महाराष्ट्र के बीड जिले के सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड में आरोपी विष्णु चाटे को अदालत से कोई राहत नहीं मिल सकी है. विशेष मकोका अदालत ने उसकी रिहाई की अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि आरोपी संगठित अपराध गिरोह का सदस्य प्रतीत होता है और वa लगातार गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल रहा है.
विशेष मकोका न्यायाधीश वीएच पटवाडकर ने इस महीने की शुरुआत में दिए आदेश में स्पष्ट कहा कि प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने के पर्याप्त आधार मौजूद हैं. अदालत का यह आदेश इस केस में अहम माना जा रहा है, क्योंकि बचाव पक्ष लगातार यह दावा कर रहा था कि आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है.
पुलिस के मुताबिक, यह पूरा मामला 9 दिसंबर 2023 का है. बीड जिले के मस्साजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख का अपहरण कर लिया गया था. उनकी हत्या इसलिए की गई, क्योंकि उन्होंने एक ऊर्जा कंपनी से जबरन वसूली की कोशिश का विरोध किया था. उन्हें अगवा कर प्रताड़ित किया गया और फिर मौत के घाट उतार दिया गया.
इस हत्याकांड में पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी सहयोगी वाल्मीक कराड समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका), अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया.
विष्णु चाटे ने अदालत में दलील दी थी कि उसके खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं हैं. उसका कहना था कि न तो वह अपहरण में शामिल था और न ही हत्या में उसकी कोई भूमिका रही. उसने यह भी कहा कि उसके खिलाफ मकोका लागू करने की शर्तें पूरी नहीं हुईं, क्योंकि वो किसी संगठित गिरोह का सदस्य नहीं रहा.
उसने यह भी आरोप लगाया कि राजनीतिक दबाव के चलते उसका नाम केस में देर से जोड़ा गया. उसके मुताबिक यह एक फंसाने की साजिश थी. हालांकि, पुलिस ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि कराड और अन्य सह-आरोपियों ने अवाडा एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड से 2 करोड़ रुपए की फिरौती मांगी और कारोबार रोकने की धमकी दी थी.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सरपंच देशमुख ने जब इस वसूली का विरोध किया, तो कराड ने साथियों के साथ उनको अगवा किया और जानलेवा हमला कर उनकी हत्या कर दी. इसके बाद आरोपियों ने संतोष देशमुख का शव दैथाना फाटा पर फेंक दिया और फरार हो गए. इस पूरी वारदात में विष्णु चाटे की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई थी.
पुलिस ने अदालत में यह भी बताया कि घटना के बाद विष्णु चाटे ने अपना मोबाइल फोन नष्ट कर दिया था. यह तथ्य उसके अपराध में शामिल होने और सह-आरोपियों के साथ मिलीभगत को साबित करता है. विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निक्कम ने अदालत में जोरदार दलील दी कि आरोपी के खिलाफ आगे बढ़ने और आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं.
उज्ज्वल निक्कम ने साफ कहा कि विष्णु चाटे को इस मामले से बाहर नहीं किया जा सकता. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने माना कि प्रथम दृष्टया यह साबित होता है कि आरोपी संगठित अपराध गिरोह का सदस्य प्रतीत होता है. उसने जानबूझकर सह-आरोपियों की मदद की और वो अपराध की साजिश का अहम हिस्सा रहा है.