ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है. पुलिस ने एक विशेष अभियान चलाकर जिले के अलग-अलग गांवों से 18 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया है, जो भारतीय नागरिकता का कोई वैध सबूत पेश नहीं कर सके. हिरासत में लिए गए ये सभी लोग बंगाली बोलते हैं. यही वजह है कि पुलिस को उनके बांग्लादेशी होने का संदेह है.
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, ये कार्रवाई केंद्रपाड़ा जिले के तलाचुआ समुद्री थाना क्षेत्र में की गई. यहां के राजेंद्रनारायणपुर, रंगानी, केरेरागड़ा और गोपालपुर गांवों में इन संदिग्ध नागरिकों की मौजूदगी की खबरें लंबे समय से आ रही थीं. सोमवार को पुलिस इंस्पेक्टर बिमल कुमार मलिक के नेतृत्व में पुलिस टीम ने दबिश दी. गांव के लोगों से उनके पहचान पत्र मांगे गए.
इस कार्रवाई के दौरान 18 लोग भारतीय पहचान पत्र के साथ कोई भी वैध दस्तावेज़ नहीं दिखा सके. इनमें से कई तो अपना नाम और पता भी ठीक से नहीं बता पाए. वे सिर्फ बंगाली भाषा में बात कर पा रहे थे. पुलिस ने शक के आधार पर सभी को हिरासत में लिया. इसके बाद उनको केंद्रपाड़ा के एक डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया, जहां उन सभी आगे की पूछताछ की जा रही है.
इंस्पेक्टर बिमल मलिक ने बताया कि पकड़े गए संदिग्ध लोग अब तक ये यह साबित नहीं कर पाए हैं कि वे भारत के नागरिक हैं. इसलिए इन्हें अवैध घुसपैठिया माना जा रहा है. इस कार्रवाई की पृष्ठभूमि 9 जून को मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के केंद्रपाड़ा दौरे से जुड़ी है. उन्होंने पुलिस और प्रशासन को सख्त निर्देश दिए कि इलाके में रह रहे लोगों की पहचान की जाए.
सभी अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान कर तुरंत कार्रवाई की जाए. सीएम माझी ने मार्च में विधानसभा में जानकारी दी थी कि राज्य में अब तक 3,738 अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान की जा चुकी है. इनमें से अकेले केंद्रपाड़ा जिले में 1,649, जगतसिंहपुर में 1,112, मलकानगिरी में 655, भद्रक में 199, नबरंगपुर में 106 और राजधानी भुवनेश्वर में 17 लोग अवैध रूप से रह रहे हैं.
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि तटीय इलाकों के कई गांव जैसे राजेंद्रनारायणपुर, रंगानी और गोपालपुर अवैध प्रवासियों के सुरक्षित अड्डे बन चुके थे. यहां पर ये लोग खेती, मजदूरी और छोटे-मोटे धंधों में लगे थे. गांव वालों को भी इनकी नागरिकता पर संदेह था, लेकिन ज्यादातर मामलों में या तो जानकारी छुपाई गई या फर्जी दस्तावेज़ों से खुद को वैध दिखाने की कोशिश की गई.
फिलहाल सभी 18 लोगों से पूछताछ जारी है. गृह विभाग से जुड़े अधिकारी भी इस कार्रवाई पर नजर बनाए हुए हैं. अधिकारियों का कहना है कि यदि ये लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए, तो विदेशी अधिनियम के तहत डिपोर्टेशन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इसके साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि क्या इनके पास आधार, राशन कार्ड, वोटर आईडी जैसे कोई फर्जी दस्तावेज़ तो नहीं हैं.