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8 साल, 34 मर्डर और लूट... दिन में दर्जी रात में कसाई बन जाता था ये सीरियल किलर, दहला देगी कहानी

आदेश कामरा उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले का रहने वाला है. लेकिन उसका परिवार अब मध्यप्रदेश के मंडीदीप इलाके में रहता है. वो दिन में वह दरजी का काम करता था, लेकिन रात होते ही वह ट्रक चालकों और क्लीनरों को निशाना बनाने लगता था.

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आदेश कामरा देश का कुख्यात सीरियल किलर है
आदेश कामरा देश का कुख्यात सीरियल किलर है

Serial Killer Aadesh Kamra Story: वो भारत का भारत के सबसे खौफनाक सीरियल किलर माना जाता है. वो अब तक 33 लोगों की हत्या कर चुका है. वो अब जेल में अपने किए की सजा काट रहा है. यूं तो हम कुख्यात आदेश कामरा का जिक्र नहीं करते. लेकिन उसका बेटा शुभम भी अपने पिता की राह पर चल पड़ा है. भोपाल में एक मामूली विवाद के चलते शुभम ने एक शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी. तो चलिए शुभम की करतूत से पहले आपको बताते हैं उसके पिता आदेश कामरा की पूरी कहानी.

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मूल रूप से यूपी का निवासी है आदेश कामरा
आदेश कामरा उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले का रहने वाला है. लेकिन उसका परिवार अब मध्यप्रदेश के मंडीदीप इलाके में रहता है. वो दिन में वह दरजी का काम करता था, लेकिन रात होते ही वह ट्रक चालकों और क्लीनरों को निशाना बनाने लगता था. पुलिस के मुताबिक, वह उन्हें नशीला खाना खिलाकर बेहोश करता और फिर उनकी हत्या कर देता. इसके बाद लाशों को सुनसान इलाकों में फेंककर ट्रकों को बिहार और यूपी में बेच दिया करता था.

दिन में दर्जी, रात में कसाई
आदेश कामरा इतना शातिर था कि वो आठ सालों तक दिन भर अपनी दुकान पर बैठता और लोगों के कपड़े सिलता रहा. सिलाई में उसका हुनर और उसके हंसमुख मिजाज की वजह से लोग उसे पसंद करते थे. लेकिन रात होते ही अचानक वो दर्जी से कसाई बन जाता था. दिन में लोगों के कपड़े सिलने वाला रात को लोगों को कफन पहनाने निकल पड़ता था. उसके निशाने पर अक्सर ट्रक ड्राइवर और क्लीनर रहा करते थे. वो उनकी बेरहमी से हत्या करके उनसे लूटपाट किया करता था. इस तरह 8 साल में उसने 34 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था. अब इस वक्त वो भोपाल की सेंट्रल जेल में बंद है. 

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तंबाकू खाकर देता था जवाब
भोपाल के अशोका गार्डन थाने के तत्कालीन प्रभारी सुनील श्रीवास्तव ने ही आदेश कामरा को साल 2018 में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के एक जंगल से गिरफ्तार किया गया था. पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद भी उसके अंदर जरा भी खौफ नहीं था. वो बड़े आराम से रहता था, पूछताछ के दौरान पहले वो तंबाकू खाता था, फिर पुलिस को अपना जवाब देता था.

कत्ल होते रहे, नहीं मिला कातिल का सुराग
साल 2010 की बात है. उत्तर भारत के कई राज्यों में ट्रक ड्राइवरों और क्लीनरों का अचानक से कत्ल होने लगे. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में आए दिन लावारिस लाशें बरामद होने लगीं. क़त्ल की इन सभी वारदातों में एक बात समान थी. जिसकी भी हत्या की गई वो सभी ट्रक ड्राइवर या उनके सहयोगी क्लीनर थे. कत्ल पर कत्ल हुए जा रहे थे और पुलिस के हाथ खाली थे. चूंकि ज्यादातर हाईवे पर सीसीटीवी नहीं लगे होते हैं, इसलिए पुलिस को कातिल का सुराग भी नहीं मिल पा रहा था. इस तरह आठ वर्षों तक कत्ल का सिलसिला जारी रहा. पुलिस खाली हाथ, एक राज्य से दूसरे राज्य भटकती रही, लेकिन कहीं भी उस दरिंदे खूंखार सीरियल किलर का सुराग नहीं मिल रहा था.

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ऐसे खुला सीरियल किलर का राज
इसी बीच भोपाल के नजदीक बिलखिरिया इलाके में एक ट्रक ड्राइवर की लाश मिली. इस बार लाश के साथ-साथ पुलिस को कातिल का सुराग भी मिल गया. मौका-ए-वारदात से पुलिस ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया था. उससे पूछताछ में आठ वर्षों के रहस्य का खुलासा हो गया. संदिग्ध ने बताया कि इस सीरियल किलिंग के पीछे पूरी एक गैंग है. उस गैंग का सरगना कोई और नहीं बल्कि भोपाल का एक दर्जी है. उस दर्जी का नाम आदेश खमारा है. उसकी भोपाल के बाहरी इलाके में एक छोटी सी टेलर की दुकान थी. वहां दिन में वो सिलाई मशीन पर कपड़े सिलता. उसका स्वभाव ऐसा था कि कोई उस पर भरोसा ही नहीं कर सकता कि वो एक बेरहम अपराधी है, जो रात के वक्त लोगों को कफन पहनाता है.

भोपाल पुलिस की गिरफ्त में आया दरिंदा
अब पुलिस के सामने कई सवाल थे. वो जानना चाहती थी कि एक दर्जी सीरियल किलर क्यों बन गया? क्यों वो सिर्फ ट्राक ड्राइवर और क्लीनर की ही जान लेता था? वो उन्हें किस तरह मारता था?आठ साल तक कभी वो पुलिस की नजर में क्यों नहीं आया? पुलिस इन सवालों के जवाब पाने के लिए आदेश खामरा को गिरफ्तार कर पाती इससे पहले वो अपने गृहशहर उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर भाग गया. भोपाल पुलिस ने उसको पकड़ने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई. इस टीम को एसपी क्राइम बिट्टू शर्मा लीड कर रही थी. पुलिस टीम सुल्तानपुर जिले में स्थित आदेश के गांव पहुंची. इसकी खबर लगते ही वो पास के जंगलों में भाग गया. काफी मशक्कत के बाद एसपी ने उस दरिदों को जंगल में ही दबोच लिया. 

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मोक्ष दिलाने के लिए करता था हत्या
पुलिस टीम आदेश खामरा को लेकर भोपाल आई. यहां उसने पूछताछ के दौरान जब खुलासे करने शुरू किए तो हर कोई सन्न रह गया. एक दो नहीं उसने 33 कत्ल के गुनाह कबूल किए. सिलसिलेवार तरीके से हर किसी की कहानी सुनाई. उसे हर वारदात के बारे में तारीख सहित याद था. उसने पुलिस को बताया कि वो लोगों की हत्या करके उनको मुक्ति दिया करता था. उसकी सोच थी कि ट्रक ड्राइवर और क्लीनर की जिंदगी बड़ी तकलीफदेह होती है. उन्हें उस तकलीफ से निजात दिलाने के लिए वो उनका कत्ल कर देता था. इस तरह वो दर्जी कत्ल दर कत्ल कहानी सुनाता रहा और पुलिस हैरान-परेशान कहानी सुनती रही. सभी यही सोच रहे थे कि क्या कोई किसी को मोक्ष दिलाने के लिए कत्ल कर सकता है. 

मुंह बोले चाचा को मानता था अपना 'गुरु'
सीरियल किलर आदेश खामरा अपने मुंह बोले चाचा को 'गुरु' मानता था. अपराध करना, सबूत मिटाना, पुलिस को चकमा देना, वारदात के हर गुर उसने अपने गुरु से ही सीखे थे. 80 के दशक में उसके गुरु अशोक खांबरा की दहशत हुआ करती थी. वो ट्रक लूटने वालों का एक गिरोह चलाता था. उसी से प्रेरित होकर आदेश ने जरायम की दुनिया में कदम रखा था. वो फिल्मी स्टाइल में इन वारदातों को अंजाम देता था. यहां तक कि उसके आसपास के लोगों तक भनक नहीं लगती की वो इतना बड़ा अपराधी है. भोपाल के किसी थाने में उसके खिलाफ कोई भी संगीन अपराध में केस दर्ज नहीं था. एक केस दर्ज भी था तो वो मामूली मारपीट का. इस तरह आठ वर्षों तक पुलिस को चकमा देकर वो हत्याएं करता रहा था. 

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जेल में धार्मिक किताबें पढ़ता है आदेश 
भोपाल के सेंट्रल जेल में आदेश खामरा बंद है. इस वक्त उम्रकैद की सजा काट रहा है. उसके हर गुनाह की अलग से सुनवाई चल रही है, जिसमें अलग-अलग सजाएं भी हो रही हैं. इतना तय है कि उसकी पूरी जिंदगी जेल की चार दीवारी में ही गुजरने वाली है. जेल सूत्रों की माने तो वो अक्सर धार्मिक किताबें पढ़ते हुए दिखाई देता है. उसके व्यवहार में भी बहुत ज्यादा बदलाव आ चुका है. एक समय वो खूंखार अपराधी था, लेकिन अब जेल के नियमों के हिसाब से अपनी जिंदगी गुजार रहा है. कभी कभार उसकी पत्नी और बेटा उससे मिलने जेल में आते हैं, लेकिन कभी कोई रिश्तेदार नहीं आया. 

आदेश कामरा के बेटे की खूनी करतूत
अब बात उसके बेटे शुभम कामरा की, जो खुद कातिल बन गया है. भोपाल के मिसरोद इलाके में शराब कंपनी में काम करने वाले कृपाराम राजपूत को उसने अपने चार साथियों के साथ मिलकर इतनी बेरहमी से पीटा कि उसकी मौके पर ही मौत हो गई. दरअसल, बीते रविवार की रात मंडीदीप के एक पुल के पास हुई इस वारदात में शुभम और कृपाराम के बीच शराब कंपनी में किसी काम को लेकर बहस हुई थी. बहस के दौरान कृपाराम ने शुभम को थप्पड़ मार दिया. इसके बाद गुस्से में आगबबूला शुभम ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर कृपाराम पर डंडों और लाठियों से हमला कर दिया और उसकी जान ले ली. पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर शुभम को गिरफ्तार कर लिया है.

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