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बॉस की दरिंदगी, बीवी की साजिश और एसिड अटैक... 16 साल बाद शाहीन मलिक को मिलेगा इंसाफ

पानीपत की MBA स्टूडेंट को एसिड अटैक के 16 साल बाद अब इंसाफ मिलने वाला है. रोहिणी कोर्ट इस जघन्य साजिश में शामिल तीन आरोपियों पर फैसला सुनाएगा. यह केस न सिर्फ एक महिला की लड़ाई है, बल्कि एसिड अटैक पीड़ितों के हक की बड़ी कहानी भी है.

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पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी की छात्रा पर हुआ था तेजाब से हमला. (Photo: Representational)
पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी की छात्रा पर हुआ था तेजाब से हमला. (Photo: Representational)

हरियाणा के पानीपत की मैनेजमेंट स्टूडेंट शाहीन मलिक पर हुए एसिड अटैक के 16 साल बाद अब न्याय की घड़ी करीब आ गई है. दिल्ली की रोहिणी कोर्ट 24 दिसंबर को इस सनसनीखेज केस में फैसला सुनाने वाली है. इस मामले में शाहीन के चेहरे पर एसिड फेंकने की साजिश रचने के आरोप में तीन लोगों को आरोपी बनाया गया है. कोर्ट में यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश जगमोहन सिंह दोपहर 2 बजे सुनाएंगे.

साल 2009 में शाहीन मलिक पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी पानीपत में MBA की छात्रा थीं. उसी दौरान वह अपने वर्कप्लेस पर मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का शिकार हुईं. आरोप है कि उनका तत्कालीन बॉस, जो शादीशुदा था, कई हफ्तों तक शाहीन को परेशान करता रहा. इस बात को लेकर विवाद बढ़ा और मामला खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया. इस बात की भनक आरोपी की पत्नी को लग गई थी.

पुलिस की जांच में सामने आया कि उसकी पत्नी ने यूनिवर्सिटी के ही एक स्टूडेंट के साथ मिलकर शाहीन मलिक पर एसिड अटैक की साजिश रची. हमले ने शाहीन की जिंदगी पूरी तरह बदल दी और देशभर में इस घटना को लेकर आक्रोश फैल गया. यह मामला उस दौर में राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहा. केस की गंभीरता को देखते हुए साल 2013 में इसका ट्रायल हरियाणा से ट्रांसफर कर दिल्ली कर दिया गया. 

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उसी दौरान एसिड अटैक का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. शीर्ष अदालत ने इस अपराध पर सख्त रुख अपनाते हुए दुकानों में एसिड की खुलेआम बिक्री पर रोक से जुड़ी गाइडलाइंस तैयार करने का निर्देश दिया था. हमले के बाद शाहीन मलिक ने खुद को सिर्फ एक पीड़िता तक सीमित नहीं रखा. सालों की लड़ाई और दर्द के बाद उन्होंने एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए काम शुरू किया. 

शाहीन मलिक आज एक NGO चला रही हैं, जो एसिड अटैक पीड़ितों को मेडिकल सहायता, सुरक्षित आवास और व्यावसायिक प्रशिक्षण मुहैया कराती है. हाल ही में उनकी ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक मामलों के ट्रायल में हो रही देरी का स्वत: संज्ञान लिया था. कोर्ट ने सभी राज्यों से लंबित एसिड अटैक केसों से जुड़ा विस्तृत डेटा भी मांगा है.

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