इंस्टाग्राम पर कई ऐसे रील वायरल हो रहे हैं जिसमें लड़के ये कह रहे हैं कि हमारा पढ़ने-लिखने और कामयाब होने का फायदा क्या है? यूजर्स मेरठ की मुस्कान के प्रेमी साहिल शुक्ला और इंदौर की साेनम के प्रेमी राज कुशवाहा की फोटो शेयर करते हुए यही सवाल उठा रहे हैं कि आखिर लड़कियों को छपरी टाइप लड़के पसंद क्यों आते हैं. बीते कुछ सालों से सोशल मीडिया में छपरी शब्द का चलन काफी बढ़ा है. आइए- छपरी का मतलब और इस तरह के लड़कों के लिए पतियों की जान लेने वाली लड़कियों की मानसिकता मनोविश्लेषकों से समझते हैं.
कौन होते हैं छपरी
छपरी असल में एक स्लैंग है जो सोशल मीडिया में खूब फेमस हुआ. ये एक तरह की ऐसी पर्सनैलिटी के लोगों को कहा गया जो सतही और दिखावा पसंद होते हैं, उनके च रित्र में कोई गहराई नहीं देखी जाती. यह एक तरह का युवा‑ढंग और attitude है जिसका उपयोग बड़े मजा‑मज़ाकिया और नकारात्मक अंदाज़ में होता है.
साहिल और राज में ऐसा क्या था जो लड़कियों को पसंद आया?
मेरठ और इंदौर हत्याकांड के दोनों मामलों में प्रेमी साहिल शुक्ला और राज कुशवाहा समाज के 'आदर्श' मापदंडों पर खरे नहीं उतरते. जहां साहिल नशे का आदी था, उसका कमरा शराब की बोतलों से भरा था और पड़ोसियों ने उसे 'चरसी' जैसा बताया. वहीं राज कुशवाहा, 21 साल का लड़का जो सोनम के पिता के कारखाने में बेहद मामूली कर्मचारी था. फिर भी, मुस्कान और सोनम इनके लिए अपने पतियों को मारने तक चली गईं. इसके पीछे की मनोवैज्ञानिक वजहों को विशेषज्ञ ऐसे देखते हैं.
भावनात्मक जुड़ाव और बिंदास अंदाज
मनोवैज्ञानिक डॉ. विधि एम पिलनिया कहती हैं कि ऐसा है कि वो छपरी हमें लग रहे हैं पर जिन महिलाओं को पसंद आते हैं उनके लिए वो एक तरीके से उनका इमोशनल सैटिस्फैक्शन का जरिया होते हैं. ऐसे लड़के उनको इमोशनली सैटिस्फाई करते हैं. ये लड़के उनको सिर-आंखों पर बिठा के रखते हैं. उनकी सेल्फ एस्टीम को हाई करके रखते हैं और कई बार वो अपना और अपने बिहेवियर का एक ऐसा पक्ष दिखाते हैं जो बहुत मानवीय होता है.
उदाहरण के लिए मेरठ में मुस्कान के प्रेमी साहिल शुक्ला ने एक अपनी ऐसी छवि बनाई कि वो बहुत धार्मिक व्यक्ति है. उसके पास पावर है, वो अपनी मां को बहुत ज़्यादा प्यार करता है. इस तरीके का एक जो मायाजाल उसने बनाया, उससे कई बार लड़कियां आकर्षित हो जाती हैं. छोटी-छोटी जो मानवीय भावनाएं लड़कियों को आकर्षित करती हैं अपेक्षाकृत बहुत अच्छा लुक हो और ज्यादा कमाता है. कई लड़कियों को इमोशनल सिक्योरिटी चाहिए होती है तो इस तरीके के लड़के बहुत अच्छी तरह उसको हैंडल करना जानते हैं.
पर्सनेलिटी से जुड़ाव
डॉ पिलनिया मुस्कान के प्रेमी राज कुशवाहा के बारे में कहती हैं कि मैं न्यूज में देख रही थी कि राज की मां बताती है कि मेरा बेटा इतना दयालु है कि किसी के पैर में चप्पल नहीं होती तो अपनी चप्पल दे देता है और नंगे पैर चला आता है. इस तरीके के जो बिहेवियर ये लड़के रिफ्लेक्ट करते हैं लड़कियों को मोहित करने के लिए, कुछ लड़कियां इस तरफ ज्यादा आकर्षित हो जाती है. वो बार बार जब ये जताते हैं कि तुम इतनी अच्छी होकर के मुझे कैसे मिल गई, ये मेरा नसीब है. ये भावना हमेशा लड़की को ऊपर के दर्जे पर यानी सुपीरियोरिटी फील कराता है. ऐसे लोगों के साथ रहकर महसूस होता है कि ये इमोशनली मेरी बड़ी इज्जत कर रहा है, मेरे इमोशंस को बहुत प्रोटेक्ट कर रहा है. अपनी मां के साथ इतना अच्छा है या गरीब होकर गरीब को चप्पल देता है, तो लड़की की नज़र में वो छपरी नहीं होता.
आजादी की ख्वाहिश
इंदौर के जाने माने मनोरोग विश्लेषक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि कई लड़कियां खुलकर जीना चाहती हैं पर जी नहीं पातीं. ये लड़कियां उन लड़कों की ओर आकर्षित होती हैं जो बेबाक और बिंदास होते हैं. ये लड़के समाज के नियमों को तोड़ते हुए निर्भीक नजर आते हैं, जो लड़कियों को 'आजादी' का एहसास दिलाता है. वो साहिल का बेपरवाह रवैया हो या राज का सोनम को शादी का भरोसा देना, शायद उन्हें यही आकर्षक लगा.
क्रिमिनल टेंडेंसी भी है मुख्य वजह
दिल्ली विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग में शिक्षक चंद्र प्रकाश इसे अलग नजरिये से देखते हैं. वो कहते हैं कि दोनों ही केस में क्रिमिनल एक्टिविटी है. ऐसे कई और केस सामने आ रहे हैं. ये सोशल प्रेशर से बाहर की बात है. इसमें साइकोपैथिक टेंडेंसी भी दोनों की मिलती हैं. अक्सर दो लोग जब प्रेम में होते हैं तो एक अगर हत्या जैसी प्लानिंग करे तो दूसरा पीछे हटेगा या समझाएगा, लेकिन जब टेंडेंसी भी मैच करती है तो ऐसे लोग एक दूसरे के प्रति विश्वास का रिश्ता बना लेते हैं. इसे लड़कियों की सामाजिक पसंद से ज्यादा साइकोपैथिक पर्सनैलिटी से जोड़कर देखा जाएगा. इमोशन लेस होना, क्रिमिनल एक्ट को महत्व देना ये बहुत जरूरी बात है.
शोध में आया सामने
2010 में डंडी विश्वविद्यालय के शोध में पाया गया कि महिलाएं उन पुरुषों की ओर ज्यादा आकर्षित होती हैं जो उन्हें भावनात्मक रूप से हमेशा उपलब्ध हों, भले ही उनकी सामाजिक स्थिति औसत हो या लुक कैसा भी हो. मनोविज्ञान ऐसे भी करता है परिभाषित.
आत्मविश्वास और चालाकी से करती हैं डोमिनेंट
मनो चिकित्सक डॉ अनिल शेखावत इसे पर्सनेलिटी ट्रेट से जोड़कर देखते हैं. वो कहते हैं कि आप समझिए कि कैसे मुस्कान ने साहिल को सौरभ की हत्या के लिए उकसाया और फर्जी स्नैपचैट अकाउंट से मैसेज भेजकर हत्या को जायज ठहराया. उधर, राज को सोनम ने मैसेज भेजकर पति के करीब आने की बात कही और हत्या की साजिश रचने में राज को अपने साथ कर लिया. इसमें लड़कियों की पर्सनैलिटी भी रहस्यमयी और नकारात्मकता की ओर झुकी हुई लगती है.
नशे और सह-निर्भरता भी होती है एक वजह
मेरठ मामले में मुस्कान और साहिल दोनों नशे के आदी थे. 2015 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोध के मुताबिक नशे की लत वाले लोग अक्सर सह-निर्भर रिश्ते बनाते हैं जो उन्हें बाहरी दुनिया से अलग कर देता है. साहिल और मुस्कान का नशा उनके बीच अस्वस्थ बंधन की वजह बना. इंदौर मामले में, हालांकि नशे का कोई स्पष्ट जिक्र नहीं लेकिन राज और सोनम की लगातार बातचीत और साजिश रचने की गहराई उनके बीच मजबूत बंधन को दर्शाती है.
सामाजिक दबाव और विद्रोह भी है वजह
मुस्कान की सौतेली मां और पारिवारिक दबावों का जिक्र पुलिस जांच में सामने आया. वहीं इंदौर वाले मामले में कहा जा रहा है कि सोनम ने अपनी मां को राज कुशवाहा से प्यार की बात बताई थी, लेकिन परिवार ने उसे समुदाय के भीतर शादी के लिए मजबूर किया. डॉ. अनिल कहते हैं कि कई लड़कियां परिवार और समाज के दबाव से तंग आकर विद्रोह करती हैं. ऐसे में 'छपरी' कहे जाने वाले लड़के जो समाज के नियमों की परवाह नहीं करते उनके लिए आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं.