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एंटिलिया केस: विस्फोटक विशेषज्ञ ने कहा- 20 छड़ें उड़ा देंगी कार, 200 वर्ग फीट क्षेत्र में होगा असर

ब्लास्ट और बैलिस्टिक विशेषज्ञ जितेंद्र कोचर ने बताया कि इन जिलेटिन छड़ों का इस्तेमाल आमतौर पर नक्सली इलाकों में नक्सली करते हैं. वे पुलिस के एंटी लैंडमाइन व्हीकल को विस्फोट से उड़ाने के लिए इसी का इस्तेमाल करते हैं. जिलेटिन की छड़ें धमाका होने पर धकेलने जैसा प्रभाव डालती हैं. 

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मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली एसयूवी कार चोरी की थी
मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली एसयूवी कार चोरी की थी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एक SUV कार को तबाह कर सकती हैं 20 छड़ें
  • छड़ों में है बेसमेंट एरिया को उड़ाने की क्षमता
  • धमाके के लिए पड़ती है डेटोनेटर की ज़रूरत

मुंबई में मुकेश अंबानी के घर के पास मिली एसयूवी कार को लेकर पुलिस और जांच एजेंसियां तेजी से छानबीन कर रही हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि उस एसयूवी से मिली जिलेटिन की छड़ें एक कार को उड़ाने के लिए पर्याप्त थीं. गुरुवार को उस कार से लगभग 2.5 किलोग्राम जिलेटिन यानी 20 छड़ें बरामद की गईं थी. आजतक/इंडिया टुडे ने इस मामले को लेकर गुजरात की नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी में ब्लास्ट और बैलिस्टिक विशेषज्ञ और कंसल्टेंट जितेंद्र कोचर से बात की. 

ब्लास्ट और बैलिस्टिक विशेषज्ञ जितेंद्र कोचर ने बताया कि इन जिलेटिन छड़ों का इस्तेमाल आमतौर पर नक्सली इलाकों में नक्सली करते हैं. वे पुलिस के एंटी लैंडमाइन व्हीकल को विस्फोट से उड़ाने के लिए इसी का इस्तेमाल करते हैं. जिलेटिन की छड़ें धमाका होने पर धकेलने जैसा प्रभाव डालती हैं. 

उनके मुताबिक जिस प्रकार उस संदिग्ध कार से कुछ नंबर प्लेट भी पाई गई हैं, तो हो सकता है कि काफिला संदिग्धों के निशाने पर रहा होगा. कोचर ने बताया कि इन छड़ों से लगभग 3000 क्यूबिक फीट क्षेत्र प्रभावित होगा. और यह इस मामले में इस्तेमाल किए जाने पर यह पूरी कार को नुकसान पहुंचा सकता है और उड़ा सकता है. रिपोर्टर ने जितेंद्र कोचर से बात की.

रिपोर्टर- 20 जिलेटिन छड़ों से कितना नुकसान हो सकता है?
जितेंद्र कोचर- 20 जिलेटिन की छड़ें जो वाहन में मिली हैं, उनमें एक बेसमेंट एरिया को तबाह करने की ताकत है, जो किसी भी इमारत को गिरा सकती है. हाल में ही कर्नाटक में एक घटना सामने आई थी, जहां खदान स्थल पर एक वाहन में जिलेटिन स्टिक का एक गुच्छा फट गया था. उस विस्फोट में कम से कम छह लोग मारे गए थे. वो धमाका इतना शक्तिशाली था कि उसने वाहन पूरी तरह से तबाह कर दिया था और मार गए लोगों की पहचान तक नहीं हो सकी.

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रिपोर्टर- जिलेटिन की छड़ें कैसे खरीद सकते हैं?
जितेंद्र कोचर- इसके पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) की वेबसाइट पर एक ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा. जब एक बार ग्राहक आरई 11 में ऑनलाइन इंडेंट जुटा लेता है, तो उसे आरई-11 की रिसीविंग होती है. फिर उसके फॉर्म को विस्फोटक विभाग (पीईएसओ) के पोर्टल के जरिए आगे बढ़ा दिया जाता है. इसके बाद कंपनी विस्फोटक को ग्राहक के पास डिलीवर करती है. और सप्लाई किए गए विस्फोटक की जानकारी ऑनलाइन RE-12 फॉम के माध्यम से पुलिस विभाग और PESO को बारकोड के साथ भेजती है. कंपनी विस्फोटक सप्लाई करने के लिए विशेष वाहन का इस्तेमाल करती है.

रिपोर्टर- विस्फोट करने के लिए जिलेटिन की छड़ों के साथ और क्या ज़रूरी होता है?
जितेंद्र कोचर- विस्फोट के लिए एक डेटोनेटर जरूरी है. अगर वे किसी काफिले को निशाना बना रहे होते तो वे टाइमर का इस्तेमाल कर सकते थे. वे इसे 9 वॉट की बैटरी से पावर दे सकते थे और विस्फोट को रिमोट से कंट्रोल करने के लिए इसमें टाइमर भी लगा सकते थे.

रिपोर्टर- जिलेटिन स्टिक के खरीदार का पता लगाना कितना मुश्किल है?
जितेंद्र कोचर- अगर ये 25 छड़ों का पूरा पैकेट होता, तो पैकेट पर एक बारकोड होता है. जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि इसे कहां से खरीदा गया था. लेकिन खुली छड़ें अभी तक बार-कोडेड नहीं होती हैं. इसके लिए एक प्रक्रिया अपनाई जा रही है.

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संदिग्ध कार में मिली जिलेटिन छड़ें बनाने वाली कंपनी सोलर इंड्रस्ट्रीज़ के चेयरमैन सत्यनारायण नुवाल ने एक बयान में कहा कि कल देर रात 1.30 बजे मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के अधिकारियों का फोन आया था. उन्हें बताया गया कि मुकेश अंबानी के घर के सामने खड़ी कार में जो जिलेटिन की छड़ें बरामद हुई हैं, वो सोलर इंड्रस्ट्रीज़ में बनाई गई थीं.

अंबानी परिवार को धमकी भर पत्र मिला

उन्होंने कहा कि खुली छड़ें देखकर ये पता लगाना मुश्किल होगा कि इसे कौन खरीद कर ले गया था. आम तौर पर इसे पैक करके बॉक्स में दिया जाता है. उस बॉक्स पर सारा विवरण होता है. लेकिन बरामद की गई छड़ें खुली हैं, इसलिए यह पता लगाना मुश्किल होगा कि इन्हें कौन ले गया था. इन छड़ों की बिक्री पीईएसओ और पुलिस विभाग के माध्यम से होती है. लेकिन हर छड़ पर बार कोड नहीं होता है.

 

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