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नापाक मजहबी इरादों का नतीजा है नैरोबी का कत्लेआम

नैरोबी के वेस्टगेट मॉल में शनिवार, 21 सितंबर 2013, को दोपहर ढाई बजे हर तरफ दहशत, चीख-पुकार और गोलीबारी की आवाज सुनाई दे रही थी. हर तरफ जिंदगी बचाने की जद्दोजहद जारी थी.

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घायल महिला को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाते सैनिक
घायल महिला को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाते सैनिक

हिंदुस्तान से हजारों मील दूर अफ़ीक्री मुल्क केन्या में इस बार एक ऐसी वारदात हुई, जिसकी चीख केन्या से निकलकर पूरी दुनिया में सुनाई दे गई. दिन-दहाड़े एक मॉल में घुसे आतंकवादियों ने बेगुनाहों की जान लेकर उसे मौत का मॉल बना दिया. मजहब के नाम पर हुए इस कत्लेआम ने एक बार फिर ये साबित कर दिया जब इंसान की आंखों पर नफरत का पर्दा पड़ा होता है, तो वो इंसानियत से कितनी दूर चला जाता है.

 नैरोबी के वेस्टगेट मॉल में शनिवार, 21 सितंबर 2013, को दोपहर ढाई बजे हर तरफ दहशत, चीख-पुकार और गोलीबारी की आवाज सुनाई दे रही थी. हर तरफ जिंदगी बचाने की जद्दोजहद जारी थी.

 केन्या के मॉल में हमलादूसरे तमाम दिनों की तरह इस रोज भी लोग इस मॉल में लोग घूमने-फिरने और खरीदारी करने पहुंचे थे, लेकिन अचानक गोली और बमों की आवाज से ये पूरी इमारत गूंज उठी. मॉल के भीतर हथियारबंद हमलावर दाखिल हो चुके थे. जो चुन-चुन कर बेगुनाह लोगों को निशाना बना रहे थे. क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या औरतें और क्या जवान. हमलावरों ने किसी को नहीं बख्शा.

जो जहां जिस हाल में था, हमलावरों ने उसे वहीं बगैर संभलने का मौका दिए, अपनी बंदूकों का मुंह खोल दिया. कुछ लोग तो इस अफरातफरी के बीच भाग निकले, लेकिन कुछ ऐसे भी थे, जिनकी कोशिश ग्रेनेड और गोलियों ने नाकाम कर दी.

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 लेकिन आखिर इस हमले का सबब क्या था? पहले तो लोगों को लगा कि शायद इस मॉल में लुटेरों ने धावा बोल दिया है. मगर, जैसे इन हमलावरों ने अपना मुंह खोला, उनकी पहचान और उनके इरादे दोनों साफ हो गए. मॉल में घुस आए इन हमलावरों ने पहले तो लोगों से उनका मजहब पूछा और फिर एक विशेष समुदाय के लोगों को छोड़कर बाकियों को चुन-चुनकर मारना शुरू कर दिया.

ये हमला केन्या के पड़ोसी देश सोमालिया के आतंकवादी संगठन अल-शहाब ने किया था. अल-क़ायदा के नक्शे कदम पर चलने वाले इस संगठन ने कुछ वक्त पहले ही सोमालिया से केन्या को अपनी सेना हटाने की चेतावनी दी थी.

अल शहाब ने कहा था कि अगर केन्या ने उसकी बात अनसुनी की, तो उसके इसकी भारी कीमत चुकानी होगी, और अब नतीजा सामने था. बेगुनाहों के खून से अपना गुस्सा दर्ज करवाने का हमलावरों का ये तरीका बेहद ख़ौफनाक था.

मॉल में कोई अपनी उम्र की दुहाई दे रहा था, कोई बीमारी की, तो कोई अपने परिवार और बच्चों की. लेकिन हमलावरों ने किसी पर कोई रहम नहीं किया. सबसे बुरा हाल तो महिलाओं और बच्चों का हुआ, जिनके लिए आसानी से मॉल से बाहर निकलना भी मुश्किल था. ये लोग हमलावरों के सॉफ्ट टारगेट बने. कई लोग अपने परिवार और बच्चों को बचाने की कोशिश में गोलियों का शिकार हो गए.

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पड़ोस के मुल्क में विद्रोहियों को कुचलने के लिए सेना भेजने की कीमत केन्या को इस तरह चुकानी पड़ेगी, ये वहां की सरकार ने सपने में भी नहीं सोचा था. लेकिन सोमालिया के आतंकवादी संगठन अल-शबाब के मॉल में घुसकर मचाए गए क़त्ले-आम ने केन्या के साथ-साथ पूरी दुनिया को हिला दिया.

आतंकवादियों ने ताबड़तोड़ गोली बारीकर ना सिर्फ तकरीबन 60 बेगुनाह लोगों की जान ले ली, बल्कि मॉल के अंदर बहुत से लोगों को बंधक बना लिया.

 लोगों ने ख्वाबों में भी ये नहीं सोचा था कि राजधानी के बीचों-बीच मौजूद इस हाई प्रोफाइल मॉल में ये हमला कोई आतंकी हमला हो सकता है. लेकिन जल्द ही पूरी कहानी साफ हो गई. ये एक आतंकवादी हमला ही था, जो पड़ोसी देश सोमालिया के एक गुट अल-शबाब ने वहां केन्याई फौज की मौजूदगी के खिलाफ किया था.

चश्मदीद अब्दुल अजीज ने कहा, 'मैंने एक मजबूत अरबी शख्स को अंदर देखा, वो सोमलियाई नहीं था. उसके हाथ में बंदूक और दूसरे हथियार थे. मैं जान बचाने के लिए वहां से भागा. अचानक पहली मंजिल पर जब मैं एक दुकान के अंदर गया तो मैंने देखा कि वो शख्स कपड़े बदल रहा है. कपड़े बदलने के बाद वो इधर उधर छुपता रहा और जब हमें बचाया गया तो वो भी हमारे साथ बाहर निकल आया.'

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इधर, हमलावरों ने चुन-चुन कर लोगों को मारना और बंधक बना शुरू कर दिया और उधर नैरोबी की पुलिस और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों ने मॉल की घेराबंदी शुरू कर दी. मौके की नजाक़त को देखते हुए केन्या की सेना भी मॉल में पहुंची. लेकिन इस मोर्चे पर तमाम एजेंसियों के लिए दोहरी चुनौती थी. अव्वल तो उसे मॉल में फंसे बेगुनाह और बेबस लोगों को आतंकवादियों से चंगुल से निकालकर महफूज ठिकानों तक पहुंचाना था. दूसरा, आतंकवादियों को उनके करतूत का सबक भी सिखाना था.

एक तरफ आतंकवादी एके-47 और हैंड ग्रेनेड जैसे घातक हथियारों से लैस थे, तो दूसरी तरफ केन्या की सेना और पुलिस उनका मुंह तोड़ जवाब देना चाहती थी. धीरे-धीरे सरकारी एजेंसियों ने मॉल के एक बड़े इलाके को खाली करा लिया. लेकिन जैसे-जैसे फौजी मॉल के अंदर दाखिल होते हुए मौत का मंजर उनकी आंखों के सामने बिखरता गया. आतंकवादियों ने कॉमन एरिया से लेकर मॉल में मौजूद दुकानों और स्टोर्स में घुसकर कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.

एक और चश्मदीद अडोल्फ ने बताया, 'हमारे पास बचने का सिर्फ एक ही रास्ता था कि हम मॉल से बगल वाली बिल्डिंग में कूद जाएं, लेकिन ये बहुत खतरनाक था. बहुत लोग ये करने मे कामयाब नहीं हो पाए, लेकिन मैं खुशनसीब था और बिल्डिंग से कूदने में कामयाब रहा.'

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वैसे आतंकवादियों से तकरीबन 24 घंटे से भी ज्यादा मुकाबले के बावजूद ये जंग रविवार रात तक ख़त्म नहीं हुई थी. हालांकि सेना ने ज्यादा शहरियों को आजाद करवा लिया था, लेकिन मॉल के अंदर से रह-रह कर गोलियों की आवाज सुनाई दे रही थी.

हिंदुस्तान में भी पसर गया मातम
हमला केन्या की राजधानी नैरोबी में हुआ, लेकिन मातम हिंदुस्तान के कई घरों में पसर गया. वजह ये कि मॉल में हुए इस क़त्लेआम का शिकार होने वालों में कई हिंदुस्तानी भी शामिल थे. हिंदुस्तान फिक्रमंद है, क्योंकि इसमें जहां कुछ हिंदुस्तानियों की मौत हुई है, वहीं कई अभी भी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं.

आतंकवादियों की अंधाधुंध फायरिंग का शिकार हिंदुस्तानी भी बने. इनमें जहां दो ने दम तोड़ दिया, वहीं कई ऐसे हैं जो अस्पताल में जिंदगी के लिए मौत से जंग लड़ रहे हैं. मरने वाले हिंदुस्तानियों में 8 साल का परमांशु जैन और 40 साल के श्रीधर नटराजन शामिल हैं. परमांशु नैरोबी में बैंक ऑफ बड़ोदा के ब्रांच मैनेजर मनोज जैन का बेटा था, जबकि नटराजन एक दवा कंपनी में काम करते थे.

दरअसल केन्या में हिंदुस्तानियों की एक बड़ी तादाद है. इनमें एक बड़ा तबका गुजरातियों का है. जबकि इसके बाद दक्षिण भारतीयों का नंबर आता है. और तो और केन्या की अर्थव्यवस्था में भी हिंदुस्तानियों का अहम रोल है. ऐसे में, जैसे ही नैरोबी में हमले की खबर यहां पहुंची, भारत में भी लोग बेचैन हो गए. लोगों को अपने दोस्त और रिश्तेदारों की फिक्र सताने लगी. हालांकि विदेश मंत्रालय ने इस सिलसिले में केन्या की सरकार से बात कर वहां मौजूद हिंदुस्तानियों के लिए राहत तलाशने की कोशिश की है.

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अल-शबाब सोमालिया को इस्लामी मुल्क बनाना चाहता है
आतंकवादी संगठन अल-शबाब की बुनियाद मजहब और नफरत की दो ऐसी ईंटों पर रखी गई, जिसका आपस में कोई मेल नहीं था. केन्या के एक मॉल में छाया मौत का मंजर दरअसल इसके पड़ोसी मुल्क सोमालिया से इसकी दोस्ती का सिला है. वो सिला, जिसने ना सिर्फ केन्या बल्कि अब पूरी दुनिया महसूस कर रही है.

दरअसल, मॉल में हुए इस हमले के तार केन्या से नहीं, सोमालिया से जुड़े हैं. अल-शबाब नाम के जिस आतंकवादी संगठन ने इस हमले को अंजाम दिया, उसका ताल्लुक सोमालिया से है. अल-कायदा को अपना हीरो मानने वाला अल-शबाब सोमालिया को इस्लामी मुल्क बनाना चाहता है. जबकि वहां की सरकार इसके खिलाफ है. ऐसे में सोमालिया में अंदरुनी लड़ाई तेज है, लेकिन चूंकि केन्या की सरकार इस लड़ाई में अपनी फौज भेज कर सोमालिया की मदद कर रही है, अल-शबाब ने बेगुनाहों का खून बहाकर अपनी खीझ मिटाने का तरीका चुन लिया है.

वैसे अल-शबाब ने इस हमले से केन्या को अपने मुल्क से सेना हटाने की बात कही थी. लेकिन जब केन्या ने उसकी बात ठुकरा दी तो फिर अल-शबाब ने ये हमला किया. हमले के बाद सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए इस आतंकवादी संगठन ने इसमें अपना हाथ होने की बात साफ भी कर दी.

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कभी सोमालिया के एक बड़े इलाके में कब्जा कर चुके अल-शबाब को केन्या और युगांडा जैसे मुल्कों की फौजी मदद से बड़ा नुकसान हुआ. और तब से इसने इन पड़ोसी मुल्कों में घुसकर हमला करने की नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है.

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