताक्षर से धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया. साल 2015 की अवमानना याचिका में दावा किया गया था कि सरकार ने आरोपियों के निर्माण गिराकर अवमानना की  है.

जांच के बाद इस मामले में आरोपी अशोक पाठक सहित दो आरोपियों के विरुद्ध 31 दिसंबर 2020 को सीबीआई मामलों के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी लखनऊ की कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया गया. दोनों याचिकाएं साल 2016 की याचिका और 2015 की अवमानना याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 57 हेक्टेयर सरकारी भूमि हथियाने के लिए दायर की गई थी, जिसमें करीब 45 करोड़ की धोखाधड़ी की बात कही गई थी. आरोप है कि जमीन को अलग-अलग लोगों को आरोपी ने बेच दिया है.

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