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क्या है जासूसी के पीछे की साजिश?

एंटी करप्शन ब्यूरो के चीफ एम के मीणा के ऑफिस में एक स्पाइंग डिवाइस के मिलने की खबर ने एक बार फिर अफरा-तफरी मचा दी है. आखिरकार दूसरे विभागों और उसमें काम करने वाले अधिकारियों पर नजर रखना यही तो एंटी करप्शन ब्यूरो का काम है लेकिन कमाल की बात तो ये है कि कोई है जो मीणा साहब पर ही नजर रखना चाहता था. लेकिन वक्त रहते मीणा साहब की नजर उस डिवाइस पर पड़ गई और इस मामले का खुलासा हो गया.

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जासूस के पीछे जासूस
जासूस के पीछे जासूस

एंटी करप्शन ब्यूरो के चीफ एम के मीणा के ऑफिस में एक स्पाइंग डिवाइस के मिलने की खबर ने एक बार फिर अफरा-तफरी मचा दी है. आखिरकार दूसरे विभागों और उसमें काम करने वाले अधिकारियों पर नजर रखना यही तो एंटी करप्शन ब्यूरो का काम है लेकिन कमाल की बात तो ये है कि कोई है जो मीणा साहब पर ही नजर रखना चाहता था. लेकिन वक्त रहते मीणा साहब की नजर उस डिवाइस पर पड़ गई और इस मामले का खुलासा हो गया. तो आइए आज हम आपको जासूस और जासूसों की दुनिया में लिए चलते हैं. ताकि कल कहीं आप जासूसी के शिकार ना हो जाएं.

बस आप अखबार पलटिए और देखिए कि कौन-कौन किस-किस तरह की जासूसी की दुकान खोले बैठा है.बाकायदा जासूसी की दुकानों के इश्तेहार छपते हैं. पैसे दीजिए और किसी की भी घर की खिड़की सीधे बाजार में खोल दीजिए. आजकल के जासूस कैसी-कैसी जासूसी करते हैं और किस तरह करते हैं आइए आपको बताते हैं.

बस इस एक लाइन में आज के जमाने की जासूसी की सारी कहानी छुपी है. जासूसी की ये दुकानें कोई ढकी-छुपी नहीं चल रहीं. धंधा खुलेआम है. डंके की चोट पर अखबारों में विज्ञापन के साथ नाम नंबर देकर. अखबारों में खुलेआम छप रहा है कि किस-किस चीज की ये जासूसी कराते हैं. अब जाहिर है जासूसी की इन दुकानों में पैसे फेंकिए और किसी की भी जिंदगी में घुस जाइए.

वैसे जासूसी कोई भी करे लेकिन उसका एक ही ऊसूल रहता है कि वो किसी भी शख्स के बारे में सारी जानकारी भी इक्कठा कर ले और सामने वाले को पता भी ना चले.

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