पहलगाम अटैक... दर्द और तकलीफ की ऐसी कहानी है, जिसे बयान करते हुए भी शब्द चूक जाते हैं. किसी अपने को खोने का गम क्या होता है, ये हर कोई जानता है. और जब कोई अपना ऐसी किसी आतंकी वारदात में दर्दनाक तरीके से मारा जाए, तो उस तकलीफ की किसी और तकलीफ से तुलना नहीं हो सकती. जरा सोचिए पहलगाम में मारे गए उन लोगों के रिश्तेदारों पर क्या गुजरी होगी, जब उन्होंने अपनी आंखों के सामने अपनों को आतंकियों की गोली से मरते देखा होगा. यकीनन इस मंजर ने उन्हें तोड़ दिया होगा. फिर जब ये खबर उनके घर पहुंची होगी, तो फिर घर वालों पर क्या गुजरी होगी. तो आइए आपको बताते हैं पहलगाम से लेकर पुरुलिया तक दर्द की ऐसी ही 10 कहानियां.
पहलगाम के बैसरन घाटी में मंगलवार की दोपहर को जब आतंकियों ने चुन-चुन कर बेगुनाहों को मारना शुरू किया था, दिल को कचोट देने वाली तस्वीरें तभी से सामने आने लगी थीं. एक रोज ये आतंकी हमला भी तारीख के पन्नों में दर्ज होकर रह जाएगा, लेकिन इस आतंकी हमले की ये तस्वीरें कभी भुलाई नहीं जा सकेंगी.
इनमें कई तो ऐसे हैं जिनके अपने उनकी आंखों के सामने आतंकियों की गोलियों का शिकार बन गए, जो थोड़ी देर पहले तक हंस रहे थे, घूम रहे थे. एकाएक सबसे दूर चले गए. जबकि कई ऐसे हैं जिन्हें मौका-ए-वारदात से सैकड़ों मील दूर में आतंकी हमले में अपनों के खो जाने की खबर मिली. टीवी के पर्दे से लेकर सोशल मीडिया तक, दर्द और दहशत में डूबी न जाने ऐसी कितनी ही तस्वीरें हैं, जिन्हें देख कर कलेजा छलनी हो रहा है.
पुरुलिया के मनीष रंजन मिश्रा की दर्दनाक मौत
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के रहने वाले मनीष रंजन मिश्रा एक होनहार आईबी ऑफिसर थे. उनकी शख्सियत और उनकी काबलियत पर पूरे परिवार को बड़ा मान था. लेकिन मनीष को भी पहलगाम ने आतंकियों ने नाम पूछ कर अपनी गोलियों का शिकार बना डाला, वो भी उनकी पत्नी और बच्चों के आंखों के सामने. मनीष की मौत से अब पहलगाम से लेकर पुरुलिया तक बेइंतहा दर्द है.
आईबी ऑफिसर मनीष रंजन मिश्रा की मां को जबसे अपने कलेजे के टुकड़े के जाने की खबर मिली है, वो खुद को रोक नहीं पा रही हैं. बस रोए जा रही हैं. मनीष के पैदा होने से लेकर उनके बड़े होने तक और फिर एक आईबी ऑफिसर के तौर पर अपनी पहचान बनाने तक मां को अपने लाडले बेटे की हरेक याद हरेक लम्हें कचोट रहे हैं.
मनीष भी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ पहलगाम घूमने गए थे. मगर उनका सामना आतंकियों से हो गया. आतंकियों ने उनकी गाड़ी रुकवाई, पहचान पूछी और बिल्कुल करीब से उन्हें गोली मार दी. पत्नी और बच्चों ने अपनी आंखों के सामने अपने पति और पिता की मौत देखी और वो भी इतनी भयानक बर्बर मौत. जरा सोचिए उन पर क्या गुजरी होगी. सोच कर ही मन सिहर उठता है, रौंगटे खड़े हो जाते हैं.
एक ही झटके में सब सपने चकनाचूर
इंडियन नेवी के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के शव के साथ उनकी पत्नी हिमांशु बदहवास खुले मैदान के बीच बैठी हैं. विनय के साथ जो कुछ हुआ, उसे उनकी नई नवेली दुल्हन हिमांशी ताउम्र तो क्या, शायद सात जन्मों में भी नहीं भुला सकेंगी. अभी-अभी तो दोनों की शादी हुई थी. दोनों ने हनीमून के लिए कश्मीर को चुना था. आंखों में न जाने कितने ही सपने थे, लेकिन आतंकियों ने एक ही झटके में सब चकनाचूर कर दिया.
करनाल के रहने वाले थे विनय और हिमांशी
वादी में मौजूद बीसियों लोगों के साथ मंगलवार को ये नवविवाहित जोड़ा भी बैसरन में मौजूद था, लेकिन एकाएक आतंकियों ने उनकी खुशगवार जिंदगी को स्याह अंधेरे में धकेल दिया. आतंकी आए, उन्होंने विनय से उनका नाम पूछा और सीधे प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मार दी. विनय और हिमांशी की 16 अप्रैल को ही शादी हुई थी. 19 को रिसेप्शन था. यानी अभी उनकी नई-नई जिंदगी की शुरुआत हो रही थी कि आतंकियों ने सब खत्म कर दिया. फिलहाल हरियाणा के करनाल में विनय के घर में मातम का मंजर है.
कानपुर के शुभम का दर्दनाक किस्सा
कानपुर के शुभम की कहानी में विनय से मिलती जुलती है. शुभम भी अपनी नई नवेली बीवी के साथ पहलगाम घूमने पहुंचा था. वैसे तो शुभम के परिवार के और भी लोग उनके साथ थे, लेकिन बैसरन की घाटी में घु़ड़सवारी करते हुए शुभम और उसकी पत्नी आगे निकल गए और वो ठीक उसी जगह पर बैठ कर मैगी खा रहे थे, जहां आतंकियों ने धावा बोला था. शुभम और उसकी पत्नी दोनों मेड फॉर इच अदर थे. जितना शुभम हंसमुख था, उतनी ही उसकी पत्नी भी जिंदादिल थी. शादी की तस्वीरों को देख कर दोनों के मिजाज का अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन सब कुछ बस इन तस्वीरों में ही सिमट कर रह गया है.
अरुणाचल प्रदेश के तागे हाइलांग पर जुल्म
पहलगाम से 3 हजार 1 सौ 75 किलोमीटर दूर अरुणाचल प्रदेश से कुछ तस्वीरें सामने आईं. जहां रहता है इंडियन एयर फोर्स के ऑफिसर तागे हाइलांग का परिवार. अरुणाचल प्रदेश के लोअर सुबान-सीरी जिले के रहने वाले हाईलांग भी अपनी नई नवेली दुल्हन के साथ पहलगाम घूमने गए थे. लेकिन आतंकियों ने उनसे भी उनका धर्म पूछा, उन्हें कपड़े उतारने पर मजबूर किया और फिर उनकी पत्नी की आंखों के सामने उन्हें गोली मार दी.
हमले में बचे लोगों को मलाल
किसी को मलाल इस बात का रहा कि वो पास रह कर भी कुछ नहीं कर सका और किसी को गम इस बात है कि काश वो आखिरी घड़ी में उसके पास होता. लेकिन आतंकियों ने एकाएक अपने इस कायराना हमले से न जाने कितने ही खुशगवार कहानियों को अचानक ही खत्म कर दिया.
कैसे हो यकीन
एक महिला ने कुछ ही देर पहले अपनी आंखों के सामने अपने पति को आतंकियों की गोलियों का शिकार बनते देखा था, जिसके बाद उसने बंदूक थामे फौजियों को देख कर भी आतंकी समझ लिया और डर के मारे रोने-गिड़गिड़ाने लगी. फिर तो फौजियों ने भी बड़ी मुश्किल उसे यकीन दिलाया कि अब उन्हें डरने की जरूरत नहीं है, वो इंडियन आर्मी से हैं और यहां उनकी मदद और सुरक्षा के लिए पहुंचे हैं.
मंगलवार दोपहर को हुए आतंकी हमले को तब तक कई घंटों का वक़्त गुजर चुका था. कायर आतंकी जंगलों में गुम हो चुके थे. इंडियन आर्मी और दूसरी सुरक्षा एजेंसियां रेस्क्यू ऑपरेशन में लग चुकी थी, लेकिन तभी एक मां फौजियों को देख कर बुरी तरह सहम गई. वो हाथ जोड़ कर रहम की भीख मांगने लगी. अपने बच्चे को बख्श देने की फरियाद करने लगी. कहने लगी चाहे जो कर लो, मगर मेरे बेटे को मत मारना.
चट्टान पर बैठा रोता रहा बच्चा
हमले के बाद दिलों-दिमाग पर छाए खौफ की तस्वीरें भी रौंगटे खड़े करने वाली हैं. आतंकियों के हमले से बच कर भाग रहे लोग यहां पहाड़ी के बीच एक जगह पर बैठ कर सुस्ता रहे हैं. जबकि कुछ पर्यटक पीछे से आ रहे हैं. इन्हीं लोगों में एक 12-14 साल का एक बच्चा भी है, जो एक चट्टान पर बैठा बेतहाशा रो रहा है. अफरातफरी में भागते हुए उस मासूम की पैंट फट चुकी है. वो कभी खुद को संभालता है, तो कभी फटी हुई पैंट के कपड़े को खींच कर खुद को ढंकने की कोशिश करता है. इस मासूम के दिलों-दिमाग पर उस वक़्त क्या गुजर रहा है, ये समझना मुश्किल नहीं है.
मां-बेटे का दर्द
इसी बीच इंडियन आर्मी के कुछ लोग आते हैं और बेतहाशा रो रहे बच्चे से पूछते हैं कि क्या उसे कहीं चोट आई है, बच्चा हां में जवाब देता है, जिस पर आर्मी के लोग उसे मरहम पट्टी करने का भरोसा देते हैं और कहते हैं कि अब उन्हें डरने की जरूरत नहीं है. लेकिन इसके आगे जो कुछ होता है, वो अप्रत्याशित है. इसके आगे उस मां की कहानी है, जो हम आपको पहले ही बता चुके हैं, जिसमें एक महिला आर्मी के जवानों को देख कर आतंकी समझ कर डर के मारे रोने लगती है. और कहती है कि वो उनके बच्चे की जान बख्श दें.
इंदौर के नथानियल परिवार में पसरा मातम
इंदौर का नथानियल परिवार भी आतंकी हमले में अपनों को गंवाने वाले लोगों में शामिल है. 58 साल के सुशील कुमार नथानियल अलीराजपुर में एलआईसी के ब्रांच मैनेजर थे. दूसरों का बीमा करवाते थे, ताकि किसी अप्रिय घटना के वक़्त घरवालों को संबल मिले, लेकिन उन्हें क्या पता था कि दूसरों का बीमा कराते-कराते एक रोज खुद नथानियल साहब ही ऐसी किसी वारदात का शिकार बन जाएंगे. सुशील नथानियल को लोग एक नेकदिल और मिलनसार इंसान के तौर पर जानते थे और उनकी मौत की खबर अब सिर्फ उनके घरवालों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे इंदौर शहर के लिए एक बड़ा सदमा है. पहलगाम में हुए इस आतंकी हमले में नथानियल परिवार की बेटी आंकाक्षा भी पूरी तरह जख्मी हुई है, उसे पैरों में गोली लगी है. इस हमले से ये परिवार एकाएक मानों टूट सा गया है.
जयपुर के उधवानी परिवार पर भी टूटा कहर
जयपुर का उधवानी परिवार भी उस घड़ी को कोस रहा है, जब उन्होंने अपने बेटे नीरज उधवानी और उनकी पत्नी को पहलगाम घूमने के लिए विदा किया था. 32 साल के नीराज उधवानी भी उन लोगों में शामिल हैं, जिसे आतंकियों ने पहले उनकी पहचान पूछी और फिर गोली मार दी. पहलगाम में आतंकी हमले की खबर के सामने आते ही उनका परिवार डरा हुआ था, लेकिन जब हमले में नीरज उधवानी के भी शिकार बन जाने की खबर सामने आई तो मानों उधवानी परिवार पर बिजली गिर पड़ी. पूरा परिवार सन्नाटे में आ गया. नीरज तो इस दुनिया से चले गए, लेकिन अब उनके चाचा इस जुल्म का हिसाब चाहते हैं.
विशाखापट्टनम के चंद्रमौली परिवार की दर्दभरी दास्तान
दर्द की कितनी ही कहानियां हैं, जो मानों खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. अब विशाखापट्टनम के चंद्रमौली परिवार को लीजिए. इस परिवार के 6 लोग इसी महीने की 16 तारीख को जम्मू-कश्मीर घूमने के लिए निकले थे, उन्हें 26 को वापस आना था, लेकिन इससे पहले ही आतंक के खूनी पंजे ने उनकी खुशियां छीन लीं. हमले में चंद्रमौली गोलियों का शिकार बन गए. उनके साथ मौजूद परिवार के बाकी लोगों ने बताया कि जब गोलियां चल रही थीं, चंद्रमौली ने भाग कर अपनी जान बचाने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हुए.
ऐसे बचा चेन्नई का एक परिवार
हालांकि चेन्नई का एक परिवार आतंकी हमले का शिकार होने के मामले अब खुद खुशनसीब मान रहा है, क्योंकि जहां गोलियां चल रही थी, वहां वो और ठीक पांच मिनट बाद पहुंचने वाले थे. अभी वो रास्ते में ही थे कि लोग उन्हें उल्टे पांव भागते हुए नजर आए. जिन्होंने बताया कि आगे हमला हो गया है. गोलियां चल रही हैं.
महाराष्ट्र के तीन दोस्तों की मौत
महाराष्ट्र के डोबिंवली के रहने वाले तीन परिवारों पर भी आतंकी हमला काल का साया बन कर आया. यहां के तीन दोस्त एक साथ अपने-अपने परिवार के साथ जम्मू कश्मीर ट्रिप पर गए थे, लेकिन पहलगाम में तीनों आतंक के रक्तबीजों का शिकार बन गए. हेमंत जोशी, संजय लेले और अतुल मोने. आतंकियों ने उनके परिवार के सामने एक-एक कर तीनों को गोली मार दी. फिलहाल इन तीन परिवारों के उजड़ने का दुख डोंबिवली के साथ-साथ पूरा महाराष्ट्र महसूस कर रहा है. दहशत का दर्द और दरिंदगी से उपजी तकलीफ तो खैर हर देश वासी के सीने में है ही.