एक बार फिर भोपाल गैस कांड सुर्खियों में है. गैस कांड के जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड के अध्यक्ष वारेन एंडरसन को भोपाल से कथित रूप से भगाने के मामले में अदालत ने तत्कालीन जिलाधिकारी मोती सिंह और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है.
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से 2 दिसंबर, 1984 की रात हुए जहरीली गैस के रिसाव से हजारों लोगों को मौत हो गई थी. हादसे के बाद वारेन एंडरसन भोपाल आया, लेकिन आरोप लगा कि उन्हें 7 दिसंबर 1984 को जिला प्रशासन की मदद से सरकारी विमान से भगा दिया गया. जिसके बाद एंडरसन को जीते जी अमेरिका से कभी भारत नहीं लाया जा सका. गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने अधिवक्ता शहनवाज खान के जरिए 15 सितंबर, 2010 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में परिवाद दायर किया था.
अब्दुल जब्बार ने कहा, "सीजेएम ने अपने आदेश में कहा है कि एंडरसन को जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज कर हनुमानगंज थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया था, उसमें केवल न्यायालय से ही जमानत मिल सकती थी. लेकिन तत्कालीन जिलाधिकारी मोती सिंह और पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी ने उन्हें सजा से बचाने की योजना बनाई और भगाने में मदद की, जिसके बाद उन्हें पकड़ा नहीं गया."
जब्बार ने बताया कि आदेश में कहा गया है कि पहली नजर में जान पड़ता है कि जहरीली गैस के रिसाव में भोपाल में हजारों लोग मर रहे थे और तत्कालीन जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक अपनी बुद्धि व सरकारी तंत्र का उपयोग जनता को बचाने की बजाय एक अपराधी को भगाने में कर रहे थे. पूरी योजना बनाकर उन्होंने एंडरसन को न्यायिक प्रक्रिया से बचाने में सहयोग किया.
जब्बार की ओर से अधिवक्ता शहनवाज खान ने मामले की पैरवी की. शनिवार को दिए गए आदेश में दोनों तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने और समन जारी करने को कहा गया है. अब मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर, 2016 को होगी.