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असली मंडप, नकली शादियां और सरकारी स्कीम, दूल्हे पड़ गए 'शॉर्ट'... सामने आई यूपी की अजब-गजब कहानी

आपने बहुत सारे जोड़ों की एक साथ शादियां भी देखी होंगी. इन शादियों में वरमाला पहनाने के लिए दूल्हा-दुल्हन आमने-सामने खडे होते हैं. पर यहां तो दूल्हा एक है और सामने खड़ीं दुल्हनें अनेक. ऐसा नहीं है कि सारे दूल्हे भाग गए बल्कि ऐसा है कि दूल्हे आये ही नहीं.

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बलिया के इस सामूहिक विवाह में दुल्हा एक था, लेकिन दुल्हन अनेक.
बलिया के इस सामूहिक विवाह में दुल्हा एक था, लेकिन दुल्हन अनेक.

UP Wedding Scam: बचपन में जब गुड्डे-गुड़िया की शादी हुआ करती थी. कम से कम उसमें मासूमियत होती थी. पाकीज़गी की होती थी. अल्हड़पन होता था और तो और बच्चों को खुश देख कर बड़ों के चेहरे पर मुस्कुराहट हुआ करती थी. चाहे गुड्डे-गुड़िया की ही शादी होती थी, फिर भी बच्चों को पता था कि इसकी क्या अहमियत होती है. पर बड़ों को कौन समझाए, कैसे समझाए कि शादी बेहद पवित्र चीज़ है. दो परिवारों का मिलन होता है. नए जीवन का शुभारंभ होता है. यानी कुल मिलाकर शादी सिर्फ गुड्डे गुड़िये का खेल नहीं होता. पर यूपी में तो खेल नहीं, बल्कि पूरा खेला हो रहा है.

खुद माला पहनती दुल्हन
शादी में दूल्हा सेहरे में होता है, ये तो आप सबने देखा-सुना होगा. मगर कभी किसी शादी में दूल्हे को अपने ही सेहरे से अपना मुंह छुपाते देखा है? हम आप सब ये देखने के आदी हो चुके हैं कि शादी के मंडप में दुल्हन दूल्हे को वरमाला पहनाती है. मगर कतार से खड़ी दुल्हनें दू्ल्हे की बजाय खुद के गले में खुद ही वरमाला डाल रही हैं. ऐसा आपने कभी नहीं देखा होगा. 

एक दुल्हा, अनेक दुल्हन
आपने बहुत सारे जोड़ों की एक साथ शादियां भी देखी होंगी. इन शादियों में वरमाला पहनाने के लिए दूल्हा-दुल्हन आमने-सामने खडे होते हैं. पर यहां कैमरे के फ्रेम में तो दूल्हा एक है और सामने खड़ीं दुल्हनें अनेक. ऐसा नहीं है कि सारे दूल्हे भाग गए बल्कि ऐसा है कि दूल्हे आये ही नहीं. अब शादी कराने वाले भी बेचारे क्या करते? ऐन शादी के वक्त शादी के मंडप से गुज़र रहे ऐसे कितने लड़कों को पकड़ कर लाते?

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दुल्हे की जगह बैठाया बच्चा
आइए अब ज़रा उन तस्वीरों की बात करते हैं, जो यूपी के बलिया जिले से आई हैं. एक तरफ कतार से आमने-सामने दूल्हा दुल्हन बैठे हैं. बाकायदा दूल्हा बने. लेकिन उन्हीं के बीच में बेचारे एक बच्चे दूल्हे को सेहरा या पगड़ी पहनाना ही भूल गए. वो मासूम भी हसरत भरी निगाहों से कभी आस-पास बैठे दूल्हे को देखता है तो कभी मासूमियत से घुंघट में बैठी दुल्हनों की तरफ. शायद उसे खुद पर ही यकीन नहीं हो रहा है कि यहां से उठने के बाद वो अकेला घर जाएगा या उसकी दुल्हन भी साथ जाएगी.

मंडप में जोर शोर से मंत्रोच्चारण 
अब इतने सारे कैमरे हैं तो एंगल भी कई हैं. अब जरा सीरियस होकर इन दुल्हनों के बारे में जान लीजिए. पहले से ही घुंघट जरूरत से ही कुछ ज्यादा ही नीचे है. लेकिन फिर भी बीच-बीच में ये घुंघट को और नीचे करती जा रही हैं. एक दुल्हन तो घुंघट के अंदर से ही अपना मोबाइल ही नहीं छोड़ रही. पता नहीं क्या देख रही है? कैमरे में तस्वीर के साथ-साथ शायद पंडित जी के मंत्रोच्चारण की भी आवाज़ कैद हो गई है. वरमाला के साथ शादी के लिए जो जरूरी मंत्रोच्चार है, वो बाकायदा जोरो-शोर से पूरे मंडप में सुनाई दे रहा है.

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25 जनवरी की कहानी
उसी मंडप में एक मंच भी है. उस मंच पर खास मेहमान बैठे हैं. जिनमें इलाके की विधायक भी हैं. कुछ सरकारी अफसरान भी. असल में ये सब इस सामूहिक शादी के चश्मदीद हैं. तो ये सारी झलकियां तो आपको बता दी. अब थोड़ा सा कैमरे को रिवर्स गियर में डाल देते हैं. इस शादी को रोक देते हैं और शादी से पहले की जरा लेन-देन की बात कर लेते हैं. तो कहानी ये है कि गणतंत्र दिवस से ठीक एक दिन पहले 25 जनवरी को बलिया के मनियर में एक सामूहिक शादी समारोह की. 

लड़की को सरकार देती है 51 हजार
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कमजोर और गरीब तबकों की लड़कियों के लिए 2017 में एक योजना शुरू की थी, उस योजना का नाम था- यूपी सामूहिक विवाह योजना. योजना का मकसद बहुत अच्छा था. पर खोट तो अफसरान की नीयत में थी. इस योजना के तहत यूपी सरकार एक लड़की की शादी पर कुल 51 हजार रुपये खर्च करती है. इनमें से 35 हजार रुपये सीधे दुल्हन के एकाउंट में जाता है. दस हजार रुपये शादी के जोड़ों, बिछिया पायल और घरेलू सामान को खरीदने के लिए दिए जाते हैं. जबकि 6 हजार रुपये उस मंडप पर खर्च होते हैं, जहां शादी होती है.

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ये हैं इस योजना में शादी के नियम कानून
यूपी के मुख्यमंत्री का साफ हुक्म था कि राज्य के हर जिले में सामूहिक विवाह योजना को लागू किया जाए. पर ऐसा भी नहीं है कि इस योजना के तहत शादी के लायक कोई भी लड़की या लड़का मुंह उठाए शादी के मंडप में पहुंच जाए. इसके लिए पहले बाकायदा ऑनलाइन एप्लिकेशन फॉर्म भरा जाता है. उस एप्लिकेशन फॉर्म के बाद होने वाले दूल्ह दुल्हन की पूरी एनक्वायरी की जाती है. फिर कहीं जा कर ऐसे विवाह योग्य ऐसे दूल्हा दुल्हन को शॉर्ट लिस्ट कर उन्हें सामूहिक विवाह मंडप तक पहुंचाया जाता है. तो ये तो रही नियम और कानून की बात. 

560 से भी ज्यादा जोड़ों की शादी का दावा
बाकी असलियत अगर आप जान चुके हैं. अब बची-खुची कहानी भी सुन लीजिए. तो बात बलिया के इस मनियर में हो रही योगी जी की इस महत्वकांक्षी योजना के तहत सामूहिक विवाह की हो रही थी. 25 जनवरी को 560 से भी ज्यादा जोड़ों ने यहां शादी की. ये हमारा नहीं सरकारी अफसरान और इस इलाके की इन विधायक साहिबा का दावा है. लेकिन इस दावे के उलट जब दुल्हनों को अपने गले में खुद ही वरमाला पहनते कैमरों ने कैद कर यूपी और यूपी के बाहर पहुंचा दिया, तो विधायक साहिबा के सुर भी पूरे तो नहीं पर थोड़े से बदले जरूर. 

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मौजूदगी ज़रूरी होने के बावजूद DM गायब 
चलिए ये तो नेता हैं. इनका काम है दावे करना. पर अब बात इलाके की डीएम की. और योगी जी ने जब ये योजना शुरू की थी, तब इस योजना के तमाम नियमों में एक नियम ये भी लिखा है कि ऐसी सामूहिक शादी में इलाके के डीएम के मौजूदगी जरूरी है. पर मंच से लेकर मंडप तक हर कैमरा डीएम साहब को ढूंढता रहा. पर अफसोस वो कैमरे में आए ही नहीं. आते भी कैसे? आने के लिए आना जरूरी होता है. 

अब डीएम ने कही जांच की बात
खैर दुल्हनों के खुद ही वरमाला डालने की तस्वीरों के पुख्ता सबूत लेकर जब तमाम रिपोर्टर डीएम साहब के पास पहुंचे, तो उन्होंने ठीक वही जवाब दिया, जो एक मंझा हुआ सरकारी अफसर देता रहा है. जांच करेंगे. अब ऐसा भी नहीं है कि डीएम साहब ने हवा में जांच की बात की थी. इस मामले में वो सीरियस थे. उनके सीरियस होते ही सरकारी अफसरों की अलग-अलग टोलियां अब गांव-गांव घूम कर हर घर के दरवाजे खटखटाते हुए ये पूछते फिर रहे हैं कि यहां कोई बिल्कुल नया और ताज़ा कोई दूल्हा या दुल्हन है? 

दुल्हा-दुल्हन की कहानी
जाहिर सै 5 सौ से ऊपर जोडे हैं. यानी हजार के पार दूल्हा दुल्हन की गिनती जाती है. अब इतनी बड़ी गिनती को गिनने में कुछ हफ्ते या महीने तो लग ही जाएंगे. तब तक किसी और जिले में कोई मंडप सज चुका होगा. फिर यहां के मंडप की सुध लेने के लिए हमारे और आपके पास इतना वक्त कहां होगा? तो चलते-चलते कहानी का क्लाईमेक्स बताता चलता हूं. हुआ ये है कि पांच सौ से ज्यादा जोड़े इस मंडप में शादी के लिए बुला तो लिए गए थे. पर इनमें से शायद आधे या उससे थोड़ा ज्यादा सचमुच के दूल्हा दुल्हन थे, जिनकी शादी होनी थी. 

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दो चार हजार में ही निपटाई दो-ढाई सौ शादी  
बाकियों को पकड़ कर लाया गया था कि थोड़ी देर मंडप में दूल्हा दुल्हन बन कर बैठ जाओ. बदले में दो चार हजार रुपये मिलेंगे. अब सोचिए एक शादी पर यूपी सरकार 51 हजार रुपये खर्च करती है. अब अगर दो-ढाई सौ शादी दो चार हजार में ही निपट जाए, तो नेताओँ और सरकारी अफसरों की जेबें कितनी भारी हो जाएंगी. हालांकि अब तो डिजिटल का जमाना है. लोग कैश कम इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में भारी जेब दिखे, कमबख्त अब तो ये भी मुमकिन नहीं रहा.

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