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मनी लॉन्ड्रिंग: चार्जशीट में 14 आरोपी, अनिल देशमुख का नाम नहीं, ED ने बताई वजह

महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) की मुश्किलें अभी खत्म नहीं होंगी. चार्जशीट फाइल होने के बावजूद जांच जारी रहेगी.

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महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख
महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी ने चार्जशीट पहले ही दायर कर दी है
  • चार्जशीट में अनिल देशमुख को अभी आरोपी नहीं बनाया गया है

महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में चार्जशीट पहले ही फाइल हो चुकी है, बावजूद इसके अभी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच जारी रहेगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि चार्जशीट में अभी अनिल देशमुख का नाम आरोपी के रूप में नहीं है. इसकी वजह बताते हुए ईडी ने कहा कि कई बार बुलाने के बावजूद देशमुख पूछताछ के लिए नहीं आए, इसलिए अभी यह तय नहीं हुआ है कि वे मनी लॉन्ड्रिंग के पूरे खेल में किस तरह शामिल थे. 

ईडी द्वारा फाइल की गई चार्जशीट में इतना जरूर कहा गया है कि देशमुख ने अपने परिवार और सहयोगियों की मदद से कंपनियों का जटिल जाल बनाया हुआ था. इसमें भंडारण, रसद और परिवहन, रियल एस्टेट, होटल और रेस्तरां, माल का व्यापार आदि का कारोबार दिखाया गया था. इसमें से कई तो ऐसे निकले जिसमें कोई व्यापार हो ही नहीं रहा था.

ईडी ने फ्लो चार्ट बनाकर बताया कि पैसा कैसे घूमता था

ईडी ने बताया कि 13 कंपनी ऐसी थी जिनके मालिक सीधे तौर पर देशमुख परिवार के लोग थे. वहीं 13 ही कंपनी ऐसी थीं जो देशमुख के दोस्तों के नाम पर थीं. ईडी ने पूरा फ्लो चार्ट बनाकर दिखाया है कि कैसे पैसा एक कंपनी से दूसरी कंपनी में ट्रांसफर होता था. ईडी ने जो चार्जशीट दायर की है उसमें 14 को आरोपी बनाया गया है. इसमें मुंबई पुलिस के सचिन वाजे और देशमुख के निजी सचिव और असिस्टेंट संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे भी शामिल हैं. लेकिन इसमें देशमुख को अभी आरोपी नहीं बनाया गया है.

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चार्जशीट में कई बार मालिकों के भी बयान है, जिन्होंने दावा किया है कि वाजे उनसे वसूली करता था. वहीं वाजे का भी बयान है जिसमें उसने ईडी को बताया है कि पैसा वसूली के लिए देशमुख ने कहा था और वह पैसा शिंदे (असिस्टेंट ) को देना था. चार्जशीट में कई ऐसे बयान हैं जिसमें देशमुख के बेटे ऋषिकेश देशमुख पर भी आरोप है. कहा गया है कि उसे ऐसे लोगों की तलाश थी जो कि उससे कैश में पैसा लेकर वापस वह पैसा ट्रस्ट को डोनेशन के रूप में दे दे. आरोप है कि वीरेंद्र और सुरेंद्र जैन नाम के लोग इस खेल में शामिल भी हो गए थे. इसपर उन्हें कुछ कमीशन भी मिलना था.

प्लेसमेंट, लेयरिंग और इंट्रीग्रेशन का जिक्र

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तीन चरणों को दिखाया है. इसमें प्लेसमेंट, लेयरिंग और इंट्रीग्रेशन शामिल है. वाजे ने जब बार मालिकों से पैसा जुटाया तो वह प्लेसमेंट थी. फिर जब वह पैसा अनिल देशमुख ने कैश में जैन को दिया तो वह लेयरिंग थी और जब वह पैसा जैन ने वापस ट्रस्ट को ट्रांसफर किया तो वह इंटीग्रेशन था. 

ईडी ने देशमुख की कुछ प्रोपर्टी भी जब्त की हैं. इसमें मुंबई में उनका आवास जो कि पत्नी के नाम पर था वह भी शामिल है. इसके अलावा कुछ खेती की जमीन भी जब्त की गई थी. ईडी की तरफ से कहा गया है कि उन्होंने देशमुख परिवार को चार बार समन किया लेकिन जांच में कोई शामिल नहीं हुआ. इसमें अनिल देशमुख, उनके बेटे ऋषिकेश देशमुख और परिवार के अन्य सदस्यों से पूछताछ होनी है. पूछताछ होने के बाद ही यह तय किया जा सकेगा कि उनका इस पूरे खेल में क्या रोल था.

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