उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने सियासी रसूख की वजह से कभी सुर्खियों में रहने वाले समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के सितारे इनदिनों गर्दिश में चल रहे हैं. एक के बाद एक कई केसेज में उनके खिलाफ कोर्ट फैसले सुना चुकी है. इसी कड़ी में चर्चित डूंगरपुर मामले में उनके साथ चार लोगों को दोषी करार दिया गया है. 18 मार्च को रामपुर में एमपी एमएलए कोर्ट में सभी को सजा सुनाई जाएगी.
सीतापुर जेल में बंद सपा नेता को शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच रामपुर लाया गया था. उनके साथ इस मामले में आरोपी पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अजहर अहमद खान और पूर्व क्षेत्राधिकारी आले हसन भी मौजूद थे. सभी आरोपियों को एमपी एमएलए कोर्ट ने दोषी करार देते हुए सजा के ऐलान की तारीख मुकर्रर कर दी. इन सभी पर रामपुर के डूंगरपुर बस्ती में घुसकर मारपीट और लूटपाट करने का आरोप है.
बताते चलें कि पिछले साल फेक बर्थ सर्टिफिकेट केस में सपा नेता आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी करार देते हुए 7-7 साल की सजा सुनाई गई थी. फेक बर्थ सर्टिफिकेट का यह केस साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से जुड़ा है. तब अब्दुल्ला आजम ने रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में उनकी जीत भी हुई थी.
चुनावी नतीजों के बाद उनके खिलाफ हाई कोर्ट में केस दाखिल कर दिया गया था. उन पर आरोप लगाया गया था कि अब्दुल्ला आजम ने चुनावी फार्म में जो उम्र बताई है, असल में उनकी उम्र उतनी नहीं है. आरोप था कि अब्दुल्ला विधायक का चुनाव लड़ने की उम्र का पैमाना पूरा नहीं करते हैं. शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला का डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी 1993 है, जबकि जन्म प्रमाण पत्र में 30 सितंबर 1990 है.
यह मामला हाई कोर्ट पहुंचने के बाद इस पर सुनवाई शुरू हुई थी. अब्दुल्ला आजम की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया था. इसके बाद स्वार सीट से उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था. अब्दुल्ला पर पहले जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट हासिल करने और विदेशी दौरे करने के साथ ही सरकारी उद्देश्य के लिए दूसरे प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने का भी आरोप है.
इसके अलावा उन पर जौहर विश्वविद्यालय के लिए भी इसका उपयोग करने का आरोप है. दरअसल, अब्दुल्ला आजम के पास दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र हैं. एक 28 जून 2012 को रामपुर नगर पालिका ने जारी किया गया था, जिसमें रामपुर को अब्दुल्ला के जन्मस्थान के रूप में दिखाया गया है. वहीं दूसरा जन्म प्रमाण पत्र जनवरी 2015 में जारी किया गया था, जिसमें लखनऊ को उनका जन्मस्थान दिखाया गया है.