
ऑनलाइन फ्रॉड... ये महज एक टर्म नहीं बल्कि एक ऐसा जाल है जिसके जंजाल में रोजाना हजारों लोग फंस जाते हैं. शातिर नए-नए तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं. अब पुलिस के हत्थे एक ऐसा गैंग चढ़ा है जिसने ऑनलाइन क्रिप्टोकरेंसी बिजनेस से पैसे कमाने का लालच देकर 500 लोगों को ठगा था. शातिर दुबई से अपने गैंग को ऑपरेट कर रहे थे. इतना ही नहीं, ये लोग कुछ चीनी लोगों के संपर्क में भी थे.
पुलिस ने क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर ठगी करने वाले 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. इनकी पहचान फरहान अंसारी (30), संजय डबास (26), पंकज वाधवा (38) और मोनू (42) के रूप में हुई है. पुलिस ने बताया कि वाधवा के पास से 5.50 लाख कैश बरामद किए हैं, जबकि इन आरोपियों के कई बैंक अकाउंट्स में करीब 24 लाख रुपये जमा थे. पुलिस की जांच में सामने आया कि आरोपियों के बैंक अकाउंट में एक ही दिन में 1 करोड़ रुपये का लेनदेन होता था.
पुलिस ने कहा कि फरवरी में दिल्ली की एक महिला से एक ही दिन में 22 लाख रुपये की ठगी हुई थी. महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि वह ऑनलाइन नौकरी की तलाश कर रही थी. इसी दौरान उसे एक अनजान नंबर से एक व्हाट्सएप मैसेज मिला. ये मैसेज ऑनलाइन ठगों का था. इसमें लालच दिया गया था कि वह एक लिंक पर क्लिक करके अगर उसे लाइक करती है, तो उसके अकाउंट में हर लाइक के हिसाब से 50 रुपये भेजे जाएंगे. महिला लालच में आ गई. जब वह राजी हो गई तो उसके पास एक फोन कॉल आया, दूसरी तरफ भी शातिर महिला थी. उसने अपना नाम जरीन बताया.

ज़रीना ने पीड़ित महिला से कहा कि आपने कई लिंक्स को लाइक किया है, इसके एवज में आपके खाते में रुपये ट्रांसफर करने हैं, इस रकम को क्रेडिट करने के लिए एक टेलीग्राम लिंक ओपन करिए. वह टेलीग्राम चैनल 'मोहिनी8' के नाम से था. महिला को उस ग्रुप में शामिल होने के लिए कहा गया. इसके बाद महिला के बैंक अकाउंट में 150 रुपये डाल दिए गए. फिर ज़रीना ने भारी लालच के साथ महिला को क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्ट करने के लिए उसे एक और काम दिया. पहला काम 1000 रुपये से शुरू हुआ. इस तरह वह धीरे-धीरे जाल में फंसती गई और एक ही दिन में करीब 22 लाख रुपये गंवा दिए.
पुलिस उपायुक्त (मध्य) संजय सैन ने कहा कि गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के आधार पर बैंक डिटेल्स निकलवाई गई तो पता चला कि आरोपी के एक बैंक खाते में एक ही दिन में 1 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था. इसके लिए शातिर फर्जी कंपनियों के फर्जी दस्तावेज बनाकर ठगी के लिए बैंक अकाउंट खुलवाते थे. इसके बाद जैसे ही उनके खाते में पैसे आते थ, वह उसे कई अकाउंट में ट्रांसफर कर देते थे.

पुलिस की जांच में सामने आया कि दिल्ली के नेताजी सुभाष प्लेस में एक एड्रेस का इस्तेमाल 10 से अधिक बैंक खाते खोलने के लिए किया गया था. डीसीपी ने कहा कि मकान मालिक की जांच की गई और पता चला कि वह जगह डबास को किराए पर दी गई थी. उन्होंने कहा कि आरोपी डबास को उसके गांव सुल्तानपुर से और उसके साथी अंसारी को महिपालपुर से पकड़ा गया. पूछताछ के दौरान आरोपियों ने खुलासा किया कि करीब 2 साल पहले वह रोहिणी के रहने वाले वाधवा के संपर्क में आए थे, जो ऑनलाइन ठगी में शामिल था.
डीसीपी ने बताया कि डबास ने नेताजी सुभाष प्लेस में किराए पर एक ऑफिस खोला और अंसारी फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके इन बैंक खातों को खोलने के लिए व्यक्तियों की व्यवस्था करता था. उन्होंने बताया कि वाधवा और उसका साथी भूपेश अरोड़ा दुबई से ऑपरेट कर रहे कुछ चीनी लोगों के संपर्क में थे. धोखाधड़ी करने वालों ने अधिकांश बैंक खाते निजी बैंकों में खुलवाए. पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या इन बैंक खातों को खोलने में कोई गड़बड़ी की गई है? पुलिस ने बताया कि पिछले साल मार्च में अरोड़ा दुबई शिफ्ट हो गया था, क्योंकि उसके खिलाफ देशभर में कई शिकायतें दर्ज की गई थीं.
वीडियो कॉल के जरिए ब्लैकमेलिंग हो या फिर आपके नाम पर लोन लेकर फ्रॉड करना. स्कैम के कई तरीके पिछले कुछ वक्त में सामने आइ हैं. स्कैम... कुछ वक्त पहले तक ये टर्म बड़े घोटालों के लिए इस्तेमाल होता था, लेकिन अब आम हो चुका है. हर दिन यूजर्स के साथ ऑनलाइन फ्रॉड या स्कैम हो रहा है. इसी तरह फ्रॉड का एक तरीका है फिशिंग अटैक. सबसे पहले इसे ही समझिए...

- एक लिंक... क्लिक करते ही आप कंगाल! भले ही आपको ये लाइन किताबी कहानी लगे, लेकिन इस तरह के कई मामले हमें बीते दिनों देखने को मिले हैं. पहले समझते हैं ये स्कैम किस तरह के होता है. कई बार स्कैमर्स एक फर्जी वेबसाइट क्रिएट करते हैं और फिर आपको मैसेज या ईमेल भेजते हैं.
- ये मैसेज कई तरह के हो सकते हैं. मसलन किसी जॉब के संदर्भ में या फिर बैंक KYC या इलेक्ट्रिसिटी बिल से जुड़ा हो सकता है. जैसे ही आप इस तरह के किसी मैसेज के साथ आए अनजान लिंक पर क्लिक करते हैं.
- आपके सामने एक वेबसाइट खुलेगी, जो होती तो फेक लेकिन देखने में असली जैसी होगी. कई मौकों पर स्कैमर्स यूजर्स के फोन में मैलवेयर प्लांट करते हैं. ज्यादातर मामलों में यूजर्स अपनी डिटेल्स खुद स्कैमर्स को दे देते हैं. आप सोचेंगे ऐसा कैसे होता है, तो आपको पूरे खेल को समझना होगा.
- स्कैमर्स आपको एक मैसेज लिखते हैं और लिंक में उसी मैसेज से जुड़ी डिटेल्स भरनी होती हैं. यूजर्स को लगता है कि वो असली वेबसाइट पर अपनी डिटेल्स एंटर कर रहे हैं, लेकिन ये सारा डेटा स्कैमर्स तक पहुंच रहा होता है.
- फेक वेबसाइट या फिर मैलवेयर यूजर्स की सेंसिटिव जानकारी चुराते हैं. इसमें यूजर्स के बैंकिंग क्रेडेंशियल्स या क्रेडिट कार्ड नंबर और दूसरी डिटेल्स शामिल हो सकती हैं. अटैकर्स इस जानकारी के बदौलत यूजर के बैंक अकाउंट्स तक को खाली कर सकते हैं.

- आप उस अटैचमेंट पर क्लिक करते हैं आपकी स्क्रीन पर कई पॉप-अप खुल जाते हैं. चूंकि कई पॉप-अप ओपन होते हैं, ऐसे में यूजर्स का एक रॉन्ग क्लिक, स्कैमर्स तक अपनी डिटेल्स पहुंचा सकता है. अगर कोई मेल आपके काम का ना हो या लोकलुभावन हो, तो उन पर क्लिक करने से बचें.
- इसके अलावा बैंकिंग ऐप्स अब पहले से ज्यादा सिक्योरिटी प्रोवाइड करते हैं. ऐसे में आप अपने कार्ड के लिए लिमिट सेट कर सकते हैं. बल्कि यूज करते वक्त ही कार्ड एक्टिव रखें. सभी परमिशन अलाउ ना करें, बल्कि जरूरी सेवाओं को ही हमेशा एक्टिव रखें. किसी भी अनजान ट्रांजेक्शन पर बैंक और साइबर पुलिस को तुरंत इसकी जानकारी दें.
- विक्टिम्स का कहना है कि टेलीग्राम ग्रुप पर बैंक अकाउंट्स भी बिक्री के लिए लगाए जा रहे हैं.
- स्कैमर्स का अड्डा बन रहा है Telegram…
- WhatsApp ग्रुप में अगर किसी को ऐड किया जाता है तो उसे सभी मेंबर्स के फोन नंबर दिखते हैं.
लेकिन Telegram में प्राइवेसी की वजह से उस ग्रुप के किसी मेंबर का फोन नंबर नहीं दिखता. यहां तक की 1-1 टेलीग्राम चैट्स भी बिना नंबर दिखाए ही की जा सकती हैं.
- स्कैमर्स इसका फायदा उठाते हैं और नंबर ना दिखने की वजह से उन्हें ट्रेस कर पाना पुलिस के लिए भी मुश्किल होता है. टेलीग्राम में पर्सनल और ग्रुप चैट्स से दोनों तरफ के मैसेज डिलीट करने का भी फीचर होता है. सेंडर और रिसीवर दोनों का ही मैसेज कोई डिलीट कर सकता है.
स्कैमर्स डिलीट मैसेज का फायदा उठा कर ट्रेस होने से बच जाते हैं. हालांकि बैंक अकाउंट से पुलिस स्कैमर्स को ट्रेस कर सकती है, क्योंकि किसी बैंक में बिना किसी वैलिड आईडी के अकाउंट नहीं खोला जा सकता है.
इस तरह के स्कैम का शिकार कई लोग हो रहे हैं. इसमें स्कैमर्स लोगों को YouTube पर किसी चैनल को सब्सक्राइबर करने और वीडियो को लाइक करने के बदले पैसे देने का ऑफर करते हैं. यूजर को फंसाने के लिए शुरुआत में स्कैमर्स कुछ वीडियोज के लिए पैसे भी देते हैं, जिससे किसी को उन पर शक ना हो.
ये फ्रॉड कुछ ज्यादा ही चलन में है. इस तरह के फ्रॉड्स को स्कैमर्स कई तरह से अंजाम देते हैं. मसलन कुछ मामलों में ये आपसे सीधे OTP मांगते हैं, तो कुछ में प्रोडक्ट रिटर्न के नाम पर आपसे OTP मांगते हैं. बीते दिनों इस तरह के कई मामले सामने आए हैं. इसे लेकर NCIB ने एक ट्वीट भी किया था. स्कैमर्स इस तरह के फ्रॉड में आपके घर एक कैश ऑन डिलिवरी ऑर्डर लेकर पहुंचते हैं. जब लोग इस ऑर्डर को लेने से मना करते हैं, तो वो इसे कैंसिल करने की बात कहते हैं. फिर एक फर्जी कस्टमर केयर के नाम से आपके पास OTP आता है. जैसे ही आप ओटीपी शेयर करते हैं, स्कैमर्स का काम हो जाता है.

हमें कोई भी जानकारी चाहिए होती है, तो गूगल कर लेते हैं. कई बार ऐसा करना भारी पड़ जाता है. दरअसल, स्कैमर्स फेक वेबसाइट्स के जरिए गूगल पर फर्जी कस्टमर केयर नंबर रजिस्टर करते हैं. ऐसे में जब कोई शख्स कस्टमर केयर नंबर सर्च करता है, तो कई बार ये फेक वेबसाइट्स सबसे ऊपर नजर आती हैं. जैसे ही कोई व्यक्ति इन फ्रॉडस्टर्स को कस्टमर केयर समझकर कॉल करता है, ये उनके साथ स्कैम कर लेते हैं. हाल में ही ऐसा एक मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला ने ट्रेन टिकट रिफंड के लिए IRCTC कस्टमर केयर का नंबर सर्च किया था. स्कैमर ने उन्हें झांसे में लेकर 5 लाख रुपये की ठगी कर ली.
इसके नाम से ही आप इस तरह के स्कैम के बारे में समझ सकते हैं. इसमें सेक्स और एक्सटॉर्शन दोनों होता है. अमूमन स्कैमर्स WhatsApp Video Call के जरिए अपना शिकार खोजते हैं. स्कैमर्स किसी यूजर को वॉट्सऐप मैसेज करते हैं. इसमें महिलाओं का इस्तेमाल किया जाता है. हो सकता है कि वॉट्सऐप अकाउंट पर किसी लड़की की DP लगी हो. थोड़ी बातचीत के बाद आपके फोन पर एक वीडियो कॉल आती है और जैसी ही आप वीडियो कॉल रिसीव करेंगे. एक महिला आपत्तिजनक स्थिति में आपको मिलेगी. जब तक आप फोन काटते हैं स्कैमर्स आपका एक वीडियो बना लेते हैं और फिर इसके आधार पर यूजर्स को ब्लैकमेल किया जाता है.