मुंबई के अंधेरी वेस्ट में रहने वाली 68 वर्षीय महिला को डर, दबाव और फर्जी कानून की स्क्रिप्ट में उलझाकर 3.75 करोड़ रुपए ठग लिए गए. पुलिस ने इस मामले में गुजरात के सूरत से एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जिसने ठगी की रकम के लिए म्यूल अकाउंट मुहैया कराया था. यह साइबर ठगी 18 अगस्त से 13 अक्टूबर के बीच अंजाम दी गई थी.
पुलिस के मुताबिक, 18 अगस्त को महिला के पास एक कॉल आई. कॉलर ने खुद को मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन का अधिकारी बताया. उसने कहा कि महिला के बैंक अकाउंट का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में किया जा रहा है. उसने महिला को किसी को कुछ भी न बताने की धमकी दी. उसने कहा कि इस केस को केंद्रीय एजेंसियों को ट्रांसफर किया जा रहा है.
इसके बाद खुद को ऑफिसर एसके जायसवाल बताने वाले शख्स ने महिला से बैंक डिटेल्स लीं और उसकी जिंदगी से जुड़ा दो से तीन पेज का निबंध तक लिखवाया. जालसाजों ने भरोसा दिलाया कि उन्हें महिला की बेगुनाही पर यकीन है. वे उसकी जमानत सुनिश्चित कराएंगे. इसी बीच महिला को वीडियो कॉल के जरिए एक व्यक्ति के सामने पेश किया गया.
उस व्यक्ति ने खुद को 'जस्टिस चंद्रचूड़' बताया. फर्जी ऑनलाइन कोर्ट हियरिंग में महिला से वेरिफिकेशन के नाम पर उसकी निवेश से जुड़ी तमाम जानकारियां मांगी गईं. 'डिजिटल अरेस्ट' हो चुकी महिला ने दो महीनों के भीतर अलग-अलग बैंक अकाउंट्स में कुल 3.75 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद अचानक फोन कॉल आने बंद हो गए.
इसके बाद महिला को एहसास हुआ कि वह बड़े साइबर फ्रॉड का शिकार हो चुकी है. उसने वेस्ट रीजन साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. जांच में सामने आया कि ठगी की रकम कई म्यूल अकाउंट्स में भेजी गई थी. इनमें से एक अकाउंट गुजरात के सूरत में ट्रेस हुआ, जहां से पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया.
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार आरोपी ने कपड़े के व्यापार से जुड़ी एक फर्जी कंपनी बनाकर करंट अकाउंट खोला था. इसी अकाउंट को उसने साइबर ठगों को पैसे रखने के लिए दिया. इस अकाउंट में 1.71 करोड़ रुपए आए, जिसके बदले उसे 6.40 लाख रुपए का कमीशन मिला. पूछताछ में आरोपी ने रैकेट के दो मास्टरमाइंड्स के बारे में जानकारी दी.
वे दोनों विदेश में हैं. इनमें से एक का इमिग्रेशन और वीजा सर्विस से जुड़ा कारोबार बताया जा रहा है. पुलिस इस पूरे नेटवर्क से जुड़े सभी आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है. 'डिजिटल अरेस्ट' साइबर क्राइम का वह खतरनाक रूप बन चुका है, जिसमें ठग खुद को पुलिस, कोर्ट या सरकारी एजेंसियों का अधिकारी बताकर पीड़ितों को मानसिक तौर पर बंधक बना लेते हैं.
डर के साये में पीड़ित से करोड़ों रुपए निकलवा लिए जाते हैं. गौरतलब है कि 1 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 'डिजिटल अरेस्ट' के मामलों को गंभीरता से लेते हुए सीबीआई को पूरे देश में एक साथ जांच करने के निर्देश दिए थे. इसके साथ ही राज्यों से कहा गया था कि वे DSPE एक्ट के तहत CBI को मंजूरी दें, ताकि इस बढ़ते साइबर अपराध पर लगाम लगाई जा सके.