बिहार के गैंगस्टर गोरख ठाकुर उर्फ वीरेंद्र की हत्या के बाद पुलिस उसकी क्राइम हिस्ट्री खोल रही है. कभी रेलवे के ठेके के लिए गैंगवार करने वाला गोरख ठाकुर विकलांग होने के बाद सिक्कों की तस्करी करने लगा था. पुलिस को उसके अलग-अलग ठिकानों से लाखों रुपये के सिक्के बरामद हुए हैं. पुलिस आशंका जता रही है कि वो कोलकाता के रास्ते बांग्लादेश में सिक्कों की तस्करी कर रहा था.
कैंट पुलिस के मुताबिक, गोरख ठाकुर उर्फ वीरेंद्र की हत्या के बाद जब उसके बिहार स्थित नरकटियागंज में उसके घर पर तलाशी ली गई तो वहां से लाखों रुपए के सिक्के बरामद हुए. पुलिस ने जब इस बारे में गोरख ठाकुर के भाई लालू ठाकुर से पूछताछ की तो पता चला कि गोरख रेलवे स्टेशन में गाड़ी स्टैंड के ठेके लेता था. स्टैंड पर ज्यादातर सिक्के ही मिलते हैं.
लालू ठाकुर के मुताबिक, नरकटियागंज में इस तरह के सिक्के नहीं चलते, इसलिए उन्हें इकट्ठा कर रखे हुए है. गोरख के भाई ने बताया कि ज्यादा सिक्के जमा होने पर लखनऊ भेज दिए जाते हैं. निलमथा में गोरख ठाकुर के पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति के मुताबिक, उन्होंने कई बार सुना है कि गोरख अपनी गाड़ी से हर महीने लाखों रुपये के सिक्के भेजता है.
लालू ठाकुर ने बताया कि हाल ही में उसने सिक्कों को गाड़ी में भरते देखा था. सिक्के कहां भेजे जाते थे? इस पर पुलिस जांच कर रही है. पड़ोसियों के मुताबिक, गोरख ठाकुर जब कोई भी सामान लेते थे, तब सिक्कों से भरा बैग लेकर ही आता था, वह हमेशा सिक्कों से भरा बैग लेकर ही चलता था.
सिक्कों की तस्करी करने वाले कुछ गैंग की गिरफ्तारी के बाद जांच में पता चला कि बांग्लादेश की रेजर ब्लेड और आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाने वाली कंपनियां भारत में चलने वाले सिक्कों को खरीदती हैं. एक रुपये के सिक्के में तीन से चार ब्लेड आसानी से बन जाता है. यही नहीं, ये सिक्के सस्ते भी पड़ते हैं.
बिहार पहुंची लखनऊ पुलिस की जांच में पता चला कि गोरख ठाकुर उर्फ वीरेंद्र ने साल 1997 में माफिया रम्भू राम का गैंग जॉइन किया था. शुरुआत में लूट और छिनैती जैसे अपराध करते हुए उसने रम्भू के अपहरण उद्योग में दखल देना शुरू कर दिया. इसे लेकर दोनों के बीच अदावत बढ़ने लगी. गोरख के कदम रोकने के लिए रम्भू ने उसके बाप राजेन्द्र ठाकुर की हत्या कर दी. इसका बदला लेने के लिए 2015 में गोरख ने रम्भू की हत्या करके अपराध की दुनिया पर कब्जा जमा लिया.