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2069 करोड़ की ड्रग, 489 करोड़ की शराब और 395 करोड़ नकद... 1 मार्च से अब तक चुनाव आयोग ने की इतनी वसूली

पहला चरण 19 अप्रैल को है और आखिरी चरण 1 जून को है. चुनाव आयोग ने कहा कि अधिकारी 1 मार्च से हर दिन 100 करोड़ रुपये की जब्ती कर रहे हैं. 4,658 करोड़ रुपये की कुल वसूली में से 395 करोड़ नकद है. जबकि 489 करोड़ रुपये से अधिक की शराब है.

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चुनाव आयोग ने तलाशी के दौरान की गई जब्ती की जानकारी दी
चुनाव आयोग ने तलाशी के दौरान की गई जब्ती की जानकारी दी

लोकसभा चुनाव से पहले 4,650 करोड़ रुपये की जब्ती की जा चुकी है, जिसमें 2069 करोड़ रुपये की ड्रग भी शामिल है. चुनाव आयोग ने सोमवार को कहा कि उसकी निगरानी में अधिकारियों ने यह कार्रवाई की है. आयोग के पोल पैनल ने बताया कि 1 मार्च से अब तक की गई जब्ती 2019 के संसदीय चुनावों के दौरान बरामद 3,475 करोड़ रुपये से अधिक है. आपको बता दें कि सात चरणों वाले लोकसभा चुनावों की घोषणा 16 मार्च को की गई थी.

पहला चरण 19 अप्रैल को है और आखिरी चरण 1 जून को है. चुनाव आयोग ने कहा कि अधिकारी 1 मार्च से हर दिन 100 करोड़ रुपये की जब्ती कर रहे हैं. 4,658 करोड़ रुपये की कुल वसूली में से 395 करोड़ नकद है. जबकि 489 करोड़ रुपये से अधिक की शराब है.

गौरतलब है कि 45 फीसदी जब्ती ड्रग्स (2,069 करोड़ रुपये) की है. आयोग की तरफ से कहा गया है कि राजनीतिक वित्तपोषण के अलावा काले धन का इस्तेमाल, अधिक साधन संपन्न पार्टी या उम्मीदवार के पक्ष में समान अवसर को बिगाड़ सकता है. इसमें कहा गया है कि जब्ती की कार्रवाई लोकसभा चुनाव को प्रलोभन से मुक्त कराने के उसके संकल्प का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. चुनावी कदाचार और समान अवसर सुनिश्चित करना है.

इस साल जनवरी और फरवरी में कुल बरामदगी में नशीली दवाओं की बरामदगी लगभग 75 प्रतिशत थी और चुनाव आयोग ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से बहुत पहले ही इस समस्या पर ध्यान केंद्रित कर दिया था. पिछले कुछ वर्षों में, गुजरात, पंजाब, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम में राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान महत्वपूर्ण जब्ती की गई है.

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चुनाव प्राधिकरण ने याद दिलाया कि सीईसी राजीव कुमार ने पिछले महीने चुनावों की घोषणा करते समय धन शक्ति को '4एम' चुनौतियों में से एक के रूप में रेखांकित किया था। पोल पैनल ने बताया कि वह समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई कर रहा है, जैसे कि प्रमुख नेताओं के वाहनों की जांच करना और यहां तक कि अपने काम को पूरा करने में ढिलाई बरतने वाले अधिकारियों को हटाना भी इसमें शामिल है.

पीटीआई के मुताबिक, आयोग ने लगभग 106 सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की है, जो चुनाव प्रचार में राजनेताओं की सहायता करते पाए गए, जो विभिन्न नियमों और नैतिकता के खिलाफ है. चुनाव आयोग के सूत्रों ने यह भी बताया कि हेलीकॉप्टरों की तलाशी में कुछ भी नया नहीं था, जैसा कि टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी के मामले में किया गया था.

चुनावों से पहले, सभी जिला मजिस्ट्रेटों और पुलिस अधीक्षकों को हवाई क्षेत्रों और हेलीपैडों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए कहा गया था. इस तरह की तलाशी देश भर में सार्वजनिक और निजी दोनों हवाई क्षेत्रों में की जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रलोभन हवाई मार्ग से न लाया जाए.

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