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धर्मस्थल केस: झूठी गवाही के आरोपी मास्क मैन ने बताया जान का खतरा, पुलिस से मांगी सुरक्षा

धर्मस्थल मामले में झूठी गवाही देने के आरोप में गिरफ्तार होकर जमानत पर रिहा हुए मास्क मैन सी एन चिन्नैया ने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस से सुरक्षा मांगी है. चिन्नैया ने पांच लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके बाद पुलिस महकमे में हलचल तेज हो गई है.

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जेल से बाहर आते ही सुरक्षा की गुहार, पांच लोगों पर जान से मारने की आशंका का आरोप. (File Photo: ITG)
जेल से बाहर आते ही सुरक्षा की गुहार, पांच लोगों पर जान से मारने की आशंका का आरोप. (File Photo: ITG)

कर्नाटक के मंगलुरु के धर्मस्थल केस में झूठी गवाही देने के आरोप में पहले गिरफ्तार, फिर जमानत पर रिहा हुए मास्क मैन सी एन चिन्नैया ने अपनी जान को खतरा बताया है. उसने पुलिस से सुरक्षा की मांग की है. पुलिस को दी गई शिकायत में उसने पांच लोगों के नाम दर्ज कराए हैं और किसी भी अनहोनी के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है.

पुलिस के मुताबिक, सी एन चिन्नैया ने अपनी शिकायत में एक्टिविस्ट महेश शेट्टी थिमारोडी, गिरीश मटेनावर, टी जयंत, विट्टाला गौड़ा और यूट्यूबर समीर एमडी के नाम शामिल किए हैं. ये सभी 9 अक्टूबर 2012 को धर्मस्थल के पास रेप और हत्या की गई 17 साल की प्री-यूनिवर्सिटी छात्रा को न्याय दिलाने के लिए चलाए गए अभियान से जुड़े रहे हैं.

चिन्नैया का आरोप है कि शिकायत में नामजद लोग उसको और उसकी पत्नी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. उसहोंने कहा कि धर्मस्थल में रेप, हत्या और दफनाने से जुड़े मामलों पर दिए गए अपने पुराने बयान वापस लेने के बाद से उन्हें लगातार डराया-धमकाया जा रहा है. उनका दावा है कि लोगों ने उस पर झूठी शिकायत दर्ज कराने का दबाव बनाया था.

18 दिसंबर को जमानत मिलने के बाद शिवमोग्गा जिला जेल से रिहा हुआ चिन्नैया उसी शाम अपनी पत्नी और बहन के साथ धर्मस्थल पुलिस स्टेशन पहुंचा. उसने पुलिस अधिकारियों से सुरक्षा उपलब्ध कराने की अपील की थी. उसने कहा कि यदि उसके या परिवार के साथ कुछ भी गलत होता है, तो इसके लिए वो पांच लोग ही जिम्मेदार होंगे.

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दक्षिण कन्नड़ के पुलिस उपाधीक्षक अरुण के ने बताया कि बेल्थांगडी पुलिस ने चिन्नैया की शिकायत दर्ज कर ली है. उसके संबंध में आगे की कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी और मामले की जांच की जाएगी. पिछले महीने धर्मस्थल केस की जांच कर रही एसआईटी ने बेल्थांगडी की ज्यूडिशियल फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट कोर्ट में 3900 पेज की रिपोर्ट दाखिल की थी. 

इस रिपोर्ट में चिन्नैया समेत छह लोगों को आरोपी बनाया गया था. यह कार्रवाई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के सेक्शन 215 के तहत की गई, जो पब्लिक जस्टिस के खिलाफ अपराधों से जुड़ी प्रक्रिया को बताता है. चिन्नैया पहले सफाई कर्मचारी था. उसने शुरुआत में दावा किया था कि साल 1995 से 2014 के बीच धर्मस्थल में महिलाओं और लड़कियों की लाशें दफनाई गईं.

इनमें से कुछ के साथ यौन उत्पीड़न के निशान थे. हालांकि SIT की जांच में उनके बयानों और पेश किए गए सबूतों में गंभीर गड़बड़ियां पाई गईं, जिसके बाद उन्हें झूठी गवाही देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. लेकिन एक महीने ही कोर्ट ने उसे जमानत दे दी थी. उसके बाद कानूनी प्रक्रिया पूरी न होने की वजह से उसे 23 दिन बाद जेल से रिहा किया गया था.

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