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ग्रेटर कैलाश मर्डर केस: सबूतों के अभाव में हत्यारोपी बरी, कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को लगाई फटकार

Greater Kailash Murder Case: दिल्ली में पांच साल पहले हुए हत्या के एक मामले में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने आरोपी को हत्या के आरोप से बरी कर दिया, लेकिन सबूत मिटाने के अपराध में दोषी ठहराते हुए सख्त टिप्पणी की है.

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 दिल्ली में पांच साल पहले हुए हत्या के एक मामले में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. (File Photo: ITG)
दिल्ली में पांच साल पहले हुए हत्या के एक मामले में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. (File Photo: ITG)

दिल्ली में पांच साल पहले हुए हत्या के एक मामले में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने आरोपी को हत्या के आरोप से बरी कर दिया, लेकिन सबूत मिटाने के अपराध में दोषी ठहराते हुए सख्त टिप्पणी की है. 28 जुलाई को दिए अपने आदेश में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गीतांजलि ने साफ कहा कि अभियोजन पक्ष हत्या का आरोप साबित करने में नाकाम रहा है.

जानकारी के मुताबिक, यह मामला दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके का है. यहां 12 जून 2020 को एक निजी सुरक्षा गार्ड सरनाम सिंह चौहान की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी. इस घटना के बाद सीआर पार्क पुलिस स्टेशन में आरोपी इमरत सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 201 (सबूत मिटाने) के तहत केस दर्ज किया गया था.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में इस केस की सुनवाई हुई. अभियोजन पक्ष का आरोप था कि आरोपी इमरत सिंह ने सरनाम सिंह चौहान को धक्का दिया था, जिससे वे गिर पड़े. उनके सिर में गंभीर चोट आई और उनकी मौत हो गई. लेकिन अदालत ने माना कि यह मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित था. गवाह और सबूत इतने ठोस नहीं थे कि हत्या का आरोप साबित हो सके.

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न्यायाधीश ने कहा, "यह स्थापित है कि आरोपी, मृतक और दो अन्य व्यक्ति उस रात कोठी में मौजूद थे, लेकिन अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि मृतक को धक्का देने वाला वास्तव में आरोपी ही था." अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि गवाहों की गवाही में गंभीर खामियां हैं और हत्या का आरोप प्रमाणित नहीं हो सका.

हालांकि, सबूत मिटाने के मामले में अदालत ने आरोपी को दोषी करार दिया. अदालत ने कहा कि घटनास्थल की तस्वीरों से स्पष्ट है कि शव और आसपास के क्षेत्र को जलाने का प्रयास किया गया था. इस तथ्य पर बचाव पक्ष की ओर से कोई सवाल नहीं उठाया गया. साथ ही जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, तो आरोपी वहीं मौजूद था.

अदालत ने कहा, "अभियोजन पक्ष ने साबित कर दिया है कि आरोपी ने कानूनी सजा से बचने के लिए मृतक के शव को जलाने की कोशिश की." इसी आधार पर अदालत ने इमरत सिंह को आईपीसी की धारा 201 के तहत दोषी ठहराते हुए दंडनीय अपराध का जिम्मेदार माना. यानी आरोपी हत्या से बरी हो गया है, लेकिन सबूत मिटाने की कोशिश पर उसे सजा का सामना करना पड़ेगा.

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