पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में 13 साल पहले हुए एक स्कूल समिति चुनाव में हत्या के मामले में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. साल 2011 में आरामबाग में हुई हिंसा के दौरान नईमुद्दीन शेख की हत्या के मामले में सत्र अदालत ने मंगलवार को एक आरोपी को फांसी और 18 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई है.
आरामबाग के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश ने इस चर्चित मामले में मुख्य आरोपी बलदेव पाल को फांसी की सजा सुनाई है. अदालत ने कहा कि बलदेव पाल की की करतूत दुर्लभतम की श्रेणी में आती है. उसे इसका सबसे कठोर दंड मिलना चाहिए. लेकिन 18 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई है.
कोर्ट में गूंजा 13 साल पुराना दर्द
सरकारी पक्ष की ओर से वकील शंकर गांगुली ने बताया कि अदालत के समक्ष राज्य ने भी यही मांग रखी थी कि बलदेव पाल को हत्या के लिए अधिकतम सजा दी जाए. अदालत ने पूरे घटनाक्रम, चश्मदीदों की गवाही और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर यह सख्त फैसला सुनाया है. इस पर पीड़ित ने संतोष जताया है.
स्कूल समिति चुनाव में हुई हिंसा
यह मामला साल 2011 में हुगली जिले के आरामबाग उपखंड के गोघाट थाना क्षेत्र का है. एक स्कूल शासी निकाय (मैनेजमेंट कमेटी) के चुनाव के दौरान दो गुटों में जबरदस्त झड़प हो गई थी. उसी हिंसा के दौरान नईमुद्दीन शेख नामक शख्स को गोली मार दी गई. इस वजह से उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी.
30 लोगों को बनाया था आरोपी
इस जघन्य हत्याकांड के बाद नईमुद्दीन शेख की विधवा पत्नी ने गोघाट पुलिस स्टेशन में 30 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस जांच के दौरान चार आरोपियों की मौत हो गई, जबकि बाकी आरोपियों के खिलाफ लंबा मुकदमा चला. इसके बाद अदालत ने 19 लोगों को इस केस में दोषी करार दिया था.
सजा से संतुष्ट, लेकिन कानूनी लड़ाई
पीड़ित की पत्नी ने फैसले पर संतोष जताया है. उन्होंने कहा कि भले देर हुई, लेकिन न्याय मिला. वहीं दोषियों के वकीलों ने संकेत दिए हैं कि वे इस फैसले को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती देंगे. इस फैसले को राज्य में चुनावी हिंसा और राजनीतिक प्रतिशोध से जुड़े मामलों में एक मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है. यह नजीर है.