छत्तीसगढ़ के खैरागढ़-छुईखदान-गंडई (KCG) जिले में बुधवार को सुरक्षा बलों को एक बड़ी कामयाबी मिली है. 20 लाख के इनामी नक्सली दंपति धनुष उर्फ मुन्ना और उसकी पत्नी रोनी उर्फ तुले ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. दोनों बस्तर की घनी नक्सल बेल्ट में वर्षों तक सक्रिय रहे हैं. इसके साथ ही लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर थे.
इन दोनों को माड़ डिविजन और CPI (माओवादी) के मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ (MMC) जोन के टांडा-मलंजखंड एरिया कमेटी में बेहद सक्रिय और खतरनाक ऑपरेटिव माना जाता था. यह दंपति कई महत्वपूर्ण नक्सली गतिविधियों में शामिल रहा है. खासकर तीन राज्यों छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सीमाई क्षेत्र में मूवमेंट करता रहा है.
धनुष का नाम एरिया कमेटी मेंबर (ACM) के रूप में दर्ज था. उसके पास हिंदी-इंग्लिश टाइपिंग और कंप्यूटर ऑपरेशन की अच्छी जानकारी थी. इसी तकनीकी दक्षता की वजह से वह माओवादी संगठन के लिए टेक्निकल और टाइपिंग सपोर्ट सिस्टम का जिम्मा संभालता था. माओवादी संगठन के भीतर उसे टेक्निकल हैंडलर की तरह देखा जाता था.
रोनी के सिर 6 लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था. उसका सीधा लिंक MMC जोन के बड़े माओवादी इंचार्ज रामदेर से था, जो सेंट्रल कमेटी का सदस्य माना जाता है. रोनी को संगठन के लिए महत्वपूर्ण मैसेंजर और इंटेल चैनल का हिस्सा बताया जाता है. उसकी भूमिका कई सिक्रेट मूवमेंट्स में सामने आई थी. दोनों ने नक्सल बनने के बाद शादी की थी.
नक्सल कपल ने स्वीकार किया कि वे राज्य सरकार की नई सरेंडर और रिहैबिलिटेशन पॉलिसी से प्रभावित हुए. उन्होंने कहा कि माओवादी जीवन में बढ़ती हिंसा, लगातार पुलिस दबाव और संगठन के भीतर कठोर व्यवहार ने उन्हें हथियार छोड़ने के लिए प्रेरित किया. दंपति कई महीनों से जंगलों में सक्रिय ऑपरेशंस से दूर रहने की कोशिश कर रहा था.
आखिरकार KCG जिले में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. KCG जिला, जो मध्य प्रदेश की सीमा से सटा है और रायपुर से करीब 90 किलोमीटर दूर है, हाल के महीनों में नक्सल गतिविधियों के लिए अहम ट्रांजिट जोन बनता जा रहा है. ऐसे में इस दंपति का सरेंडर सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका संगठन को देने जैसा माना जा रहा है.
खासतौर पर धनुष पर अकेले 14 लाख रुपए का इनाम है. वो MMC स्ट्रक्चर में टेक्निकल संसाधन संभालने वाले चुनिंदा ऑपरेटिव्स में से एक था. ये कपल लंबे वक्त से माओवादियों की कई हिंसक और रणनीतिक गतिविधियों में शामिल रहा. जांच एजेंसियों को उम्मीद है कि इनके बयान आंतरिक हलचल, हथियार सप्लाई और बॉर्डर मूवमेंट के राज खोल सकते हैं.